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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और पंजाब से किसानों के विरोध को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने को कहा, बंद रहेगा शंभू बॉर्डर

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और पंजाब से किसानों के विरोध को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने को कहा है. बेंच ने कहा, 'हम बातचीत की प्रक्रिया चाहते हैं. हम बातचीत के मामले में एक बहुत ही सहज शुरुआत चाहते हैं, देश में बहुत अनुभवी लोग हैं. कृपया कुछ तटस्थ व्यक्तित्व के बारे में सोचें.

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किसान आंदोलन
किसान आंदोलन

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और पंजाब से किसानों के विरोध को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उनसे तटस्थ व्यक्तियों के नाम सुझाने को कहा, जिन्हें प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत करने के लिए एक समिति में शामिल किया जा सकता है. जस्टिस सूर्यकांत और आर महादेवन की पीठ ने हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के 10 जुलाई के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें राज्य को अंबाला के पास शंभू बॉर्डर पर एक सप्ताह के भीतर बैरिकेड्स हटाने का निर्देश दिया गया था, जहां किसान 12 अगस्त तक डेरा डाले हुए हैं. 

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बेंच ने कहा, 'हम बातचीत की प्रक्रिया चाहते हैं. हम बातचीत के मामले में एक बहुत ही सहज शुरुआत चाहते हैं, देश में बहुत अनुभवी लोग हैं. कृपया कुछ तटस्थ व्यक्तित्व के बारे में सोचें. इससे किसानों में अधिक विश्वास पैदा होगा. वे कहते रहते हैं कि न्यायाधीशों को भी शामिल किया जाना चाहिए, न्यायाधीश विशेषज्ञ नहीं हैं, लेकिन पूर्व न्यायाधीश हैं, और बार के सदस्य भी हो सकते हैं. इसे हल करने का प्रयास करें.' 

पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि किसानों में विश्वास जगाने की जरूरत है और हरियाणा तथा पंजाब राज्यों से तटस्थ व्यक्तित्वों के नाम सुझाने को कहा, जो किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए समिति का गठन कर सकें.

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने पीठ को बताया कि समिति के लिए आम नाम सुझाने की प्रक्रिया चल रही है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि शम्भू बॉर्डर बंद रहेगा.

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न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने केंद्र और पंजाब दोनों से पूछा, 'क्या आप यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई ट्रैक्टर न आए, क्या आप प्रभारी को यह बताने की स्थिति में हैं कि ये वाहन वरिष्ठ नागरिकों के हैं, छात्रों को इसकी जरूरत हो सकती है, महिलाओं को भी सुरक्षा कारणों से इसकी जरूरत है. हम यह भी सिफारिश कर रहे हैं कि ऐसा होना चाहिए. अगर कोई व्यक्ति किसी चिकित्सा सुविधा के लिए एम्बुलेंस से करनाल या अंबाला जा रहा है. वे भी हमारे भाई-बहन हैं. प्रस्ताव लेकर आएं. अगर दोनों राज्य ऐसा करते हैं तो हम इसका स्वागत करेंगे, अन्यथा हम यह जिम्मेदारी लेंगे.'

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