कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मणिपुर में आदिवासियों और प्रभावशाली मैतेई समुदाय के सदस्यों के बीच संघर्ष को लेकर BJP पर निशाना साधा है. उन्होंर पूर्वोत्तर राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग की है. थरूर ने दावा किया कि हिंसा को देखते हुए भाजपा को सत्ता में वापस लाने के एक साल बाद मणिपुर के मतदाता 'घोर विश्वासघात' महसूस कर रहे हैं.
गौरतलब है कि 3 मई को इम्फाल घाटी स्थित मैतेई और पहाड़ी स्थित कुकीज़ के बीच झड़पें हुईं, जिसमें सशस्त्र भीड़ ने गांवों पर हमला किया, घरों में आग लगा दी और दुकानों में तोड़फोड़ की. जिस वजह से सरकार को मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने और हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में धारा 144 लगाना पड़ा.
थरूर ने ट्विटर पर लिखा, 'जैसा कि मणिपुर में हिंसा जारी है, सभी सही सोच वाले भारतीयों को खुद से पूछना चाहिए कि जिस सुशासन का वादा किया गया था, उसका क्या हुआ.'
उन्होंने कहा, 'मणिपुर के मतदाता अपने राज्य में भाजपा को सत्ता में लाने के एक साल बाद घोर विश्वासघात महसूस कर रहे हैं. यह राष्ट्रपति शासन का समय है; राज्य सरकार उस काम के लिए तैयार नहीं है जिसके लिए उन्हें चुना गया है.'
54 लोगों की जान जा चुकी है
मणिपुर में सुलगी हिंसा में कई लोगों की जान चली गई है. न्यूज एजेंसी पीटीआई ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया कि मणिपुर अब तक 54 लोगों की जान जा चुकी है. पीटीआई ने बताया कि 54 मृतकों में 16 शव चुराचंदपुर जिला अस्पताल के मुर्दाघर में रखे गए हैं, जबकि 15 शव इम्फाल ईस्ट के जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान में हैं. इसके अलावा इंफाल पश्चिम के लाम्फेल में क्षेत्रीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान ने 23 लोगों के मरने की पुष्टि की है.
रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि तनावग्रस्त इलाकों में फंसे कुल 13,000 लोगों को सुरक्षित निकालकर सेना के शिविरों में पहुंचा दिया गया है. सेना के पीआरओ ने बताया कि सुरक्षा बलों के तुरंत एक्शन के कारण हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों के विभिन्न अल्पसंख्यक इलाकों से लोगों को बचाया गया. चुराचांदपुर, कांगपोकपी, मोरेह और काकचिंग में हालात अब पूरी तरह से काबू में हैं.