उत्तर प्रदेश में सिविल विवाद मामले को क्रिमिनल मामलों में बदलने की प्रवृत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है. CJI जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि यह कानून के शासन का पूर्ण उल्लंघन है (this is complete breakdown of rule of law ).
जमानत से जुड़े एक मामले में जस्टिस खन्ना ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जो हो रहा है, वह गलत है. रोजाना सिविल मुकदमों को आपराधिक मामलों में बदला जा रहा है. यह बेतुका है, सिर्फ पैसे न देने को अपराध नहीं बनाया जा सकता. यह अजीब है कि यूपी में यह आए दिन हो रहा है. वकील भूल गए हैं कि सिविल अधिकार क्षेत्र भी होता है.
क्या है मामला?
ग्रेटर नोएडा में पैसे के लेनदेन से जुड़े चेक बाउंस के एक मामले को पुलिस ने सिविल केस की जगह क्रिमिनल केस बनाते हुए चार्जशीट दाखिल कर दी थी. याचिकाकर्ता का कहना था कि पुलिस ने पैसे लेकर मामले को क्रिमिनल बना दिया.
कोर्ट द्वारा तय दिशानिर्देशों के खिलाफ दाखिल की चार्जशीट
CJI ने फिलहाल इस मामले में जुर्माना नहीं लगाया, हालांकि यह जरूर कहा कि अब ऐसा कोई मामला आया तो उस पर जुर्माना जरूर लगाएंगे. कोर्ट ने कहा कि समन आदेश और चार्जशीट को लेकर शरीफ और अन्य बनाम यूपी के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2024 के फैसले में जारी दिशानिर्देश के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई.
दो हफ्ते में IO को देना होगा लिखित जवाब
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दो हफ्ते में यूपी के DGP 2024 के फैसले के अनुपालन पर अपना हलफनामा दाखिल करेंगे. वहीं इस मामले के IO को भी दो हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर उसके द्वारा दाखिल चार्जशीट में नियमों का पालन नहीं करने के लिए जवाब दाखिल करने को कहा है.
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि इस मामले में धारा 138 के तहत कार्रवाई जारी रहेगी. 5 मई से शुरू होने वाले सप्ताह में इस मामले पर अगली सुनवाई होगी.