सुप्रीम कोर्ट उस दलित छात्र के बचाव में आगे आया है जिसे आईआईटी बॉम्बे में प्रवेश तो मिल गया था लेकिन समय पर फीस न भरने के कारण सीट पाने से चूक गया. सुप्रीम कोर्ट ने छात्र को 48 घंटे के भीतर बॉम्बे IIT में दाखिला देने के आदेश दिए. कोर्ट ने कहा कि दलित छात्र की सीट के लिए किसी दूसरे छात्र की सीट ना ली जाए बल्कि इस प्रतिभावान दलित छात्र को उपयुक्त सीट से दाखिला दिया जाए.
क्रेडिट कार्ड में गड़बड़ी के चलते नहीं भर सका फीस
सुप्रीम कोर्ट से दलित समुदाय के उस छात्र को बड़ी राहत मिलती नजर आई जो अपने क्रेडिट कार्ड के काम नहीं करने के कारण अपनी फीस नहीं जमा कर सका और इस वजह से उसे IIT बॉम्बे में दाखिला नहीं मिल सका.
'कभी- कभी कानून से ऊपर उठकर हो फैसला'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत को कभी- कभी कानून से ऊपर उठकर भी कदम उठाना चाहिए, क्योंकि कौन जानता है कि आगे चलकर 10 साल बाद वह हमारे देश का नेता हो सकता है. अदालत ने केंद्र की ओर से पेश वकील को निर्देश दिया था कि वह आईआईटी, बंबई में दाखिले का ब्योरा हासिल करें और इस संभावना का पता लगाएं कि उस छात्र को कैसे प्रवेश मिल सकता है. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि छात्र ने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास की है और IIT बॉम्बे में दाखिला लेने वाला था. वह दाखिले के लिए उपयुक्त उम्मीदवार है. ऐसा करने में कितने बच्चे सक्षम हैं?
आईआईटी के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि कोई भी सीट खाली नहीं है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों से स्थिति के प्रति मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए एक्स्ट्रा सीट देने को कहा है.
'अधर में नहीं छोड़ सकते छात्र को'
जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि- छात्र को अधर में नहीं छोड़ा जा सकता है. वह एक दलित लड़का है और अधिकारियों को जमीनी हकीकत को समझना होगा. कोर्ट ने अधिकारियों से छात्र से बात करने और कोई रास्ता निकालने को कहा है.