NCP अध्यक्ष शरद पवार ने बुधवार को कहा कि उन्हें 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है. उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह समझना मुश्किल है कि पार्टी इस मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए कर रही है या नहीं. राम मंदिर का उद्घाटन 22 जनवरी को किया जाएगा, जिसमें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और 6,000 से अधिक लोगों के "प्राण प्रतिष्ठा" व राम लला की मूर्ति के अभिषेक समारोह में शामिल होने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा, ''पता नहीं कि वह (भाजपा) इस मुद्दे का इस्तेमाल राजनीतिक या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए कर रही है. हमें खुशी है कि मंदिर बन रहा है, जिसके लिए कई लोगों ने योगदान दिया है.''
नहीं भेजा गया समारोह का आमंत्रण
बता दें कि शरद पवार, विपक्षी नेताओं के गठबंधन में वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं, हालांकि कई दफा उनका रुख इंडिया ब्लॉक से इतर रहा है. ऐसे में अभी तक उनके अयोध्या जाने की प्लानिंग को लेकर सस्पेंस बना हुआ था. हालांकि शरद पवार ने साफ किया है कि उन्हें इस समारोह का आमंत्रण नहीं भेजा गया है.
इंडिया ब्लॉक से इस बात से खफा हुए हैं पवार
बता दें कि बीते दिनों, विपक्षी दलों के अलायंस इंडिया ब्लॉक की चौथी बैठक दिल्ली में हुई थी. इस बैठक में भी कुछ खास हासिल नहीं हो सका और गठबंधन नेताओं के बीच रार भी बढ़ ही गई है. दरअसल इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पीएम फेस घोषित करने का प्रस्ताव रखा गया था, जिस पर शुरू हुई रार खत्म नहीं हो रही है. जदयू नेता नीतीश कुमार तो नाराज थे ही, फिर खबर आई कि, एनसीपी चीफ शरद पवार भी खफा हैं.
एनसीपी चीफ ने क्या कहा?
शरद पवार ने अपनी बात को इशारे में कहा है. उन्होंने कहा, 1977 के लोकसभा चुनाव (इमरजेंसी के बाद) के दौरान प्रधानमंत्री पद का फेस घोषित नहीं किया गया था. पवार ने कहा, चुनाव के बाद विपक्ष की तरफ से मोराराजी देसाई को प्रधानमंत्री बनाया गया था. उस समय भी कहा गया था कि अगर कोई चेहरा सामने नहीं लाएंगे तो नतीजे भी पक्ष में नहीं होंगे. शरद पवार ने आगे कहा, अगर लोग बदलाव के मूड में हैं तो वे जरूर बदलाव लाने के लिए निर्णय लेंगे.