scorecardresearch
 

राजद्रोह पर बोले CJI- ये कानून आरी जैसा, फर्नीचर बनाना था लेकिन पूरा जंगल काट दिया

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एनवी रमना ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर कोई पार्टी दूसरे पक्ष की राय नहीं सुनना चाहती तो उनके खिलाफ आसानी से राजद्रोह कानून (sedition law) का इस्तेमाल करती है, इसकी कोई जवाबदेही नहीं है.

Advertisement
X
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राजद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता पर सुनवाई
  • CJI बोले- इस कानून का हो रहा है गलत इस्तेमाल

राजद्रोह कानून (sedition law) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई चल रही है. इस दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एनवी रमना ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर कोई पार्टी दूसरे पक्ष की राय नहीं सुनना चाहती तो उनके खिलाफ आसानी से राजद्रोह कानून का इस्तेमाल करती है, इसकी कोई जवाबदेही नहीं है.

Advertisement

सीजेआई एनवी रमना ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि आपकी सरकार ने कई पुराने कानूनों को निरस्त कर दिया है, मुझे नहीं पता कि आपकी सरकार आईपीसी की धारा 124 ए को निरस्त करने पर विचार क्यों नहीं कर रही है. इस पर केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल ने राजद्रोह कानून को निरस्त करने का विरोध किया.

इस पर सीजेआई एनवी रमना ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा कि आजादी के 75 साल बाद भी ये कानून जरूरी है? ये तो उपनिवेश वादी कानून है, इसका इस्तेमाल तो ब्रिटिश हुक्मरानों ने आजादी के लिए संघर्ष का विरोध करने वालों पर किया था, जिनके खिलाफ राजद्रोह कानून का इस्तेमाल किया था उनमें महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक भी थे.
 
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि आईपीसी की धारा 124ए को खत्म यानी रद्द नहीं किया जाना चाहिए, उसकी अहमियत देश की एकता अखंडता के लिए बनी हुई है, इसके उपयोग के लिए गाइडलाइन बना दी जाय ताकि इसकी कानूनी उपयोगिता और उद्देश्य बना रहे.

Advertisement

राजद्रोह कानून की आरी से तुलना

सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि इस कानून के तहत दी गई अपार शक्तियों और इसके दुरुपयोग के इतिहास को देखते हुए इसकी तुलना किसी बढ़ई को दी गई आरी से की जा सकती है, जिसे एक पेड़ काट कर फर्नीचर बनाने को कहा गया हो तो उसने पूरा वन काट डाला.

सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि जब कोई सरकार और प्रशासन की बात मानने से इनकार करे तो उस पर राजद्रोह का इल्जाम चस्पा कर दो, क्योंकि अभियोजन की कोई जवाबदेही भी तो नहीं है, जब सरकार ने इतने पुराने और अनुपयोगी कानून खत्म किए हैं तो इस आईपीसी की धारा 124A  पर क्यों नहीं ध्यान दिया गया?

सुप्रीम कोर्ट में राजद्रोह कानून पर क्यों हो रही है सुनवाई

यह पूरा मामला आईपीसी की धारा 124A यानी राजद्रोह के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती का है. सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि इन धाराओं का गलत इस्तेमाल अथॉरिटी द्वारा किया जा रहा है. इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि ऐसे मामले पहले से लंबित हैं, जिसमें केंद्र से जवाब मांगा गया है, इस मामले को भी उसमें जोड़ा जा सकता है.

559 गिरफ्तारियां, महज 10 ही मिले दोषी

केंद्र सरकार की एजेंसी एनसीआरबी ने आईपीसी-124A के तहत दर्ज हुए केस, गिरफ्तारियों और दोषी पाए लोगों का 2014 से 2019 तक का डेटा जारी किया है. इसके मुताबिक 2014 से 2019 तक 326 केस दर्ज हुए, जिनमें 559 लोगों को गिरफ्तार किया गया, हालांकि 10 आरोपी ही दोषी साबित हो सके.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement