प्रदूषण के बढ़ते स्तर से पूरी दुनिया का पर्यावरण संकट में है. नई खबर अंटार्कटिका समुद्री बर्फ (Sea ice in Antarctic) को लेकर है. अंटार्कटिका की समुद्री बर्फ लगातार और तेजी से घट रही है. पिछले कुछ समय में इसके धंसने की दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. अमेरिकी शोधकर्ताओं का कहना है कि अंटार्कटिका में तेजी से घट रही बर्फ चिंता का सबब है.
द गार्जियन की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में 25 फरवरी को समुद्री बर्फ की मात्रा घटकर 1.92m वर्ग किमी रह गई. वैज्ञानिकों का कहना है कि सेटेलाइट डाटा के अनुसार बीते चार दशक के दौरान अंटार्कटिका में बड़े बदलाव हुए हैं. पिछले कुछ साल में गर्मियों के मौसम में यहां बर्फ की मात्रा में काफी गिरावट दर्ज की गई है. ग्लोबल वॉर्मिंग इसका सबसे बड़ा कारण हैं.
ऑस्ट्रेलियन अंटार्कटिका प्रोग्राम पार्टनरशिप के साथ तस्मानिया विश्वविद्यालय में अंटार्कटिक समुद्री बर्फ विशेषज्ञ डॉ विल हॉब्स ने द गार्जियन को बताया कि यह एक "circumpolar event" है. हॉब्स ने कहा कि महाद्वीप के पश्चिम में बड़े क्षेत्र पिछले साल के नुकसान से बहुत मुश्किल से उबर पाए हैं. हॉब्स ने कहा, समुद्री बर्फ में बहुत बदलाव होते हैं, सूरज की रोशनी से पिघलना मुश्किल है. लेकिन अगर इसके पीछे खुला पानी मिलता है, तो यह बर्फ को नीचे से पिघला सकता है.
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, अंटार्कटिका में इतनी बर्फ है कि अगर इसे पिघलाया जाए तो समुद्र का स्तर कई मीटर तक बढ़ सकता है. समुद्री बर्फ के पिघलने और समुद्र के स्तर के बढ़ने के बीच एक अप्रत्यक्ष संबंध है. समुद्री बर्फ तट से जुड़ी बर्फ पर तूफानों के प्रभाव को कम करने में मदद करती है. यदि यह लंबे समय तक गायब हो जाए तो बढ़ी हुई लहर तैरती हुई बर्फ को कमजोर कर सकती है जो जमीन पर बड़े पैमाने पर बर्फ की चादरों और ग्लेशियरों को स्थिर करती हैं.
वैज्ञानिकों ने कहा कि चिंता इसलिए भी है क्योंकि महाद्वीप के पश्चिम में अमुंडसेन और बेलिंगहौसेन समुद्रों के आसपास बर्फ की कमी है. यहां तक कि जब महाद्वीप के चारों ओर समुद्री बर्फ की औसत मात्रा 2014 तक बढ़ी, तो इन दो पड़ोसी समुद्रों में नुकसान देखा गया.