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जय-जयकार उत्साह तो बढ़ाती है, लेकिन यह अहंकार भी जन्म देती है, दिल्ली में बोले मोहन भागवत

भागवत ने कहा कि लोगों की सेवा के दौरान आत्म महत्व रास्ते में नहीं आना चाहिए. किसी की भी जयजयकार उत्साह को बढ़ा सकती है, लेकिन यह अहंकार को भी जन्म देती है. यह अनुकूल परिस्थितियों में विनाशकारी है.

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मोहन भागवत ने दिया बड़ा बयान
मोहन भागवत ने दिया बड़ा बयान
स्टोरी हाइलाइट्स
  • भारत को सुपर पावर नहीं, विश्व गुरु बनना चाहिए: भागवत
  • 'जय-जयकार अहंकार को बढ़ावा देती है'

दिल्ली में भारतीय विकास परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने देश को लेकर बड़ा बयान दिया है. आरएसएस प्रमुख ने कहा, 'भारत को सुपर पावर बनने की नहीं बल्कि विश्व गुरु बनने की जरूरत है.' उन्होंने कहा, भारत में हमेशा आंतरिक शांति और मूल्य प्रणाली को अधिक महत्व दिया गया है.

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भागवत ने कहा कि लोगों की सेवा के दौरान आत्म महत्व रास्ते में नहीं आना चाहिए. किसी की भी जय जयकार उत्साह को बढ़ा सकती है, लेकिन यह अहंकार को भी जन्म देती है. यह अनुकूल परिस्थितियों में विनाशकारी है.

सामाजिक कल्याण गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में भागवत ने कहा, सेवा का उद्देश्य आत्म-महत्व प्राप्त करना नहीं  होना चाहिए. उन्होंने कहा, "सेवा का उद्देश्य आत्म-महत्व को बढ़ाना नहीं है.

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि एक ऐसे गतिमान माहौल में अधिक सतर्क रहना होगा. भारतीय संस्कृति और लोकाचार पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया भौतिक सुख और उपभोक्तावाद की गतिशीलता पर चल रही है, जिसे बदलने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, भारत में हमेशा आंतरिक शांति और मूल्य प्रणाली को अधिक महत्व दिया गया है जिसे और विस्तार देने की जरूरत है.

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बता दें कि इससे एक दिन पहले दिल्ली के ही एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा था कि इन दिनों हम जय श्री राम का नारा बहुत जोश में लगाते हैं. इसमें कुछ गलत नहीं है लेकिन हमें भगवान श्री राम के पद चिन्हों पर भी चलने की जरूरत है.

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