कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद विपक्षी एकता को एक बार फिर पंख लग गए हैं. राज्यों में विपक्ष के नेताओं की इसे लेकर चहलकदमी बढ़ गई है और एक बार फिर से हाथ से हाथ मिलाने, कंधे से कंधा जोड़कर चलने और एक साथ उठ खड़े होने जैसी कवायद शुरू हो गई हैं. मुलाकातों के दौर बढ़ गए हैं और तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं. कुल मिलाकर बहुत तेजी से विपक्षी एकता का छाता ताना जा रहा है, देखना ये है कि इस छाते के तले कौन कौन आ रहा है. इन सब कवायदों के बीच सबसे अहम है शरद पवार का बयान. सोमवार को उन्होंने एक बार फिर इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है और यह भी कह दिया वह प्रधानमंत्री की रेस में नहीं हैं.
मैं पीएम बनने की रेस में नहींः शरद पवार
जानकारी के मुताबिक, मुंबई में शरद पवार ने कहा, 'मेरी कोशिश विपक्ष को साथ लाने की है, ऐसी ही कोशिश बिहार के सीएम नीतीश कुमार कर रहे हैं.' इसके साथ ही एनसीपी चीफ ने कहा कि वे अगला चुनाव नहीं लड़ रहे हैं तो पीएम उम्मीदवार बनने का सवाल ही कहां है. शरद पवार ने साफ किया किया कि वह पीएम बनने की रेस में नहीं हैं, उन्होंने कहा कि 'हमें ऐसा नेतृत्व चाहिए जो देश के विकास के लिए काम कर सके.'
राहुल गांधी की तारीफ की
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत पर पवार ने राहुल गांधी की तारीफ भी की. इस दौरान उन्होंने कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे राहुल गांधी की पदयात्रा की सफलता का सबसे अच्छा उदाहरण हैं. राहुल गांधी के बारे में कोई कुछ भी कहे, मुझे यकीन है कि लोग राहुल गांधी की विचारधारा को मजबूत करेंगे. हालांकि बीते दिनों में कई मौकों पर एनसीपी चीफ शरद पवार ने सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन अप्रत्यक्ष तरीके से राहुल गांधी का उन मुद्दों पर साथ नहीं दिया था, जिनके जरिए वह पीएम मोदी को घेरना चाह रहे थे. इनमें अडानी मामला, सावरकर विवाद जैसे मामले प्रमुखता से शामिल थे.
सरकार पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप
सोमवार को, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा राज्य के एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल से पूछताछ का जिक्र करते हुए, पवार ने सरकार की आलोचना की. उन्होंने यह कहते हुए केंद्रीय जांच एजेंसियों के घोर दुरुपयोग का आरोप लगाया कि इसके जरिए सरकार विपक्षी नेताओं को परेशान करने की मंशा रखती है. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि भाजपा एनसीपी का इस तरीके से उत्पीड़न कर हमसे कुछ हासिल करना चाहती हो, हम उन्हें संतुष्ट नहीं करने जा रहे हैं.
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शरद पवार ने कहा कि ईडी, सीबीआई का जिस तरह से गलत उपयोग किया जा रहा है इसका उदाहरण महाराष्ट्र में दिख रहा है. हमारे पास एक लिस्ट है. एनसीपी के 10 नेताओं को एन्क्वायरी के लिए बुलाया गया. अनिल देशमुख को 13-14 महीने जेल में रखा. शुरुआत में उनपर शिक्षण संस्था के लिए 100 करोड़ रुपये लेने का केस लगाया था और एन्क्वायरी के बाद जो आरोपपत्र दाखिल किया तो 100 करोड़ की रकम 1.5 करोड़ पर आ गई. यह सब अतिरंजित आरोप है. परमबीर सिंह पर कितने केस हैं, उसकी एन्क्वायरी सरकार को करनी चाहिए.
शरद पवार ने नोटबंदी पर भी बात की. कहा कि नोटबंदी के संदर्भ में जो डिसिजन लिया गया है वह एक तरह से मनमर्जी के मुताबिक निर्णय लेने जैसा है. पिछली बार भी ऐसा ही निर्णय लिया और उस वजह से लोगों का बड़ा नुकसान हुआ है.
'हम सभी एकजुट होकर कर रहे काम'
कथित तौर पर महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के सहयोगियों कांग्रेस एनसीपी शिवसेना (उद्धव गुट) को परेशान कर रहे सीट बंटवारे के मुद्दों पर चर्चा करते हुए, पवार ने मीडिया की सभी अटकलों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि अब तक तीनों पक्षों द्वारा(सीट बंटवारे के) मामले पर चर्चा नहीं की गई है. उन्होंने कहा, हम सभी एकजुट होकर काम कर रहे हैं. एमवीए सहयोगी जल्द ही एक साथ बैठेंगे और आगामी बीएमसी चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे पर चर्चा करेंगे.
विपक्षी एकता के लिए कही अहम बातें
इस पूरी बातचीत में शरद पवार ने जो बातें विपक्षी एकता के लिए कही हैं, वह सबसे अधिक अहम है. उन्होंने कहा कि, 'हम सब लोग साथ बैठेंगे. जनता ने शक्ति और साथ दिया तो उससे हम आगे बढ़ेंगे. मेरी जिम्मेदारी उनका साथ देना, शक्ति देना और मदद करना है. उन्होंने कहा कि, हम सब लोग चर्चा कर रहे हैं. कल (आगामी दिन) दिल्ली और पंजाब के सीएम उद्धव ठाकरे और मुझसे मिलनेवाले हैं. इससे पहले बिहार के सीएम और डिप्टी सीएम मिले. हम बंगलुरु गए थे. वहां भी विरोधी पार्टीयों के नेताओं से बात हुई.सबकी यह इच्छा है कि साथ बैठकर आगे की रणनीती तय करें. हम जल्द ही एक नीति तय करने के विचार में हैं. हम सब विरोधी दलों से बात कर रहे हैं. मुझे चुनाव नहीं लड़ना है. मुझे इन सब नेताओं को साथ में लाने के लिए काम करना है. मेरा प्रयास जारी है. नीतीश कुमार भी वही काम कर रहे हैं. '
सीएम नीतीश ने खड़गे से की मुलाकात
उधर, सोमवार को ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से दिल्ली में मुलाकात की है. दूसरी ओर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात की और फिर सामने आया है कि जल्द ही विपक्षी दलों की एक बड़ी बैठक होगी. इस बैठक की तारीख और स्थान की घोषणा एक से दो दिनों के भीतर की जाएगी. कांग्रेस महासचिव ने साफ किया कि बैठक में बड़ी संख्या में पार्टियां हिस्सा लेंगी.
खड़गे ने किया ट्वीट
वहीं, सीएम नीतीश की मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात पर जदयू नेता ललन सिंह ने कहा कि हमने विपक्षी एकता पर विस्तार से चर्चा की है. जगह, समय, तारीख और बैठक में कौन शामिल होगा इसका निर्णय और घोषणा एक या दो दिनों के भीतर की जाएगी. इस मुलाकात के बाद, मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट में लिखा, 'अब एकजुट होगा देश, ‘लोकतंत्र की मज़बूती’ ही हमारा संदेश!. खड़गे ने लिखा कि राहुल गांधी और हमने आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ वर्तमान राजनैतिक स्थिति पर चर्चा कर देश को एक नई दिशा देने की प्रकिया को आगे बढ़ाया.
'एकजुट विपक्ष मिशन' पर निकले हैं नीतीश कुमार
सीएम नीतीश एक बार फिर एकजुट विपक्ष वाले मिशन पर निकल चुके हैं. कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद यह खड़गे से व्यक्तिगत तौर पर उनकी पहली मुलाकात थी. उन्होंने गैर बीजेपी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिशें फिर से तेज कर दी हैं. नीतीश कुमार ने एक दिन पहले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात की थी.
कांग्रेस -आप की खाई पाटने की भी कोशिश
वहीं यह भी सामने आ रहा था कि सीएम नीतीश, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे से मुलाकात के जरिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच की खाई को भी पाटने की कोशिश में जुटेंगे. असल में कांग्रेस ने कर्नाटक में नई सरकार के शपथ ग्रहण में केजरीवाल को नहीं बुलाया था और इसे विपक्षी एकता में एक दरार के तौर पर देखा गया था. उधर, सूत्रों के हवाले से सामने आया था कि कांग्रेस दिल्ली सरकार के अध्यादेश वाले मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल को समर्थन दे सकती है, लेकिन कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस पर स्थिति स्पष्ट कर दी.
अध्यादेश मामले पर कांग्रेस ने स्पष्ट की स्थिति
सूत्रों के दावों के बाद कांग्रेस संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट किया कि कांग्रेस ने अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में दिल्ली सरकार की शक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ केंद्र की ओर से लाए गए अध्यादेश के मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया है. पार्टी अपनी राज्य इकाइयों और अन्य समान विचारधारा वाले दलों से परामर्श करेगी. पार्टी कानून के शासन में विश्वास करती है और साथ ही किसी भी राजनीतिक दल की ओर से राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ झूठ पर आधारित अनावश्यक टकराव और अभियानों को नजरअंदाज नहीं करती है.