सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को कल यानी 12 मार्च तक इलेक्शन कमीशन (ECI) को चुनावी बॉन्ड की डिटेल्स देने का आदेश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने ज्यादा समय देने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने एसबीआई को कड़ी फटकार भी लगाई और पूछा कि 26 दिन तक क्या किया? कोर्ट ने 15 फरवरी को आदेश दिए थे. अब तक अनुपालन क्यों नहीं किया गया. इस पर एसबीआई की तरफ से कहा गया कि चुनावी चंदे की जानकारी को कोड किया गया है, इसे डिकोड करने में वक्त लगेगा. SBI ने गोपनीयता का भी हवाला दिया. हालांकि, कोर्ट ने किसी भी तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.
कोर्ट ने कहा, जिन आधारों पर आप अतिरिक्त समय मांग रहे हैं, वे हमारे द्वारा जारी निर्देशों से बिल्कुल मेल नहीं खाते हैं. याचिकाकर्ता की दलीलों से संकेत मिल रहा है कि सभी जानकारी 'आसानी से उपलब्ध हैं.' शीर्ष अदालत ने कहा, एसबीआई को 12 मार्च, 2024 को व्यावसायिक घंटों के अंत तक विवरण का खुलासा करने का निर्देश दिया जाता है. EC जानकारी संकलित करेगा और आधिकारिक वेबसाइट पर 15 मार्च, 2024 शाम 5 बजे तक विवरण प्रकाशित करेगा.
साल्वे ने अदालत से कहा, हमारे पास विवरण हैं, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमारे पास नहीं हैं. हमें बताया गया कि इसे सीक्रेट रखा जाना चाहिए. इस तरह का हमने सिस्टम तैयार किया. हम कोई भी गलती नहीं करना चाहते हैं. इससे पहले एसबीआई ने यह कहते हुए अतिरिक्त समय मांगा कि उसे 22,217 चुनावी बॉन्ड की बिक्री से संबंधित जानकारी संकलित और डिकोड करनी है.
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'अवज्ञा पर एक्शन ले सकती है कोर्ट'
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने आदेश का पालन करने में देरी पर एसबीआई को फटकार लगाई. बेंच ने कहा, हम एसबीआई को नोटिस देते हैं कि अगर वो इस आदेश में बताई गई समय-सीमा के भीतर निर्देशों का पालन नहीं करती है तो यह अदालत जानबूझकर अवज्ञा के लिए उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है.
15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था...
दरअसल, 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था. कोर्ट ने एसबीआई को 12 अप्रैल, 2019 से सभी चुनावी बॉन्ड खरीद का विवरण 6 मार्च तक EC के सामने प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने इस जानकारी को 13 मार्च तक ईसी की वेबसाइट पर प्रकाशित करने का भी निर्देश दिया था. हालांकि, एसबीआई ने 4 मार्च को कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और ज्यादा समय देने की मांग रखी. विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक की मोहलत देने का अनुरोध किया. इस पर बेंच ने एसबीआई की खिंचाई की और कहा, पिछले 26 दिनों में आपने क्या कदम उठाए हैं? जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, जब आप इस तरह मोहलत की मांग के साथ आते हैं तो यह एक गंभीर मामला है. हमारा फैसला बिल्कुल स्पष्ट था.
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एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में क्या दलीलें दीं...
एसबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने पेश हुए. उन्होंने प्रक्रिया की प्रकृति स्पष्ट नहीं के कारण मामले की संवेदनशीलता का हवाला दिया और कहा, बैंक को सभी जानकारी एकत्र करने के लिए ज्यादा समय की जरूरत है. साल्वे का कहना था कि कोर्ट ने SBI को बॉन्ड की खरीद की जानकारी देने के निर्देश दिए हैं, जिसमें खरीदारों के साथ-साथ बॉन्ड की कीमत जैसी जानकारी शामिल है. बॉन्ड खरीदने की तारीख के साथ बॉन्ड का नंबर और उसका विवरण भी देना होगा.
- राजनीतिक दलों का विवरण, पार्टियों को कितने बॉन्ड मिले- यह जानकारी भी देना है, लेकिन समस्या यह है कि जानकारी को निकालने के लिए एक पूरी प्रक्रिया को उलटना पड़ेगा. SOP के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि बॉन्ड के खरीदार और बॉन्ड की जानकारी के बीच कोई संबंध ना रखा जाए. हमें यह बताया गया था कि इसे गुप्त रखना है. बॉन्ड खरीदने वाले का नाम और खरीदने की तारीख कोड की गई है, जिसे डिकोड करने में समय लगेगा. दानकर्ता का विवरण, नाम ना छापने के लिए निर्दिष्ट शाखाओं में सीलबंद लिफाफे में रखा गया है.
- साल्वे ने कहा, हम पूरी सावधानी बरत रहे हैं. ताकी गलत जानकारी देने के लिए हम पर मुकदमा ना हो जाए. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि इसमें मुकदमे की क्या बात है. आपके (SBI) पास सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा...
- मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, आप कहते हैं कि विवरण सीलबंद कवर में रखा गया है और मुंबई शाखा में जमा किया गया है. हमारे निर्देश जानकारी के मिलान के लिए नहीं थे. हम सिर्फ यह चाहते थे कि एसबीआई दानदाताओं के स्पष्ट विवरण का खुलासा करे. आप फैसले का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं? जस्टिस खन्ना ने भी कहा, सभी विवरण सीलबंद लिफाफे में हैं और आपको बस सीलबंद लिफाफा खोलना होगा और विवरण देना होगा.
- सीजेआई ने SBI की याचिका पढ़ते हुए कहा, आवेदन में आपने (SBI) कहा है कि सभी जानकारी सील करके एसबीआई की मुंबई मुख्य शाखा भेज दी गई. मुख्य शाखा में भुगतान की पर्चियां भी भेजी गईं. यानी दोनों विवरण मुंबई में ही हैं. लेकिन, हमने जानकारी का मिलान करने का निर्देश नहीं दिया था. हम तो सिर्फ यह चाहते थे कि एसबीआई डोनर्स की स्पष्ट जानकारी दे.'
- सीजेआई ने SBI से पूछा कि वो फैसले का अनुपालन क्यों नहीं कर रहे हैं. FAQ में भी दिखाया गया है कि हर खरीद के लिए एक अलग केवाईसी है. CJI ने पूछा- जब फैसला 15 फरवरी को सुनाया गया था और आज 11 मार्च हो गया है. अब तक फैसले का अनुपालन क्यों नहीं किया गया?
अब क्या सामने आएगा?
सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है वह यह है कि एसबीआई को खरीदे गए बॉन्ड और पार्टियों द्वारा भुनाए गए बॉन्ड के सभी विवरण जमा करने होंगे. इससे पता चल जाएगा कि चुनावी बॉन्ड किसने खरीदा है और किस पार्टी को कितना मिला है, लेकिन यह संभावना नहीं है कि किसने-किस पार्टी को दान दिया है. यह बीजेपी और सरकार के लिए राहत की सांस साबित होगा. किस दानकर्ता ने किस पार्टी को कितनी रकम दी है, इसकी जानकारी एसबीआई को नहीं देनी होगी. चूंकि चुनावी बॉन्ड जारी करने की विंडो बहुत छोटी है. यहां तक कि एसबीआई द्वारा सभी डेटा डालने के बावजूद दान को किसी विशेष राजनीतिक दल से जोड़ना संभव नहीं हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड मामले की टाइमलाइन...
सितंबर 2017 - जनवरी 2018: दो गैर सरकारी संगठनों एडीआर और कॉमन कॉज और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने संशोधनों को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें तर्क दिया गया कि वित्त अधिनियमों को धन विधेयक के रूप में पारित किया गया, जिससे राज्यसभा (संसद का ऊपरी सदन) से जांच को रोका जा सके. याचिकाकर्ताओं ने सूचना के अधिकार और योजना में पारदर्शिता की कमी के बारे में भी तर्क दिया.
12 अप्रैल, 2019: तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने राजनीतिक दलों को दान, दाताओं और बैंक खाता संख्या के सभी विवरण एक सीलबंद कवर में चुनाव आयोग को सौंपने का निर्देश दिया.
नवंबर 2019 - अक्टूबर 2020: याचिकाकर्ताओं ने कई बार अदालत का रुख किया और बिहार चुनाव से पहले मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग की.
26 मार्च 2021: एडीआर 2021 की शुरुआत में इस योजना पर रोक चाहता था. 26 मार्च, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी कॉर्पोरेट प्रभाव के बारे में चिंताओं को खारिज करते हुए इस योजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
16 अक्टूबर 2023: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने योजना के खिलाफ याचिकाओं को पांच जजों की संविधान पीठ को भेजा.
31 अक्टूबर, 2023: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने योजना के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की.
2 नवंबर, 2023: संविधान पीठ ने मामले पर फैसला सुरक्षित रखा और चुनाव आयोग को 30 सितंबर, 2023 तक योजना के जरिए राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त दान पर व्यापक डेटा देने का निर्देश दिया.
फरवरी 15, 2024: SC ने इस योजना को रद्द करते हुए सर्वसम्मति से फैसला सुनाया और कहा कि यह भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ सूचना के अधिकार के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करता है. भारतीय स्टेट बैंक को राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त चुनावी बॉन्ड का विवरण 6 मार्च तक भारत निर्वाचन आयोग के सामने प्रस्तुत करने का आदेश दिया. बाद मे ईसीआई 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर ऐसे विवरण प्रकाशित करेगा.
4 मार्च, 2024: एसबीआई ने राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक की मोहलत की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया.
11 मार्च, 2024: सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई के आवेदन को खारिज कर दिया. कल यानी 12 मार्च तक विवरण का खुलासा करने के लिए कहा और ECI को 15 मार्च की शाम तक इसे अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करने के आदेश दिए.