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दिल्ली में मंदिर गिराने पर अंतरिम रोक से SC का इनकार, याचिकाकर्ता को कहा- पहले HC जाइए

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 3 मंदिरों पर DDA का बुलडोजर चलाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है और याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता ने बताया कि ये इमरजेंसी सिचुएशन है. DDA आज सुबह 500 से ज्यादा पुलिसकर्मियों के साथ मंदिर को गिराने पहुंच गई. कोई नोटिस नहीं दिया गया.

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सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)

दिल्ली में 3 मंदिरों पर बुलडोजर चलाने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. अदालत ने मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. याचिका में मंदिरों पर बुलडोजर चलाने पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर गिरने पर अंतरिम रोक लगाने से किया इनकार और याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया. 

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ये मामला दिल्ली के मयूर विहार फेज 2 में स्थित तीन मंदिरों पूर्वी दिल्ली काली बाड़ी, श्री अमरनाथ मंदिर संस्थान और श्री बद्रीनाथ मंदिर से संबंधित है.

जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान वकील विष्णु शंकर जैन ने दिल्ली की जहांगीरपुरी में डिमोलिशन का जिक्र करते हुए कहा कि उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक का आदेश दिया था. इस आधार पर उन्हें अंतरिम राहत दी जाए.

पहले जाइए हाईकोर्ट: कोर्ट

इस पर कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जो मामला आप हमें दिखा रहे हैं, मामला उससे कहीं ज्यादा है? आप मामले को लेकर हाईकोर्ट क्यों नहीं गए?. इसके बाद अदालत ने मंदिर गिरने पर अंतरिम रोक लगाने से किया इनकार और याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की बात कही.

कोर्ट ने जैन से ये भी कहा, 'आप अनुच्छेद 32 के तहत क्यों आए हैं? मुझे लगा कि आप हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ आ रहे हैं.'

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मंदिर में होती है नियमित पूजा

इस पर विष्णु शंकर जैन ने कहा ये इमरजेंसी सिचुएशन है. DDA आज सुबह 500 से ज्यादा पुलिसकर्मियों के साथ मंदिर को गिराने पहुंच गई. कोई नोटिस नहीं दिया गया, जबकि पब्लिक नोटिस रात 9 बजे लगाई गई. 35 साल से मंदिर वहां पर है और नियमित पूजा हो रही है.

वहीं, सुनवाई के दौरान एक बार कोर्ट ने पहले मंदिर पक्ष से अपनी याचिका की कॉपी को DDA को देने का निर्देश देते हुए मामले को सुनवाई के लिए दो बजे आने को कहा, फिर बाद में अपना विचार बदलते हुए याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया.

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