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आखिर शक्तिकांत दास ही क्यों नियुक्त किए गए PM मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी-2, जानें पूरी कहानी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंदीदा अधिकारियों में शामिल शक्तिकांत दास, जो छह साल तक आरबीआई गवर्नर रहे, अब पीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी नियुक्त हुए हैं. जीएसटी और नोटबंदी में अहम भूमिका निभाने वाले दास ने वित्तीय स्थिरता को मजबूत किया और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है. वह 1980 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. जानें आखिर उन्हें क्यों पीएम मोदी का प्रिंसिपल सेक्रेटरी-2 नियुक्त किया गया.

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शक्तिकांत दास, पीएम मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी-2
शक्तिकांत दास, पीएम मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी-2

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में मशहूर है कि वह जिस अधिकारी को पसंद करते हैं, उसे किसी न किसी तरह अपने साथ जोड़े रखते हैं. इन अधिकारियों की लिस्ट में शक्तिकांत दास का नाम भी शामिल है, जो कि छह साल तक रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे, और पिछले साल दिसंबर में रिटायर हुए थे. 

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अब प्रधानमंत्री मोदी के अगले पूरे कार्यकाल के लिए उन्हें प्रिंसिपल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया है, जो एक अन्य प्रिंसिपल सेक्रेटरी पीके मिश्रा के साथ काम करेंगे. केंद्र सरकार की तरफ से जारी एक नोटिफिकेशन में कहा गया है कि शक्तिकांत दास की नियुक्ति प्रधानमंत्री के कार्यकाल तक या अगले आदेश तक जारी रहेगी.

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जीएसटी लागू करने में निभाई अहम भूमिका

पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास ने नोटबंदी और जीएसटी जैसे बड़े सुधारों में अहम भूमिका निभाई थी. मई 2017 में उन्हें आर्थिक मामलों का सचिव नियुक्त किया गया था. इस भूमिका में वह सरकार की तमाम आर्थिक नीतियों के लिए जिम्मेदार थे. उन्होंने आईबीसी और रिकैपिटलाइजेशन और पब्लिक सेक्टर्स बैंक (पीएसबी) के विलय जैसे कई सुधारों को लागू किया.

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शक्तिकांत दास ने जुलाई 2017 में जीएसटी को लागू करने में भी अहम भूमिका निभाई. जीएसटी ने कई इनडायरेक्ट टैक्स की जगह ली. इसका उद्देश्य कर ढांचे को सरल बनाना और कर अनुपालन बढ़ाना था. जीएसटी के सफल इम्प्लीमेंटेशन के लिए राज्यों के साथ कोआर्डिनेशन करने में उनकी अहम भूमिका रही है.

नॉन बैंकिंग फाइनेंस सेक्टर में कैश की कमी को दूर किया

आरबीआई गवर्नर के तौर पर शक्तिकांत दास ने फाइनेंशियल स्टेबिलिटी बनाए रखने और इकोनामिक ग्रोथ को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने नॉन बैंकिंग फाइनेंस सेक्टर में कैश की कमी को दूर करने के लिए कई उपाय किए. बैंकों और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए नियामक ढांचे को मजबूत करने के लिए भी कदम उठाए.

शक्तिकांत दास कई अंतरराष्ट्रीय मंचों में भी शामिल रहे हैं. उन्होंने आईएमएफ, जी20 और ब्रिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. उन्होंने 1991 में भारत के लिए 22 अरब डॉलर के आईएमएफ बेलआउट पैकेज पर बातचीत में अहम भूमिका निभाई थी. वह हैम्बर्ग और ब्यूनस आयर्स में जी20 बैठकों में भारत के शेरपा भी रहे थे.

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कौन है शक्तिकांत दास?

शक्तिकांत दास का जन्म 1957 में ओडिशा में हुआ था. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में ग्रेजुएशन और पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. ​​उन्होंने ब्रिटेन के बर्मिंघम यूनिवर्सिटी से लोक प्रशासन में मास्टर डिग्री भी हासिल की है.

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शक्तिकांत दास 1980 में आईएएस बने. उन्हें तमिलनाडु कैडर मिला था. उन्होंने राज्य सरकार में कई पदों पर काम किया है. जैसे, कामर्शियल टैक्स कमिश्नर और उद्योग के प्रधान सचिव के रूप में काम किया है. बाद में वे केंद्र सरकार में शामिल हो गए, और वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर कार्य किया था. इसके बाद से उनका सफर अब पीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद तक पहुंचा है.

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