श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद विवाद मामले में दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि 30 अक्टूबर से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के संबंधित रजिस्ट्रार ट्रांसफर के लिए सिफारिश किए गए मुकदमों की सूची के साथ निजी तौर पर पेश हों.
कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि के साथ उसके भूमि विवाद से संबंधित सभी याचिकाओं को जिला न्यायालय मथुरा से अपने पास स्थानांतरित कर लिया गया था. सुप्रीम कोर्ट 30 अक्टूबर को अगली सुनवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने 30 अक्टूबर को हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को पेश होने का आदेश दिया. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमों का विस्तृत ब्योरा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार से मांगा था. कोर्ट ने पूछा था कि कितने केस मंगाए हैं ओर क्या स्टेटस है. आज सूची पेश नहीं की जा सकी.
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद क्या है?
मालूम हो कि काशी और मथुरा का विवाद भी कुछ-कुछ अयोध्या की तरह ही है. हिंदुओं का दावा है कि काशी और मथुरा में औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर वहां मस्जिद बनवाई थी. औरंगजेब ने 1669 में काशी में विश्वनाथ मंदिर तुड़वाया था और 1670 में मथुरा में भगवा केशवदेव का मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया था. इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई.
मथुरा का ये विवाद कुल 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है. दरअसल, श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है जबकि ढाई एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया ढांचा बताता है और इस जमीन पर भी दावा किया गया है. हिंदू पक्ष की ओर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और ये जमीन भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान को देने की मांग की गई है.