महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पावर ने अपने चाचा शरद पवार से मुलाकात की है. यह मुलाकात पुणे में एक उद्योगपति के घर पर हुई. बगावत के बाद अजित की डेढ़ महीने में शरद पवार से चौथी मुलाकात थी. ऐसे में शिवसेना ने अजित के बार बार मुलाकात करने पर शरद पवार पर निशाना साधा है. शिवसेना ने अपने संपादकीय सामना में लिखा, डिप्टी सीएम अजित पवार बार-बार शरद पवार से मुलाकात के लिए जा रहे हैं और मजे की बात यह है कि शरद पवार किसी मुलाकात को टाल नहीं रहे हैं. कुछ मुलाकात खुले तौर पर हुईं तो कुछ गुप्त रूप से हो रहीं, इसलिए लोगों के मन में भ्रम पैदा हो रहा है.
सामना ने लिखा, लोगों के मन में भ्रम पैदा हो रहा कि बीजेपी के देशी चाणक्य अजित पवार को ऐसी मुलाकातों के लिए धकेलकर भेज रहे हैं क्या? ऐसी शंका को बल मिल रहा है. लेकिन क्या अजित पवार की ऐसी मुलाकातों से भ्रम निर्माण होगा या और बढ़ेगा? जनता की सोच इससे आगे पहुंच चुकी है. इस रोज-रोज के खेल से मन में एक प्रकार की उदासीनता निर्माण हो गई है और इसके लिए वर्तमान राजनीति ही जिम्मेदार है.
शिवसेना ने लिखा, कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले अक्सर बेबाक बयान देते हैं. वो भी अक्सर मजेदार होते हैं. उन्होंने कहा, अजीत पवार यदि महाविकास अघाड़ी में वापसी कर रहे होंगे तो उनका स्वागत है. अजित दादा का जी भर गया होगा, इसलिए उन्होंने शरद पवार से मुलाकात की होगी. इससे पहले नाना ने कहा कि महाराष्ट्र के दोनों उपमुख्यमंत्रियों की नजर मुख्यमंत्री पद पर है. राज्य की सरकार मजेदार सरकार है.
सामना ने लिखा, नाना के बयान से हम सहमत हैं, लेकिन इसमें थोड़ा जोड़कर कहते हैं, पवार चाचा-भतीजे के बीच हालिया हुई मुलाकातें भी मौज-मस्ती वाली सिद्ध हो रही हैं. आखिर किस पर हंसा जाए और किस पर नाराजगी जाहिर की जाए, यह महाराष्ट्र की समझ से परे हो गया है. शरद पवार की छवि ऐसी मुलाकातों से मलिन हो रही है और यह ठीक नहीं है.
शिंदे पर भी साधा निशाना
शिवसेना ने लिखा, अजित पवार द्वारा अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा की राह पकड़ने के बाद सबसे बड़ा मजाक बना एकनाथ शिंदे और उनके गुट का. फिलहाल, शिंदे बीमार हैं, उनकी तबीयत ज्यादा ही बिगड़ गई है और उन्हें जबरन अस्पताल में दाखिल करेंगे, ऐसा शिंदे समर्थक संजय शिरसाट ने कहा है. शिंदे 24 घंटे काम करते हैं, इसलिए वह बीमार पड़ गए, लेकिन शिंदे जो 24 घंटे काम करते हैं, वह प्रत्यक्ष तौर पर महाराष्ट्र में कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है. उन्हें किसी भी वक्त पद गंवाना पड़ सकता है.
सामना ने लिखा, इस डर से यदि उनकी नींद उड़ गई हो तो उसे 24 घंटे काम करना नहीं कहते हैं. शिंदे की जब भी नींद उड़ती है, तब वह सीधे हेलिकॉप्टर से सातारा पहुंचकर अपने खेत में आराम करते हैं. इसका मतलब यह है कि 24 घंटे काम और उसके बाद 72 घंटे आराम यह उनके जीवन का गणित बन गया है, ऐसा प्रतीत हो रहा है. शिंदे की बीमारी का ठीकरा अजित पवार पर फोड़ा जा रहा है. अजीत पवार के सरकार में घुसने से शिंदे और उनके गुट के दिलों की धड़कनें तेज हो गईं और मन अस्थिर हो गया. उसमें भी अजित पवार के बीच-बीच में शरद पवार से मिलने से इन सभी के छोटे मस्तिष्क में पीड़ा शुरू हो गई, लेकिन इसके लिए हमेशा दूर सातारा में जाकर आराम करना, यह उपाय नहीं है.
शिवसेना ने अपने मुख पत्र में लिखा, शिंदे की तबीयत चिंताजनक है, ऐसा कहने वाले विधायक शिरसाट की बात अगर सही है तो उन्हें तुरंत इमरजेंसी वार्ड में दाखिल कर इलाज शुरू कराना होगा और उनके इर्द-गिर्द अजित पवार या देवेंद्र फडणवीस फटकने न पाएं, इस पर ध्यान देना होगा. महाराष्ट्र की राजनीति को फिलहाल जिस बीमारी ने जकड़ रखा है, उसी बीमारी का कीड़ा मुख्यमंत्री के शरीर में घुस गया है. ऐसे में यदि उसका समय रहते इलाज नहीं किया तो यह कीड़ा महाराष्ट्र के समाज के मन को खोखला बनाए बगैर नहीं रहेगा.