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पाकिस्तान में 'सैयद' टाइटल लगाने पर अहमदिया कम्युनिटी से आने वाला वकील गिरफ्तार

पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के एक सीनियर वकील को अपने नाम के साथ सैयद टाइटल लगाने पर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. इस वकील के खिलाफ उसके साथी वकील ने ही शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायतकर्ता की दलील थी कि आरोपी वकील ने शपथ पत्र में लिखे अपने नाम में सैयद शब्द का इस्तेमाल किया है.

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तस्वीर पाकिस्तान के एकमात्र नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर अब्दुस सलाम की कब्र की है, वह भी अहमदी समुदाय से थे. (फोटो-डॉन न्यूज)
तस्वीर पाकिस्तान के एकमात्र नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर अब्दुस सलाम की कब्र की है, वह भी अहमदी समुदाय से थे. (फोटो-डॉन न्यूज)

पाकिस्तान में एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है, जिसमें एक वकील को सिर्फ इसलिए केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया, क्योंकि उन्होंने अहमदिया समुदाय से ताल्लुक रखने के बाद अपने नाम के साथ 'सैयद' टाइटल का इस्तेमाल किया था. वकील के खिलाफ एफआईआर किसी और ने नहीं, बल्कि उसके ही साथी वकील ने दर्ज कराया है.

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मामला पाकिस्तान के कराची शहर का है. पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट डॉन के मुताबिक वकील के खिलाफ पवित्र स्थानों या लोगों के लिए रिजर्व टाइटल का गलत इस्तेमाल करने का केस दर्ज किया गया है. अहमदिया समुदाय के जिस वकील के खिलाफ एफआईआर की गई है, उसका नाम अली अहमद तारिक है. वहीं, शिकायत करने वाले वकील का नाम मोहम्मद अजहर खान है. अजहर का दावा है कि तारिक ने एक मामले की पैरवी करते समय शपथ पत्र में अपने नाम के साथ 'सैयद' टाइटल का इस्तेमाल किया था.

शिकायत करने वाले वकील का कहना है कि तारिक अहमदिया समुदाय से आते हैं. उन्हें सैयद टाइटल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इस बात की जानकारी होते हुए भी उन्होंने ऐसा किया है, इसलिए तारिक के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाना चाहिए.

इस मामले पर सिटी कोर्ट स्टेशन हाउस ऑफिस (SHO) आदिल खान के मुताबिक अहमदिया समुदाय के लोगों को खुद को मुस्लिम नहीं कहना चाहिए. आदिल ने यह भी कहा कि उन्हें खुद को 'अहले बैत' के रूप में पेश नहीं करना चाहिए. बता दें कि इस्लाम में अहल-ए-बैत का मतलब होता है नबी (पैगंबर) मोहम्मद साहब का वंश वृक्ष (फैमिली ट्री).

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साथी वकील ने ही दर्ज कराई FIR

अली अहमद तारिक के खिलाफ उनके साथी वकील मोहम्मद अजहर खान ने ही केस दर्ज कराया है. अजहर ने शिकायत की है कि तारिक ने शपथ पत्र में खुद को के नाम के साथ 'सैयद' टाइटल जोड़ा है. शिकायद दर्ज होने के बाद पुलिस ने वकील अली अहमद तारिक को गिरफ्तार कर लिया है. उन्हें जल्द ही कोर्ट में पेश किया जाएगा. 

वकील पर पहले भी दर्ज हो चुका है केस

पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के प्रवक्ता आमिर ने तारिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होने पर चिंता जताई है. यह दूसरी बार है, जब एडवोकेट अली अहमद तारिक पर ये आरोप लगे हैं. इससे पहले भी कराची के पुलिस स्टेशन में ही तारिक के खिलाफ केस दर्ज किया गया था.

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत खराब

पाकिस्तान अल्पसंख्यक समुदाय के लिए विश्व का छठा सबसे खतरनाक देश है. हिंदू, सिख, इसाई, धर्म के लोगों के अलावा अहमदिया समुदाय के लोग इस देश में सबसे ज्यादा प्रताड़ित होने वाला अल्पसंख्यक समुदाय है. पाकिस्तान इन मुसलमानों को मुसलमान ही नहीं मानता. उनको कुरान पढ़ने, नमाज अदा करने, अजान, ईद मनाने और यहां तक कि अपने मृत रिश्तेदारों को दफनाने तक की इजाजत नहीं है. भारत में इस वक्त 1.5 लाख से ज्यादा अहमदिया मुस्लिम रहते हैं.

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कानून बनाकर किया जा रहा प्रताड़ित

प्रताड़ना के चलते अहमदिया समुदाय के लोग अब धीरे-धीरे पाकिस्तान से कूच कर रहे हैं. बीते कुछ सालों में पाकिस्तान ने इस समुदाय विशेष की धार्मिक आजादी खत्म करने के लिए बाकायदा कानून बनाए हैं. 1984 को तत्कालीन पाकिस्तान सरकार ने बकायदा एक अध्यादेश जारी करके अहमदिया मुसलमानों पर कुरान शरीफ पढ़ने और उनके मस्जिदों में प्रवेश करने पर पाबंदी लगा दी थी .

पाकिस्तान में अहमदिया गैर मुस्लिम

पाकिस्तान ने 7 सितंबर 1974 को अपने संविधान में दूसरा संशोधन करके अहमदिया संप्रदाय के लोगों को गैर मुस्लिम करार दे दिया था. अब तक अहमदिया मुसलमानों पर कई फिदायीन हमले हो चुके हैं, जिनको पाकिस्तान सरकार की तरफ से प्रायोजित किया गया था. इसका सबसे बड़ा उदाहरण 28 मई 2010 का लाहौर नरसंहार है जिसमें 94 अहमदिया मारे गए थे और 120 घायल हुए थे. यह नरसंहार अहमदिया मुसलमानों की दो मस्जिदों पर तहरीक ए पाकिस्तान द्वारा किए गए फिदायीन हमलों के जरिए किए गए थे.

1974 में सैकड़ों लोगों की गई थी जान

इससे पहले 1953 के लाहौर दंगे और 1974 के अहमदिया विरोधी दंगों में भी सैंकड़ों अहमदिया लोगों की जान ली गई. यह सभी दंगे सुन्नी मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जिहादी संगठनों ने करवाए थे. सूत्रों की माने तो पाकिस्तान में जबरदस्त प्रताड़ना का शिकार हो रहे अहमदिया मुसलमान अब भारत के पडोसी देश नेपाल में भी शरण ले रहे हैं.

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