केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी जीरो टॉलरेंस की नीति की वजह से धारा 370 हटाना जरूरी था. हलफनामे में सरकार ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर में पत्थरबाजी थमी है और 2023 में पत्थरबाजी का एक भी मामला सामने नहीं आया है.
बता दें कि 370 हटाने के खिलाफ कई राजनीतिक दलों और नेताओं ने पीआईएल दायर की थी. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल किया है और मंगलवार को सुनवाई है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हलफनामे में कहा कि जम्मू-कश्मीर पिछले तीन दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा था. उस पर अंकुश लगाने के लिए अनुच्छेद-370 हटाना ही एकमात्र उपाय था. आज घाटी में स्कूल, कॉलेज, उद्योग समेत सभी जरूरी संस्थान सामान्य रूप से चल रहे हैं. औद्योगिक विकास हो रहा है और डरकर जी रहे लोग सुकून से जी रहे हैं.
आतंकवादी-अलगाववादी एजेंडा के तहत 2018 में 1767 संगठित पत्थर फेंकने की घटनाएं हुई, जो 2023 में मौजूदा तारीख तक शून्य हैं. 2018 में 52 बंद और हड़ताल हुईं, जो कई दिनों तक चली और 2023 में आज की तारीख तक शून्य हैं.
एंटी-टेरर एक्शन का परिणाम घाटी में देखने को मिला है. उनके इको-सिस्टम को भारी आघात लगा है. आतंकी भर्ती में भी भारी कमी आई है. यह आंकड़ा 2018 में 199 था जो 2023 में आज की तारीख तक घटकर 12 पहुंच गया. आतंकवाद के खिलाफ घाटी में जीरो-टॉलरेंस की नीति अपनायी जा रही है.
जनता की बेहतरी के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं. घाटी में औद्योगिक विकास के लिए केंद्र ने 28400. करोड़ रुपए का बजट रखा. साथ ही 78000 करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव आ चुके हैं.
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केंद्र सरकार ने जम्मू- कश्मीर में अनुच्छेद 370 निरस्त करने के फैसले को सही ठहराया, कहा इस ऐतिहासिक कदम से जम्मू- कश्मीर के लोग अब पर्याप्त आय के साथ शांति, समृद्धि और स्थिरता से जी रहे हैं. आजादी के बाद पहली बार इस क्षेत्र के निवासियों को वही अधिकार मिल रहे हैं जो देश के अन्य हिस्सों के निवासियों को मिल रहे हैं.