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कांवड़ यात्रा के बहाने शिवसेना का UP सरकार पर तंज, '...तो क्या पुष्कर सिंह धामी को हिन्दू विरोधी बताएंगे?'

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए योगी सरकार की कांवड़ यात्रा को मंजूरी देने वाले फैसले पर निशाना साधा है. कोरोना काल में धार्मिक यात्रा से कोविड संक्रमण बढ़ने और स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल होने की आशंका भी सामना में जाहिर की गई है.

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कांवड़ यात्रा की मंजूरी से चिंतित है शिवसेना (फाइल फोटो-PTI)
कांवड़ यात्रा की मंजूरी से चिंतित है शिवसेना (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सामना में BJP पर उकसाने का आरोप
  • दूसरी लहर में गंगा में तैरते शवों का जिक्र
  • कांवड़ यात्रा को रोक देने की सीएम योगी से अपील

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर कांवड़ यात्रा को मंजूरी देने के फैसले पर निशाना साधा है. सामना में लिखा गया है कि योगी आदित्यनाथ ने कोरोना की तीसरी लहर का खतरा होने के बाद भी कांवड़ यात्रा को मंजूरी दी है.

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सामना में कहा गया है कि इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाई है. कांवड़ यात्रा हिंदुओं की श्रद्धा का विषय है, यह स्वीकार है लेकिन कुंभ मेले से लेकर कांवड़ यात्रा तक, भीड़ का सैलाब आता है. उस बाढ़ में अंतत: भक्तों के ही शव बहते हैं.

शिवसेना ने सामना में कहा है कि उत्तराखंड सरकार ने कोरोना काल में कांवड़ यात्रा पर रोक लगाने के फैसले का ऐलान किया है. दोनों ही भारतीय जनता पार्टी(BJP) शासित राज्य हैं. दोनों में दो अलग-अलग मत नजर आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार हस्तक्षेप किया, यह महत्वपूर्ण है. महाराष्ट्र के भाजपाई नेता क्या इससे कुछ सीखेंगे? 

सामना में महाराष्ट्र की पंढरपुर की वारी यात्रा पर भी सवाल दागे गए हैं. बीजेपी नेताओं पर निशाना साधते हुए लिखा है कि बीजेपी नेता चाहते हैं कि पंढरपुर की यात्रा को अनुमति दी जाए. बीजेपी नेता वारकरी संप्रदाय के कुछ प्रमुख लोगों को उकसाकर ‘वारी’ के लिए आंदोलन करा रहे हैं. ये लोगों की जान से खेलने की ही अघोरी प्रवृत्ति है. महाराष्ट्र सरकार ने श्रद्धा व भावना से प्रभावित होकर माऊली की ‘वारी’ की अनुमति दी होती तो सुप्रीम कोर्ट ने उस निर्णय पर आपत्ति जताई ही होती, यह उत्तर प्रदेश की घटना से साफ नजर आता है. 

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क्या बीजेपी कार्यकर्ता देंगे पीएम मोदी-सुप्रीम कोर्ट को धमकी?

शिवसेना ने सामना में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना की तीसरी लहर के संदर्भ में लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी दी है. सुप्रीम कोर्ट को भी यह बार-बार कहना पड़ रहा है. प्रधानमंत्री कह रहे हैं फिर भी महाराष्ट्र के भाजपाई नेता होश में नहीं आ रहे हैं, इस पर हैरानी होती है. पंढरपुर की ‘वारी’ जिस प्रकार श्रद्धा का विषय है, उसी प्रकार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा का महत्व है. अब उसी श्रद्धा का मान रखते हुए भाजपाई लोग ‘कांवड़ यात्रा की अनुमति दो, अन्यथा आंदोलन करेंगे,’ ऐसी धमकी देंगे क्या? यह धमकी या तो सुप्रीम कोर्ट को होगी अन्यथा सीधे प्रधानमंत्री को ही होगी.

खतरनाक है कांवड़ यात्रा को मंजूरी देने का फैसला!

शिवसेना ने सामना के जरिए कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांवड़ यात्रा रद्द करने का निर्णय लिया, यह बुद्धिमत्तापूर्ण फैसला है. तो क्या पुष्कर सिंह धामी को हिंदू विरोधी बताकर, उन्हें भगाने की मांग की जाएगी?  सुप्रीम कोर्ट ने साफ ही कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा को अनुमति देने का निर्णय खतरनाक है. कोरोना के संदर्भ में जरा-सी भी ढील या जोड़-तोड़ नहीं चलेगी.

कावंड़ यात्रा के लिए आते हैं 14 राज्यो ंसे श्रद्धालु

शिवसेना का कहना है कि कांवड़ यात्रा के लिए सिर्फ उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड राज्यों से ही नहीं, बल्कि कुल 14 राज्यों से श्रद्धालु आते-जाते हैं.  2019 की कांवड़ यात्रा के लिए साढ़े तीन करोड़ लोग हरिद्वार गए थे. उसी समय यात्रा के उपलक्ष्य में 2 से 23 करोड़ लोग उत्तर प्रदेश के अलग-अलग तीर्थस्थलों पर पहुंचे थे. इस बार भी ऐसी ही भीड़ जुटेगी. ऐसा होने से कोरोना तो आएगा ही है, साथ ही कोरोना प्रोटोकॉल को मनवाने और सुरक्षा व्यवस्था के सामने भी चुनौती खड़ी होगी.

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घर पर ही करें धार्मिक अनुष्ठान!

शिवसेना ने सामना में कहा कि मौजूदा कांवड़ यात्रा 24 जुलाई से 6 अगस्त के बीच होगी. पुलिस ने साफ निर्देश दिया है कि यात्रा के लिए आने वाला कोई भी शख्स कोविड नियमों को तोड़ेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. कानून और सही व्यवस्था की दिक्कत पेश आएगी, इसमें शक नहीं है. ऐसे समय में संयम रखना और धार्मिक अनुष्ठान घर में ही करना यही एकमात्र मार्ग नजर आता है. 

तो कुपित हो जाएंगी गंगा मैया!

सामना का कहना है कि कांवड़ यात्रा पवित्र गंगा और गंगाजल से संबंधित है. हजारों श्रद्धालु इस दौर में कांवड़ लेकर हरिद्वार आते हैं और गंगा जल भरकर अपने-अपने गांव के मंदिरों में ले जाते हैं. कांवड़ यात्रा हजारों वर्षों की धार्मिक परंपरा है. हिंदुओं की भावना इसमें रची-बसी है, यह सत्य है. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में कोरोना की पाबंदियों को तोड़कर हरिद्वार में भीड़ करेंगे तो गंगा माता कुपित हुए बिना नहीं रहेंगी. इसी गंगा ने हजारों कोरोनाग्रस्तों के शवों को कोख में लेकर अश्रु बहाए हैं. दूसरी लहर के प्रहार से समाज दहल गया. तीसरी लहर से वह पूरी तरह तबाह होकर धराशायी न हो जाए.
 

महाराष्ट्र बीजेपी पर भी साधा निशाना

शिवसेना ने सामना के जरिए कहा कि पंढरपुर की वारी हो या हरिद्वार की कांवड़ यात्रा, भक्तों की जान महत्वपूर्ण है. ईश्वर के दरबार में सत्ताधारियों को जवाब देना होगा. भारतीय जनता पार्टी की बेचैनी और छटपटाहट को हम समझ सकते हैं. उन्हें सिर्फ लोगों को बरगलाकर राजनीति करनी है. सुप्रीम कोर्ट से प्रधानमंत्री मोदी तक सभी का कहना है कि नियमों का पालन करो. तीसरी लहर से सावधान रहो, लेकिन महाराष्ट्र के भाजपाइयों की राजनीति अलग तरह की है. वे सुप्रीम कोर्ट व प्रधानमंत्री की भी परवाह नहीं करते हैं, ऐसा प्रतीत होता है. गंगा के प्रवाह में श्रद्धालुओं के शव बहते ही रहे, यही उनकी भावना होगी तो गंगा मैया का प्रकोप ऐसे लोगों पर हुए बिना नहीं रहेगा.
 

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