दिल्ली की साकेत कोर्ट ने श्रद्धा मर्डर केस के आरोपी आफताब के नार्को टेस्ट की इजाजत दे दी है. दिल्ली पुलिस ने इसके लिए कोर्ट में अर्जी लगाई थी. पुलिस का कहना है कि आफताब पुलिस पूछताछ में को-ऑपरेट नहीं कर रहा था और पुलिस की जांच को भटकाने की कोशिश कर रहा था.
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में जो याचिका लगाई थी उसमें कहा गया था कि आफताब श्रद्धा के मोबाइल और कत्ल के लिए इस्तेमाल आरी के बारे में सही जानकारी नहीं दे रहा है. कभी मोबाइल महाराष्ट्र में तो कभी दिल्ली में फेंकने की बात बता रहा है. इसके साथ ही हथियार के बारे में भी सही जानकारी नहीं दे रहा है. दिल्ली पुलिस नार्को टेस्ट के जरिए आफताब से पूरा सच और मोबाइल, हथियार बरामद करना चाहती है.
मनोरोग विशेषज्ञ की मदद ले रही पुलिस
दिल्ली पुलिस आफताब से पूछताछ के लिए मनोरोग विशेषज्ञ की मदद भी ले रही है. दरअसल जिस तरह से उसने कत्ल की इस वारदात को अंजाम दिया वो बेहद चौंकाने वाला है. जब उससे पूछताछ की जा रही है उस समय उसकी मानसिक स्थिति को समझने के लिए एक मनोरोग विशेषज्ञ भी पुलिस की टीम के साथ होता है.
क्राइम सीन रीक्रिएट किया गया
18 मई की रात की वारदात को जानने के लिए क्राइम सीन रीक्रिएट किया गया. इसके लिए आफताब के साथ दिल्ली पुलिस देर रात फ्लैट में पहुंची. दिल्ली पुलिस क्राइम सीन रीक्रिएट करने के लिए फ्लैट में एक पुतला लेकर पहुंची थी. आफताब ने फ्रिज और कमरे से खून साफ करने के लिए सल्फर हाईपोक्लोरिक एसिड का इस्तेमाल किया था. इसी वजह से खून के धब्बे नहीं मिले. इससे पहले मंगलवार को पुलिस को जंगल से शव के 13 टुकड़े मिले. इनमें से ज्यादातर हड्डियों में तब्दील हो चुके थे.
मई में दिल्ली के महरौली में हुए थे शिफ्ट
आफताब और श्रद्धा मई में दिल्ली के महरौली में एक फ्लैट में शिफ्ट हुए थे. इसके बाद दोनों के बीच 18 मई को झगड़ा हुआ. आफताब ने गला दबाकर श्रद्धा की हत्या कर दी. इसके बाद उसके शव के 35 टुकड़े किए. आफताब ने शव के टुकड़ों को 300 लीटर के फ्रिज में रख दिया. वह शव के एक टुकड़े को फ्रिज से निकालकर देररात में जंगल में फेंकने के लिए जाता था. पुलिस के मुताबिक, श्रद्धा की मौत के बाद जब कोई दूसरी महिला आफताब के फ्लैट पर आती थी, तो वह शव के टुकड़ों को फ्रिज से निकालकर अलमारी में रख देता था, ताकि कोई फ्रिज खोले तो उसे शक न हो.