देश में 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन पीएम मोदी करेंगे. इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अहम 'सेंगोल' को भी लोकसभा स्पीकर की सीट के पास स्थापित करेंगे. इस सेंगोल को एक निष्पक्ष और न्यायपूर्ण शासन का प्रतीक माना जाता है. सेंगोल को राजा महाराजाओं के समय से सत्ता हस्तांतरण के वक्त इस्तेमाल किया जाता था. इसका भारत के एक प्रतापी राजा से खास कनेक्शन है. ये वही राजा हैं, जिन्होंने एशिया की सबसे बड़ी नौसेना बनाई थी.
बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा, 'इस पवित्र सेंगोल को किसी संग्रहालय में रखना ठीक नहीं है. सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से अधिक उपयुक्त, पवित्र और उचित स्थान कोई हो ही नहीं सकता. इसलिए जब संसद भवन देश को समर्पित होगा, उसी दिन प्रधानमंत्री मोदी जी बड़ी विनम्रता के साथ तमिलनाडु से आए सेंगोल को स्वीकार करेंगे.'
बता दें कि 1947 में अंग्रेजों ने भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण को चिह्नित करने के लिए तमिलनाडु में बने सेंगोल को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंप दिया था. सेंगोल के ऊपर एक 'नंदी' (बैल) से सुशोभित एक सुनहरा राजदंड है और यह बहुत ऐतिहासिक महत्व रखता है क्योंकि यह भारत की स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा जवाहरलाल नेहरू को दिया गया था.
तमिल संगीतकारों के साथ चल सकते हैं पीएम मोदी
सेंगोल को स्थापित करने के क्रम में कुछ औपचारिकताओं को पूरा किया जाएगा. 28 मई को, नए संसद भवन के उद्घाटन के दौरान, सेंगोल को भव्य जुलूस के साथ संसद भवन में ले जाया जाएगा. सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि यह अवसर तमिल परंपरा से जुड़ा होगा. जुलूस का नेतृत्व तमिलनाडु के शास्त्रीय वाद्ययंत्र नादस्वरम बजाने वाले संगीतकारों के एक समूह द्वारा किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तमिल संस्कृति के सार को अपनाते हुए इन संगीतकारों के साथ चलने की उम्मीद है.
परंपराओं का होगा पालन
इसके अलावा, तमिलनाडु में शैव मठों के 'अधीनम' या पुजारी लोकसभा में उपस्थित रहेंगे. लोकसभा में पहुंचने पर, पीएम मोदी पुजारियों का अभिवादन करेंगे. फिर ये पुजारी सेंगोल को पवित्र जल से शुद्ध करेंगे. इसके बाद 'ओडुवार' या तमिल मंदिर के गायक 'कोलरू पाधिगम' मधुरता से इसे पेश करेंगे. इस दौरान नादस्वरम समूह अपनी भावपूर्ण धुनों का जाप करेगा.
इस पवित्र अनुष्ठान के बाद, सेंगोल को पीएम मोदी को सौंप दिया जाएगा, जो नए संसद भवन में स्पीकर की सीट के बगल में एक कांच के बॉक्स में ऐतिहासिक राजदंड स्थापित करेंगे.
क्या है सेंगोल?
आपको बताते चलें कि सेंगोल को हिंदी में राजदंड कहा जाता है. इसका इस्तेमाल चोल साम्राज्य से होता आ रहा है. जब इस साम्राज्य का कोई राजा अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करता था, तो उसे सत्ता हस्तांतरण के रूप में सेंगोल देता था. सेंगोल देने की परंपरा चोल साम्राज्य से ही चली आ रही है. तमिलनाडु और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में इसे निष्पक्ष और न्यायपूर्ण शासन का प्रतीक माना जाता है. कुछ इतिहासकारों का कहना है कि मौर्य और गुप्त वंश में भी सेंगोल का इस्तेमाल हुआ करता था. चोल साम्राज्य के मशहूर शासक राजाराज चोल और उनके बेटे राजेंद्र चोल रहे हैं.