सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को यति नरसिंहानंद की 'धर्म संसद' के खिलाफ उत्तर प्रदेश प्रशासन और पुलिस पर कार्रवाई न करने को लेकर दायर अवमानना याचिका खारिज कर दी. मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने जिला अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि वे कानून-व्यवस्था बनाए रखें और कार्यक्रम की गतिविधियों पर नजर रखें.
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सीजेआई ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा, 'हम इस याचिका पर सुनवाई नहीं कर रहे हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि नियमों का उल्लंघन हो सकता है. कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग होनी चाहिए.' गाजियाबाद के दासना स्थित शिव-शक्ति मंदिर में 17 से 21 दिसंबर के बीच 'धर्म संसद' का आयोजन होना था, लेकिन प्रशासन ने इसे अनुमति देने से इंकार कर दिया. इसके बाद यह कार्यक्रम रद्द कर दिया गया.
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इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व नौकरशाह अरुणा रॉय, रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अशोक कुमार शर्मा, पूर्व आईएफएस अधिकारी देब मुखर्जी और नवरेखा शर्मा सहित अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में आरोप लगाया गया था कि 'धर्म संसद' के माध्यम से मुसलमानों के खिलाफ हिंसा भड़काने और नफरत फैलाने की कोशिश की जा रही है.
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याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि 'धर्म संसद' से जुड़े विज्ञापनों और वेबसाइट पर इस्लाम धर्म के अनुयायियों के खिलाफ भड़काऊ बयान और हिंसा के लिए उकसाने वाली सामग्री मौजूद है.