
देश में तंबाकू और शराब की बिक्री पर बैन को लेकर आए दिन सोशल मीडिया पर चर्चा होती रहती है. जब लोगों से इंडिया टुडे GDB सर्वे में पूछा गया तो सबसे ज्यादा (91%) पश्चिम बंगाल के लोगों ने शराब की बिक्री पर बैन के लिए हां कहां, जबकि आंध्र प्रदेश के 42% लोगों ने बैन पर आपत्ति जताई. इसी तरह तमिलनाडु में 96% लोग तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध के पक्ष में हैं जबकि गुजरात में 34% लोग ऐसे प्रतिबंध के खिलाफ हैं.
दरअसल, इंडिया टुडे ग्रुप ने हाउ इंडिया लिव्ज (How India Lives) और कैडेंस इंटरनेशनल (Kadence International) के साथ मिलकर देश का पहला सकल घरेलू व्यवहार (Gross Domestic Behaviour) सर्वे करवाया है. ये सर्वे देश भर में सोशल और पर्सनल बिहेवियर पर स्टडी करने के लिए किया गया है. सर्वे में 21 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के 98 जिलों में 9,188 लोगों से नागरिक शिष्टाचार, सार्वजनिक सुरक्षा, महिला-पुरुष के लिए नजरिया, विविधता और भेदभाव से जुड़े 30-30 सवाल पूछे गए थे.
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सर्वे में 50.8 फीसदी पुरुष और 49.2 फीसदी महिलाओं ने हिस्सा लिया है. सर्वे में हिस्सा लेने वाले लोगों में 54.4 फीसदी शहरी और 45.6 फीसदी ग्रामीण लोग शामिल हैं. नागरिक शिष्टाचार को लेकर किस राज्य के लोग ज्यादा अग्रणी हैं और किस राज्य के पीछे, सर्वे से समझें.
रोड एक्सीडेंट के मामले में सबसे ज्यादा मददगार पश्चिम बंगाल के लोग
देशभर में 88% लोग दुर्घटना के समय रुककर पुलिस या एंबुलेंस को फोन करने को तैयार हैं. सबसे ज्यादा (99%) पश्चिम बंगाल के लोग हर हाल में मदद के लिए रुकने की बात कहते हैं, जबकि ओडिशा के सिर्फ 78% लोग ही ऐसा करने को राजी होते हैं.
हालांकि रोड एक्सीडेंट में मदद वाले सर्वे के आंकड़े पर जाने माने समाजशास्त्री दीपांकर गुप्ता का कहना है कि अगर 88 फीसद ने वाकई किसी गंभीर दुर्घटना के बारे में रिपोर्ट की, जैसा कि उन्होंने कहा है, तो फिर परिवहन मंत्रालय ने यह रिपोर्ट क्यों दी कि 50 फीसद मौतें इसलिए हुईं क्योंकि समय पर चिकित्सा मुहैया नहीं कराई जा सकी? यानी लोग मदद करने के बारे में बोल तो रहे हैं लेकिन असल में कितनी मदद करते हैं, यह अलग बात है.
स्थानीय प्रशासन को अपनी परेशानी बताने से भी हिचकते हैं लोग
स्थानीय प्रशासन से जुड़ी समस्याओं को लेकर 79% लोग अपने सरपंच या पार्षद के पास जाने में सहज महसूस करते हैं, 21 फीसदी लोग अपनी समस्याओं को स्थानीय प्रशासन तक पहुंचाने में भी झिझकते हैं. इसमें ओडिशा के 93% लोग स्थानीय नेताओं के पास अपनी समस्या लेकर जाने में कोई हिचक महसूस नहीं करते, जबकि कर्नाटक में यह आंकड़ा 65% ही है, जिससे पता चलता है कि वहां लोग प्रशासन से बातचीत करने में थोड़ा झिझकते हैं.
अन्य राज्यों के मुकाबले तमिलनाडु में 96% लोग तंबाकू पर प्रतिबंध के पक्ष में
तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने के सवाल पर 84% लोग इसके समर्थन में हैं, जबकि 16% लोग इसके खिलाफ. इसमें तमिलनाडु के 96% लोग प्रतिबंध के पक्ष में हैं, जबकि गुजरात के 34% लोग ऐसे किसी प्रतिबंध के खिलाफ हैं.
तेजी से लोकप्रिय हो रहा है डिजिटल पेमेंट
डिजिटल पेमेंट की बात करें, तो 76% लोग अब रोजमर्रा के लेन-देन के लिए UPI या डिजिटल पेमेंट मोड को पसंद करते हैं. दिल्ली में यह आंकड़ा 96% है, जिससे साफ है कि वहां डिजिटल ट्रांजैक्शन काफी तेजी से अपनाए जा रहे हैं.
बिना हेडफोन पब्लिक प्लेस में म्यूजिक सुनना गलत मानते हैं 81% लोग
सार्वजनिक स्थानों जैसे बस, पार्क या कैफे में बिना हेडफोन के मोबाइल पर म्यूजिक चलाने को 81% लोग गलत मानते हैं. खासकर ओडिशा के 95% लोग इसके खिलाफ हैं, जबकि असम के 37% लोगों को यह कोई बड़ी बात नहीं लगती.
सिर्फ 69% भारतीयों को है जलवायु परिवर्तन की चिंता
जलवायु परिवर्तन की चिंता 69% भारतीयों को है, जबकि 20% लोग इसकी परवाह नहीं करते और 11% को इस बारे में जानकारी नहीं है. इस मामले में हरियाणा के 93% लोग जलवायु परिवर्तन को लेकर चिंतित हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में केवल 37% लोग ही इसे गंभीरता से लेते हैं.
वहीं समाजशास्त्री दीपांकर गुप्ता ने जलवायु परिवर्त पर भारतीयों की चिंता को लेकर कहते हैं, 'इसमें संदेह नहीं कि नागरिक शास्त्र के व्यापक सबक से सभी लोग बखूबी वाकिफ हैं. यहां तक कि जलवायु परिवर्तन से भी आम लोग (देश भर में 69 फीसद तक) अच्छी तरह वाकिफ हैं, जिसे अक्सर अभिजात वर्ग की फिक्र मान लिया जाता है. हम अगर इन आंकड़ों को ज्यों का त्यों मान लें और लोगों के कहे को ही पत्थर की लकीर मान बैठें तो हम छले जाएंगे, धोखा खा जाएंगे और बड़ी सचाई से दूर रहेंगे, जो कहीं अधिक सबक देती है. मामला साफ है कि लोग सार्वजनिक व्यवहार के सही-गलत से वाकिफ हैं, तो फिर ज्यादातर व्यवहार में उसका उलट क्यों करते हैं?'
इंडिया टुडे GDB सर्वे में नागरिक शिष्टाचार पर राज्यों की रैंकिंग इस तरह है-
आंध्र प्रदेश के 42% नहीं चाहते शराब पर बैन
शराब की बिक्री पर प्रतिबंध के मुद्दे पर 82% लोग इसके पक्ष में हैं, जबकि 17% लोग इसके खिलाफ हैं. आंध्र प्रदेश के 42% लोग नहीं चाहते कि शराब की बिक्री पर बैन लगना चाहिए, जबकि अन्य राज्यों की तुलना में पश्चिम बंगाल के 91% लोग शराबबंदी का समर्थन करते हैं.
देश में नागरिक शिष्टाचार को लेकर हुए सर्वे पर जाने माने समाजशास्त्री दीपांकर गुप्ता का कहना है कि इस सर्वेक्षण से दो खास नतीजे निकलते हैं. एक, देश में ज्यादातर लोग जानते तो हैं कि क्या सही है मगर वे उस पर अमल नहीं करते. दूसरे, दक्षिण भारत के राज्य, खासकर केरल सामाजिक जागरूकता के मामले में उत्तर के मुकाबले मीलों आगे है. इसके कई पहलू हैं जो व्यापक दायरा तैयार करते हैं. इसमें साफ-सफाई तथा स्वच्छता, धार्मिक सहिष्णुता, तंबाकू पर प्रतिबंध, आस-पड़ोस की सुरक्षा और सबसे अहम स्त्री-पुरुष समानता की जागरूकता है.