कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को राज्यसभा से हाल ही में विदाई दी गई थी. गुलाम नबी आजाद के विदाई समारोह में पीएम मोदी की आंखें भर आई थीं. गुलाम नबी आजाद ने आजतक के साप्ताहिक कार्यक्रम सीधी बात में इसे लेकर भी बेबाकी से बात की. आजाद से प्रभु चावला ने सवाल किया कि कभी किसी के फेयरवेल में प्रधानमंत्री की आंखों में आंसू नहीं देखे. क्या इमोशनल कनेक्ट था आपका उनके साथ? इस सवाल पर आजाद ने कहा कि बहुत से लोगों ने इसे शायद गलत समझा है.
उन्होंने कहा कि बहुत अच्छे शब्दों में पीएम ने बोला, "चेयरमैन ने बोला और हर पार्टी के लोगों ने बहुत अच्छा बोला. मेरे सबके साथ संपर्क रहे. प्रधानमंत्री की आंखों में आंसू आए और उसी को लेकर मैं भी रोया, इसका एक घटना से संबंध था." आजाद ने उस घटना को याद करते हुए कहा कि जब जम्मू कश्मीर का सीएम था, मोदी गुजरात के सीएम थे. मेरे यानी सीएम आवास और गवर्नर हाउस के बीच आतंकियों ने गुजरात के पर्यटकों पर ग्रेनेड फेंका था.
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मैं भागा-भागा घटनास्थल पर पहुंचा. उस घटना में कई लोग मारे गए, कई जख्मी थे. हॉस्पिटल में जाकर देखा. रोते-रोते प्रधानमंत्री को जहाज के लिए फोन किया और गुजरात के सीएम को भी फोन किया. जहाज आई और विदा करने जब एयरपोर्ट पहुंचा, ये शोर हुआ कि सीएम आए हैं... सीएम आए हैं. महिलाएं और बच्चे मेरे पैर से लिपटकर रोने लगे थे कि हमारे पापा कहां हैं.
उन्होंने कहा कि इसकी वजह से मेरी आंखों में आंसू आ गए थे. वह क्लिप गुजरात की मीडिया में एक हफ्ते तक चली थी. गुलाम नबी आजाद ने पीएम के भावुक होने को लेकर कहा कि वे यही बताना चाहते थे कि आजाद एक तरफ हमसे लड़ाई भी करता है लेकिन दूसरी तरफ जब गुजरात के लोग मरे थे तब वह किस तरह से रो रहा था. उन्होंने कहा कि यह बताने से पहले ही पीएम ब्रेकडाउन हो गए.
आजाद ने एक सवाल पर कहा कि वे मोदी को आज से नहीं, 20वीं सदी से जानते हैं. बीजेपी के लोग भी जानते हैं कि मैं कांग्रेस छोड़कर कहीं नहीं जा सकता. अब कोई अलग तरीके से ले तो दूसरी बात है. उन्होंने कहा कि इंदिराजी की भी अटलजी तारीफ करते थे. संजय गांधी की भी अटलजी ने तारीफ की थी. तब की राजनीति का रूप कुछ अलग था.