एअर इंडिया ने पेशाब कांड मामले की आंतरिक जांच के बाद कहा है कि 34 साल के आरोपी शंकर मिश्रा को ज्यादा शराब नहीं परोसी गई थी. एअरलाइन ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि शंकर मिश्रा बहुत ज्यादा नशे में नहीं दिखे थे. उन्होंने फ्लाइट की सुरक्षा में कोई भी जोखिम पैदा नहीं किया था.
एअर इंडिया ने स्वीकार किया कि सिविल एविएशन रिक्वायरमेंट (CAR) के नियमों के मुताबिक इस घटना को सही ढंग से कैटेगराइज नहीं किया था. साथ ही कहा कि फ्लाइट क्रू और ग्राउंड स्टाफ को चेतावनी दी गई है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करते समय सीएआर की गाइडलाइन का सख्ती से पालन किया जाए.
एअरलाइन ने कहा कि केबिन क्रू और ग्राउंड स्टाफ की काउंसलिंग की गई है और वे ड्यूटी पर लौट आए हैं. एयर इंडिया ने जांच की वजह से चार केबिन क्रू मेंबर्स सदस्यों और एक पायलट को डी-रोस्ट कर दिया था.
महिला ने कहा कि जब उसने सीट बदलने के लिए कहा तो उसे बताया गया कि फिलहाल कोई सीट उपलब्ध नहीं है. उसने यह भी कहा कि उसे करीब दो घंटे तक गंदी सीट पर बैठाया गया.
विमान में घटी घटनाओं का सिलसिलेवार ब्योरा देते हुए एअरलाइन ने कहा कि पेशाबकांड के बाद शिकायतकर्ता ने चालक दल से संपर्क किया था. इसमें कहा गया था कि चालक दल ने शिकायतकर्ता के आरोप के बाद उसे नए कपड़े दिए. उसके सामान को साफ करने में मदद की और उसे दूसरी बिजनेस क्लास सीट पर शिफ्ट किया गया था.
एअर इंडिया ने यह भी कहा कि जब चालक दल ने शंकर मिश्रा से इस आरोप को लेकर शंकर मिश्रा से बात की वह शांत था और उसने प्रारंभिक पूछताछ में सहयोग भी किया.
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने इस घटना के लिए एअर इंडिया पर 30 लाख रुपये और ए्रलाइन के फ्लाइट सर्विस डायरेक्टर पर 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. विमानन नियामक ने उड़ान के पायलट-इन-कमांड के लाइसेंस को भी तीन महीने की अवधि के लिए निलंबित कर दिया है.
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