समाजवादी पार्टी नेता आजम खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. दरअसल हाल में उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज सभी मुकदमों को यूपी से बाहर ट्रासंफर करने की मांग की थी. इसे सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया है. आजम खान ने कहा था कि यूपी में उनके खिलाफ जितने मुकदमे हैं उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि उन्हें न्याय नहीं मिलेगा. इसपर कोर्ट ने आजम खां से कहा कि ऐसा कुछ नहीं है कि यूपी में आपको न्याय नहीं मिलेगा. अदालत ने आजम खान की उस याचिका पर सुनवाई से साफ इंकार कर दिया.
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एसए नज़ीर और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि खान के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों को स्थानांतरित करने के लिए और अधिक ठोस कारणों की आवश्यकता है.
पीठ ने कहा, ''जब हम (एक मामला) ट्रांसफर करते हैं, तो हमें इसके लिए कहीं अधिक ठोस कारणों की आवश्यकता होती है. माफ करें। हम आपको इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दे रहे हैं.
बता दें कि आजम खान को अदालत ने भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा सुनाई हुई है. दरअसल, यह मामला साल 2019 का है. तब देश में लोकसभा चुनाव हो रहे थे. सपा नेता आजम खान उस वक्त एक चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए रामपुर के मिलक विधानसभा क्षेत्र में पहुंचे थे. सभा स्थल पर काफी भीड़ थी. भारी संख्या में लोग आजम खान को सुनने के लिए पहुंचे थे. आरोप है कि उस चुनावी सभा में कथित रूप से आजम खान ने आपत्तिजनक और भड़काऊ टिप्पणियां की थी. जिस पर विपक्षी दलों ने भी हंगामा किया था.
इसी दौरान भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता आकाश सक्सेना ने उनके खिलाफ थाने में शिकायत दी थी. जिस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने मिलक कोतवाली में आजम खान के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन और भड़काऊ भाषण देने का मामला दर्ज किया था. पुलिस की जांच पड़ताल के बाद यह मामला रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में पहुंच गया था.
इस मामले में रामपुर की विशेष अदालत ने 21 अक्टूबर को दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी कर ली थी. इसके बाद स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. मामले में उन्हें दोषी करार दिया गया और तीन साल की सजा सुना दी गई.