सिख दंगों (1984) से जुड़े एक मामले में कांग्रेस के पूर्व नेता और सांसद सज्जन कुमार की सजा का ऐलान अब 20 फरवरी को होगा. मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने सज्जन कुमार के लिए सजा-ए-मौत मांगी. पीड़ित पक्ष ने भी इसी सजा की मांग की. हालांकि, अब सजा को लेकर फैसला 20 फरवरी को होगा.
पुलिस ने सजा के संबंध में लिखित दलील पेश की, जिस पर सज्जन कुमार के वकील ने कहा कि हम दिल्ली पुलिस की लिखित दलीलों का जवाब देंगे. सज्जन के वकील ने कहा कि आज वकील हड़ताल पर हैं, इसलिए बहस नहीं हो सकती. बता दें कि सज्जन कुमार को इस मामले में दिल्ली का राउज एवेन्यू कोर्ट पहले ही दोषी करार दे चुका है.
जिस मामले में सज्जन कुमार को सजा सुनाई जानी है, वह दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके का है. यहां 1 नवंबर 1984 को एक सिख पिता जसवंत सिंह और बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी. भीड़ ने दोनों को जिंदा जला दिया था. सज्जन कुमार पर इस भीड़ का नेतृत्व करने का आरोप है.
सिख परिवार के घर में लूटपाट भी हुई
इस घटना के वक्त सिख परिवार के घर में लूटपाट भी की गई और घर में मौजूद दूसरे लोगों को घायल कर दिया गया था. दिल्ली के पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन में यह मामला दर्ज किया था, लेकिन बाद में एक विशेष जांच दल ने इसकी जांच अपने हाथ में ले ली थी. 16 दिसंबर, 2021 को अदालत ने सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय किए थे और उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला सही पाया गया था.
एक केस में बरी, दूसरे में उम्रकैद
सज्जन कुमार के खिलाफ सिख दंगों से जुड़े तीन केस चल रहे हैं, जिसमें से एक में उन्हें बरी किया जा चुका है और दूसरे में 20 फरवरी को उन्हें सजा सुनाई जानी है. साल 2018 में 5 सिखों की हत्या से जुड़े एक मामले में सज्जन कुमार को हाई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके अलावा 12 फरवरी 2025 को दंगे के 40 साल बाद उन्हें 2 सिखों की हत्या से जुड़े मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने दोषी ठहराया है, जिसमें सजा का ऐलान 20 फरवरी को होना है. पूर्व सांसद फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं.
आयोग की सिफारिश के बाद केस
सिख विरोधी दंगों में दोषी ठहराए गए लोगों में सबसे चर्चित चेहरा कांग्रेस नेता सज्जन कुमार हैं. इसके अलावा कई अन्य नेताओं और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है. सीबीआई ने भी साल 2005 में आयोग की सिफारिश के बाद कई आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया साथ ही कई मामलों में चार्जशीट भी दायर की गई, इसके बावजूद अधिकतर दोषियों को सजा नहीं मिल पाई.
240 मामलों को कर दिया गया बंद
सिख दंगों के 41 साल बाद अब तक हत्या से जुड़े सिर्फ 12 मामलों में ही दोष सिद्ध हो सका है. नानावटी आयोग के मुताबिक, 1984 के दंगों के संबंध में दिल्ली में कुल 587 FIR दर्ज की गई थीं, जिसमें 2,733 लोग मारे गए थे, साथ ही उपद्रवियों में करीब दो हजार लोग शामिल थे. पुलिस ने करीब 240 मामलों को अज्ञात बताकर बंद कर दिया और करीब 250 मामलों में लोगों को बरी कर दिया गया.
दर्ज हुए थे दंगा भड़काने के 144 केस
साल 2018 में दंगे से जुड़े 199 मामलों में की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से एसआईटी गठित की गई थी. इस टीम ने अपनी जांच में पाया कि इनमें 54 केस 426 लोगों की हत्या से जुड़े हैं और 31 केस 80 लोगों के गंभीर रूप से घायल होने के हैं. बाकी 114 केस दंगा भड़काने, आगजनी और लूटपाट से संबंधित थे. दंगों से जुड़े कई मामले अभी भी अदालतों में लंबित हैं.