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खुद को भगवान बताने वाला नित्यानंद आजकल चर्चा में बना हुआ है. नित्यानंद खुद को 'कैलासा' का संस्थापक बताता है. कैलासा असल में काल्पनिक देश है, लेकिन उसका दावा है कि ये हिंदुओं का इकलौता संप्रभु राष्ट्र है.
संयुक्त राष्ट्र में इस कथित कैलासा की प्रतिनिधि विजयप्रिया नित्यानंद ने दावा किया था कि नित्यानंद के देश की 20 लाख आबादी है और दुनिया के 150 देशों में कैलासा की एम्बेसी या एनजीओ हैं. विजयप्रिया ने संयुक्त राष्ट्र में नित्यानंद को हिंदुओं का 'सर्वोच्च' गुरु बताया और आरोप लगाया कि उसे 'सताया' जा रहा है.
विजयप्रिया ने ये भी कहा कि नित्यानंद और कैलासा की 20 लाख हिंदू प्रवासी आबादी के उत्पीड़न को रोकने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपाय किए जाएं.
पर कैलासा वाला नित्यानंद असल में 'भगोड़ा' है. वो 2019 में भारत से भाग गया था. उस पर दुष्कर्म और किडनैपिंग जैसे कई गंभीर आरोप हैं. न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत से भागने के बाद नित्यानंद ने दक्षिणी अमेरिका के इक्वाडोर में जमीन खरीदी और उसे अलग देश 'कैलासा' घोषित कर दिया.
नित्यानंद... अपराधी या धर्मगुरु?
1 जनवरी 1978 को तमिलनाडु में जन्मे नित्यानंद को लेकर दावा किया जाता है कि उसने 12 साल की उम्र से ही रामकृष्ण मठ में शिक्षा लेना शुरू कर दिया था.
1 जनवरी 2003 को नित्यानंद ने अपना पहला आश्रम बेंगलुरु के पास बिदादी में खोला. बाद में उसने कई सारे और आश्रम खुले.
नित्यानंद सबसे ज्यादा चर्चा में तब आया जब 2010 में उसकी एक अश्लील सीडी सामने आई थी. इस सीडी में वो साउथ सिनेमा की एक एक्ट्रेस के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिख रहा था. इस मामले में उस पर अश्लीलता और धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था. उसे गिरफ्तार भी किया गया था, लेकिन बाद में जमानत पर छोड़ दिया गया.
2010 में ही एक अमेरिकी महिला ने नित्यानंद पर दुष्कर्म का आरोप लगाया. महिला ने दावा किया कि धर्म के नाम पर नित्यानंद ने पांच साल तक उसके साथ दुष्कर्म किया. महिला ने बेंगलुरु के बिदादी पुलिस थाने में ये मामला दर्ज करवाया था. हालांकि, इसका ट्रायल 2018 में शुरू हुआ. लेकिन नित्यानंद कभी अदालत में पेश ही नहीं हुआ.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 में नित्यानंद पर फिर से दुष्कर्म के आरोप लगे. उसे जेल की सजा सुनाई गई थी. बताया जाता है कि उस बवाल के बाद भी नित्यानंद फरार हो गया था, लेकिन कुछ दिन बाद उसने सरेंडर कर दिया था. इसके बाद 2019 में उसपर दो लड़कियों के अपहरण और बंदी बनाए रखने का मामला दर्ज हुआ.
कब भागा नित्यानंद... 2018 या 2019?
नित्यानंद ने भारत कब छोड़ा? इसे लेकर अब भी बहुत कन्फ्यूजन है. ऐसा इसलिए क्योंकि उसका पासपोर्ट 30 सितंबर 2018 को एक्सपायर हो गया था. ऐसे में ये भी सवाल उठता है कि क्या वो एक्सपायर्ड पासपोर्ट का इस्तेमाल करके ही भारत से भाग गया.
नित्यानंद ने भारत छोड़ने से पहले ही सुनवाई में आना बंद कर दिया था. जानकारी के मुताबिक, वो 40 से ज्यादा सुनवाई में पेश नहीं हुआ था. ये भी माना जाता है कि नेपाल के जरिए वो इक्वाडोर पहुंचा था.
जबकि, नवंबर 2019 में गुजरात पुलिस ने हाईकोर्ट में बताया था कि नित्यानंद भारत से भाग गया है. गुजरात पुलिस ने हाईकोर्ट में कन्फर्म किया था कि नित्यानंद विदेश चला गया है.
पर भागा क्यों?
नित्यानंद के खिलाफ पहले ही कई सारे मामले दर्ज थे. लेकिन उसकी मुसीबतें तब और बढ़ गईं, जब गुजरात के जनार्दन शर्मा और उनकी पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. इस याचिका में आरोप लगाया कि नित्यानंद ने उनकी दो बेटियों को जबरन बंदी बना लिया है. उन्होंने अपनी बेटियों की कस्टडी मांगी थी.
इस याचिका में शर्मा ने दावा किया कि उन्होंने 2013 में अपनी चार बेटियों को नित्यानंद के बेंगलुरु स्थित आश्रम में पढ़ने के लिए भेजा था. जिस समय उन्होंने अपनी बेटियों को वहां भेजा, उस समय उनकी उम्र 7 से 15 साल थी.
उन्होंने दावा किया कि इसी बीच उनकी बेटियों को बेंगलुरु के आश्रम से अहमदाबाद के आश्रम में ले जाया गया. जब उन्होंने अपनी बेटियों से मिलना चाहा तो आश्रम के लोगों ने उन्हें उनसे मिलने नहीं दिया. बाद में पुलिस की मदद से शर्मा ने अपनी दो नाबालिग बेटियों को तो वहां से छुड़ा लिया, लेकिन उनकी दो बालिग बेटियों- जनार्धन शर्मा और नंदिता शर्मा ने उनके साथ आने से मना कर दिया.
शर्मा ने आरोप लगाया कि नित्यानंद ने उनकी दो नाबालिग बेटियों का अपहरण किया और दो हफ्तों तक उन्हें जबरन बंधक बनाए रखा. इस दौरान उन्हें सोने भी नहीं दिया गया. इस याचिका में उन्होंने अपनी दो बेटियों की कस्टडी भी मांगी थी. इसके अलावा शर्मा ने आश्रम में रह रहीं नाबालिग लड़कियों की जांच की भी मांग की थी.