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INS Vikrant की तरह बना सकते हैं एक और एयरक्राफ्ट करियर, नौसेना प्रमुख ने दिए संकेत

नौसेना प्रमुख ने संकेत दिए हैं कि INS Vikrant की तरह एक और स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर बनाने पर विचार किया जा रहा है. यह और आधुनिक होगा. खतरनाक होगा. इसे जल्दी बनाया जा सकेगा. आइए समझते हैं दूसरे एयरक्राफ्ट करियर के क्या फायदे हैं? कैसे नौसेना की ताकत बढ़ेगी? दुश्मन में डर बैठेगा?

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INS Vikrant की तरह उसी तकनीक पर नया स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर बनाया जा सकता है. (फाइल फोटोः Indian Navy)
INS Vikrant की तरह उसी तकनीक पर नया स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर बनाया जा सकता है. (फाइल फोटोः Indian Navy)

भारतीय नौसेना (Indian Navy) के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार (Admiral R. Hari Kumar) ने आजतक के एक कार्यक्रम में संकेत दिया था कि नौसेना IAC-1 यानी INS Vikrant एयरक्राफ्ट करियर का रिपीट ऑर्डर देने का सोच रही है. यानी विक्रांत जैसा ही एक और विमानवाहक युद्धपोत जल्दी ही तैयार हो सकता है. नौसेना अगले कुछ महीनों में इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेज सकती है. अगर यह स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर (Indigenous Aircraft Carrier - IAC) का रिपीट ऑर्डर होता है इससे क्या फायदा होगा?

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अभी भारत के पास दो विमानवाहक युद्धपोत हैं. पहला INS Vikramaditya और दूसरा INS Vikrant. दोनों ही युद्धपोत दुनिया के 10 सर्वश्रेष्ठ विमानवाहक युद्धपोतों में शामिल हैं. विक्रांत जैसा एयरक्राफ्ट करियर बनने से हम चीन की नौसेना की बराबरी कर लेंगे. उसके पास भी तीन ही एयरक्राफ्ट करियर हैं. पाकिस्तान के पास तो एक भी एयरक्राफ्ट करियर नहीं है. सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि हम किसी भी तटीय इलाके को सुरक्षा प्रदान कर सकेंगे. दुश्मन समुद्री रास्ते से देश के किसी भी तटीय क्षेत्र की तरफ नजर उठाकर भी नहीं देख पाएगा. 

भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने हाल ही में एजेंडा आजतक में एक इंटरव्यू के दौरान इस बात के संकेत दिए थे.
भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने हाल ही में एजेंडा आजतक में एक इंटरव्यू के दौरान इस बात के संकेत दिए थे. 

INS Vikrant जैसा एक और एयरक्राफ्ट करियर भारतीय नौसेना की ताकत में कई गुना का इजाफा कर देगी. साथ ही साथ दक्षिण एशिया और हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में पावर बैलेंस बनाएगी. पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर को बनने में 13 साल लग गए थे. लेकिन नया बनने में इतना समय नहीं लगेगा. यह आधे समय भी बन सकता है. क्योंकि विक्रांत को बनाने के लिए कोचीन शिपयार्ड ने कई सारी तकनीकें विकसित की थी. नए इंडस्ट्री पार्टनर खोजे थे. इसे बनाने में 150 से ज्यादा भारतीय कंपनियां शामिल थीं. अब नया करियर बनाने के लिए सारी व्यवस्थाएं हैं. 

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इसलिए नया करियर बनाना आसान होगा. समय की बचत होगी. वाजिब लागत होगी. साथ ही इसे ज्यादा घातक, आधुनिक और भरोसेमंद बनाया जा सकेगा. अगर विक्रांत जैसा भी एक करियर बनकर तैयार हो जाता है तो भारत की धाक पूरी दुनिया में बढ़ जाएगी. क्योंकि विक्रांत के पास जिस तरह के हथियार, फाइटर जेट्स और मिसाइलें तैनात हैं, वो उसे अपने आप में बहुत ताकतवर बना देती है. नए करियर में और अधिक घातक हथियार लगाए जा सकते हैं. पहले जानते हैं कि विक्रांत के वो कौन से हथियार हैं, जो बेहद घातक हैं. 

IAC-2 Like INS Vikrant

बराक-ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें, इनकी रफ्तार ही बेहद घातक

विक्रांत में बराक-8 और ब्रह्मोस मिसाइल लगाए जाने की खबर है. इसके अलावा कोस्टल बेस्ड एके-603 गन और ओटोब्रेडा कैनन लगे हैं. बराक-8 मिसाइल के 32 वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम सेल्स हैं. यानी 32 मिसाइलें तैनात हो सकती है. बराक 8 से 100 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन की धज्जियां उड़ा सकता है. यह बिना धुएं के उड़ती है, इसलिए आसमान में आते हुए नहीं दिखती. इसकी गति है करीब 2500 किलोमीटर प्रतिघंटा. 

इसके अलावा इसमें भविष्य में ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) लगा सकते हैं. युद्धपोत से दागी जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल के दो वैरिएंट्स हैं. पहली- एंटी-शिप मिसाइल, दूसरी लैंड-अटैक मिसाइल. दोनों मिसाइलें नौसेना में पहले से एक्टिव हैं. ये मिसाइलें 200KG वॉरहेड ले जा सकती है. इसकी गति ही इसे सबसे ज्यादा घातक बनाती है. ये 4321 KM प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन की तरफ बढ़ती है. 

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धज्जियां उड़ाने वाले बेहद घातक तोपों से होगा लैस 

विक्रांत पर चार 76 मिलिमीटर के ओटोब्रेडा कैनन लगे हैं. यानी वह तोप जो चारों तरफ घूमकर दुश्मन के विमान, हेलिकॉप्टर, फाइटर जेट, वॉरशिप या बोट पर हमला कर सकती है. यह एक मिनट में 120 राउंड फायर करती है. इससे निकलने वाले गोले 915 मीटर प्रति सेकेंड की गति से दुश्मन की ओर जाती हैं. रेंज 20 किलोमीटर तक होती है. इसके अलावा इसमें चार एके 630 सीआईडब्ल्यूएस (AK 630 CIWS) लगे हैं. यह एक क्लोज़-इन वेपन सिस्टम है. यह एक रोटरी तोप यानी घूमने वाली तोप होती है, जो टारगेट जिधर जाता है, उधर ही घूमकर उसपर ताबड़तोड़ हमला करती है. इसे चलाने के लिए सिर्फ एक आदमी लगता है. फायरिंग रेंज 4000 राउंड्स प्रति मिनट से लेकर 10 हजार राउंड्स प्रति मिनट है. इसकी रेंज 4000 से 5000 मीटर है. टारगेट रेंज में आते ही ये खुद फायरिंग शुरू हो जाती है.   

इस पर तैनात हैं भरोसेमंद और तेज फाइटर जेट्स- हेलिकॉप्टर्स

आईएसी विक्रांत पर भारत के सबसे तेज और खतरनाक फाइटर जेट्स में से एक मिग-29 मिकोयान (MiG-29 Mikoyan) को तैनात है. सिर्फ एक पायलट से उड़ने वाला यह फाइटर जेट चुटकियों में दुश्मन के छक्के छुड़ा देता है. अधिकतम 2400 KM/घंटा की गति से उड़ सकता है. इसकी रेंज 2100 किलोमीटर है. इसमें 7 हार्डप्वाइंट्स हैं. 

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एमएच 60आर मल्टी रोल हेलिकॉप्टर (MH 60R Multi-Role Helicopter) भी तैनात हैं. इसमें 9-10 लोग बैठते हैं. इसकी रेंज 830 KM है. अधिकतम 12 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. इसकी स्पीड 270 किमी प्रतिघंटा है. जरुरत पड़ने पर 330 किमी प्रतिघंटा पर भी उड़ सकता है. इस पर दो MK 46, MK 50 या MK 54s टॉरपीडो लग सकते हैं. 4 से 8 AGM-114 हेलफायर मिसाइल लग सकती है. असल में यह एक एंटी-सबमरीन हेलिकॉप्टर है. इंडियन नेवी उनका उपयोग हिंद और अरब महासागर में दुश्मन की पनडुब्बियों को खोजने और नष्ट करने के लिए करेगी.  

इस पर कामोव हेलिकॉप्टर्स (Kamov Helicopters) तैनात हैं. इसे तीन लोग उड़ाते हैं. यह 16 जवान या 4000 KG वजन लेकर उड़ सकता है. अधिकतम गति 270 KM प्रतिघंटा है. रेंज 980 किमी है. इसमें टॉरपीडो, मशीन गन, 30 मिमी की कैनन या फिर बम, रॉकेट, गनपॉड्स या म्यूनिशन डिस्पेंसर्स लग सकते हैं. भविष्य में आने वाले IAC के रिपीट वर्जन पर राफेल, एफ-18 सुपर हॉर्नेट या कोई एलसीए तैनात हो सकता है. 

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