एक तरफ विपक्षी एकता की बात करते हुए गैर बीजेपी दलों का गठबंधन किसी तरह 'I.N.D.I.A.' नाम के अम्ब्रेला के नीचे आया है, लेकिन इसी गुट का सबसे वयोवृद्ध नेता लगातार लीक से हटता दिख रहा है. यहां बात हो रही है, एनसीपी चीफ शरद पवार की, जिन्होंने बीते महीने ही राजनीतिक बगावत का सामना किया है. हालांकि इस बगावत को लेकर भी कई तरह की बातें कही गई थीं, लेकिन अभी जो मुश्किल सामने आ रही है, वह यह है कि आखिर शरद पवार और भतीजे अजित पवार में लगातार क्यों मुलाकातें हो रही हैं? जाहिर है ये सवाल अभी हाल ही में 12 अगस्त की सीक्रेट मीटिंग के बाद ज्यादा ही जोर पकड़ता दिखा है, जब एक बार फिर शरद पवार और भतीजे अजित पवार की सीक्रेट मीटिंग एक बिजनेसमैन के घर हुई. बता दें कि बगावत के 43 दिनों में शरद-अजित के बीच ये चौथी मुलाकात है, लिहाजा महाराष्ट्र की राजनीति में सवालिया निशान हवा में तैर रहा है.
बिजनेसमैन के घर हुई सीक्रेट मीटिंग
हुआ यूं कि बीते शनिवार शरद पवार और अजित पवार के बीच बिजनेसमैन अतुल चोर्डिया के घर सीक्रेट मीटिंग हुई. शनिवार को पुणे में उनकी 'सीक्रेट' मीटिंग के बारे में पूछे जाने पर शरद पवार ने कहा कि मैं आपको एक तथ्य बताना चाहता हूं कि वह मेरे भतीजे हैं. मेरे भतीजे से मिलने में क्या बुराई है? यदि परिवार का कोई वरिष्ठ व्यक्ति परिवार के किसी अन्य सदस्य से मिलना चाहता है, तो इसमें कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. हालांकि उन्होंने इसके आगे एक और बात जोड़कर खुद ही नई अटकलों को हवा भी दे दी. एनसीपी चीफ ने कहा कि उनकी पार्टी भाजपा के साथ नहीं जाएगी, हालांकि कुछ शुभचिंतक उन्हें इसके लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं. उनकी इस बात से विपक्षी एकता में एक बार फिर हलचल पैदा होने लगी है.
बीजेपी के साथ नहीं जाएगी NCP: शरद पवार
रविवार को महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के सांगोला में पवार ने कहा कि बीजेपी के साथ किसी भी तरह का गठबंधन NCP की नीति में फिट नहीं बैठता है. पवार ने कहा कि एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मैं यह स्पष्ट कर रहा हूं कि मेरी पार्टी (NCP) बीजेपी के साथ नहीं जाएगी. पवार ने कहा कि हममें से कुछ (अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट) लोगों ने एक अलग रुख अपनाया है. अब हमारे कुछ शुभचिंतक यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या हमारे रुख में कोई बदलाव हो सकता है. यही कारण है कि वे सौहार्दपूर्ण चर्चा करने की कोशिश कर रहे हैं.
जुलाई में भी हुई थी शरद-अजित के बीच मुलाकातें
यह पहली बार नहीं है, जब शरद पवार और अजित पवार की मुलाकात हुई है. इससे पहले वाईबी चव्हाण सेंटर इन दोनों की मुलाकात का गवाह बना था. मध्य जुलाई में (15 से 18 जुलाई के बीच) भी दोनों के बीच तीन मुलाकातें हुई थीं. चाचा से बगावत के बाद भतीजे और उनके गुट की शरद पवार से तब लगातार तीन मुलाकातें हुई थीं. लगातार तीन दिनों में तीन मुलाकातों के सिलसिले से शरद पवार गुट के साथ जुड़ी कांग्रेस को आपत्ति होने लगी थी. कांग्रेस की नेता और पूर्व मंत्री यशोमति ठाकुर ने ऐतराज जताते हुए कहा था कि, 'यह मुलाकात का सिलसिला गलत है. शरद पवार को इस मुद्दे पर अपनी भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए.'
चाची का हाल जानने आए थे अजित और लगातार की तीन मीटिंग
बता दें कि उस रोज भी शनिवार का ही दिन था. अजित पवार, अपनी चाची प्रतिभा पवार (शरद पवार की पत्नी) का हाल जानने सिल्वर ओक गए थे. अजित पवार ने इस मुलाकात के बाद कहा था कि राजनीति अलग है और परिवार अलग है. इसके बाद वाईबी चव्हाण सेंटर में रविवार को अजित पवार और उनके मंत्रियों ने शरद पवार से मुलाकात की थी और उनसे माफी मांगी थी, फिर समर्थन और आशीर्वाद भी मांगा. हालांकि, शरद पवार ने अजित पवार और उनके मंत्रियों को कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन अगले ही दिन यानी सोमवार को एकबार फिर अजित पवार अपने विधायकों संग शरद पवार से मिलने के लिए पहुंचे थे.
प्रफुल्ल पटेल ने कही थी ये बात
इस मुलाकात की प्रेस ब्रीफिंग करते हुए अजित गुट के एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा था कि, 'अजित पवार और विधिमंडल में एनसीपी के विधायक शरद पवार साहेब का आशीर्वाद लेने के लिए आए थे. हमने शरद पवार साहेब से अपील की है कि पार्टी एकसाथ रहनी चाहिए. इस आशीर्वाद के साथ हम वापस जा रहे हैं. उन्होंने हमारी बात सुनी लेकिन कुछ जवाब नहीं दिया. फिलहाल उनके मन में क्या है यह कहना मुश्किल है.'
क्यों बार-बार हो रही शरद और अजित पवार की मीटिंग?
तब भी सवाल ये उठे थे कि अजित पवार और उनका गुट बगावत करने के बाद बार-बार क्यों शरद पवार के सामने नतमस्तक मोड में आ रहा है. प्रफुल्ल पटेल माफी मांगने, आशीर्वाद लेने और पार्टी एकसाथ रहनी चाहिए, जैसी बातें क्यों कर रहे थे? शरद पवार खेमे के नेता जयंत पाटिल ने अजित पवार खेमे की शरद पवार से मुलाकात पर मीडिया से बात करते हुए कहा था कि अजित पवार अपने समर्थक विधायकों और एमएलसी के साथ शरद पवार से मिले. उनमें से अधिकांश ने उनके पैर छुए और आशीर्वाद मांगा है. एनसीपी विपक्ष में है. उन्होंने चल रहे मुद्दों के बीच कोई बीच का रास्ता निकालने की मांग की. उनकी विश्वसनीयता पर संदेह होने का सवाल ही नहीं उठता. यदि कोई उनसे मिलना चाहता है तो वे आने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन शरद पवार अपने रुख पर कायम हैं.
शरद पवार ने कहा कि एनसीपी और कांग्रेस ने पिछला चुनाव साथ मिलकर लड़ा था. इसलिए वैचारिक रुख नहीं बदला जा सकता. उन्होंने उन विधायकों से आग्रह किया कि यदि उनके पास कोई समाधान है तो वे इसका प्रस्ताव दें. इन मुलाकातों के पीछे एक वजह तो यह तलाशी गई थी कि बगावत के बाद अजित पवार समेत जिन आठ विधायकों ने मंत्रिपद की शपथ ली है, उनके ऊपर अपात्रता का संकट मंडरा रहा है. इस मसले को हल करने के लिए अजित पवार सभी विधायकों समेत शरद पवार से मुलाकात कर रहे हैं.
हो सकता है कि शनिवार को बिजनेसमैन अतुल चोर्डिया के घर हुई बैठक के पीछे भी ऐसी ही बातें होंगी, लेकिन बार-बार मुलाकातों के इस सिलसिले से विपक्षी एकता के गठबंधन की मूल भावना को चोट तो पहुंच रही है, साथ ही ये भी सवाल बार-बार उठ रहा है कि आखिर एनसीपी चीफ के मन में असल में क्या चल रहा है. आखिर बड़े पवार लीक से बार-बार हट क्यों रहे हैं?
तिलक ट्रस्ट के कार्यक्रम में पहुंचे थे पवार
इसकी एक बानगी अभी हाल ही में तिलक ट्रस्ट के कार्यक्रम में भी दिखी थी. विपक्षी दलों की दो बार की हुई बैठक के बाद जहां एक नाम I.N.D.I.A तय हुआ है और सभी इसके बैनर तले आए हैं, तो वहीं शरद पवार इस संगठन की मूल भावना से परे जाकर उस समारोह का हिस्सा बने, जिसमें पीएम मोदी को सम्मानित किया गया. ऐसे में तब भी ये सवाल उठे थे कि शरद पवार का क्या रुख है, और उनका इस कार्यक्रम में शामिल होने का मकसद क्या है, इसे लेकर वह अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं. उनके इस फैसले से कांग्रेस में नाराजगी तो थी ही, तो वहीं विपक्षी गठबंधन भी संशय में था.
कांग्रेस और एमवीए की इच्छा के विरुद्ध शरद पवार समारोह में हुए थे शामिल
एक रिपोर्ट के मुताबिक, नए बने विपक्षी गठबंधन में इस समारोह को लेकर और इसमें शरद पवार के इसमें शामिल होने के फैसले पर चिंता जताई थी. कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खड़गे को इस बारे में सुझाव दिए गए थे कि वह एनसीपी चीफ से बात कर इस समारोह में शामिल न होने के लिए उन्हें मनाएं. उनका मानना था कि विपक्षी दल 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सामने चुनावी समर में साथ आने के लिए तैयार हो रहे हैं तो ऐसे में प्रधानमंत्री के साथ पवार का मंच साझा करना एक गलत मैसेज दे सकता है. अंदरखाने महाविकास अघाड़ी की भी ऐसी ही राय सामने आई थी. हालांकि इन सबके बावजूद शरद पवार इस समारोह का न सिर्फ हिस्सा बने, बल्कि उन्होंने पीएम मोदी के साथ मंच भी साझा किया था.
पहली बार अलग राह नहीं चले हैं शरद पवार
वैसे यह पहली बार नहीं है कि एनसीपी चीफ शरद पवार विपक्ष और विपक्षी एकता के मुद्दों से किनारा करते आए हैं या फिर उस लीक से ही अलग हट गए हैं, जिस पर पार्टी या गठबंधन का एजेंडा सेट होता रहा है. बात करें पीएम मोदी की डिग्री की तो इसे आम आदमी पार्टी और शिवसेना के उद्धव गुट ने फिर से उछाला था. कांग्रेस का इस मुद्दे पर मौन समर्थन था, लेकिन शरद पवार ने इस मसले पर दो टूक कह दिया कि 'केंद्र सरकार को बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, महंगाई जैसे मुद्दों पर घेरा जाना चाहिए या फिर जो अन्य अहम मुद्दे हैं, उन पर बात होनी चाहिए. उन्होंने पीएम की डिग्री वाले मुद्दे को सिरे से खारिज कर दिया था. लेकिन अब ताजा मुद्दा ये है कि उनके और अजित पवार के बीच समय-समय पर हो रही इस मीटिंग का राज क्या है? इसे कोई डीकोड नहीं कर पा रहा है. लिहाजा अभी इस मामले पर संशय से अधिक कुछ हासिल नहीं है.