हुबली के हिंदू कार्यकर्ता श्रीकांत पुजारी को कोर्ट से राहत मिल गई है. अदालत ने श्रीकांत पुजारी को सशर्त जमानत दे दी है. कर्नाटक पुलिस ने 1992 के हुबली दंगा मामले में श्रीकांत पुजारी को गिरफ्तार किया था. उसकी गिरफ्तारी के विरोध में विपक्षी पार्टी बीजेपी ने बुधवार को सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया था.
कोर्ट ने श्रीकांत पुजारी को जमानत देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को अपरिहार्य परिस्थितियों को छोड़कर सभी सुनवाई तिथियों पर संबंधित न्यायालय के समक्ष उपस्थित होना होगा. साथ ही कहा कि याचिकाकर्ता अभियोजन पक्ष के गवाहों को धमकी नहीं देगा और साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा. साथ ही कहा कि वह खुद को समान प्रकृति के किसी भी अपराध में शामिल नहीं करेगा. याचिकाकर्ता पूर्व अनुमति के बिना संबंधित न्यायालय का क्षेत्राधिकार नहीं छोड़ेगा.
बता दें कि साल 1992 में बाबरी मस्जिद ढहने के बाद कर्नाटक के हुबली में प्रदर्शन हुए थे. इस हिंसा में 50 साल के कारसेवक श्रीकांत पुजारी को भी आरोपी बनाया गया था. इस मामले में ही 31 साल बाद पुजारी को गिरफ्तार किया गया था. बीजेपी ने इस गिरफ्तारी पर सख्त ऐतराज जताया. साथ ही पुजारी के खिलाफ की गई कार्रवाई को गलत बताया.
वहीं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा था कि क्या हमें उन लोगों को दंडित करने का अधिकार नहीं है, जिन्होंने गलत काम किया है? जो लोग (बीजेपी) प्रदर्शन कर रहे हैं, क्या वे ये कह रहे हैं कि गलत करने वालों को सजा नहीं देनी चाहिए? आप लोगों को उनसे पूछना चाहिए कि प्रदर्शन करने के पीछे की उनकी मंशा क्या है? वे सिर्फ राजनीति कर रहे हैं. हमने सिर्फ अपराध करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है.
सिद्धारमैया ने कहा था कि अगर किसी ने गलती की है तो हम क्या करेंगे? जिसने अपराध किया क्या हम उसे खुला छोड़ दें. हमारी सरकार सारे पुराने मामले खत्म करेगी. पुलिस ने कानून के हिसाब से काम किया है. ये कोई नफरत की राजनीति नहीं है. किसी निर्दोष को हमने गिरफ्तार नहीं किया.
इस पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा था कि SDPI और PFI को फ्री छोड़ देने वाले जानबूझकर 31 साल बाद राम भक्त को गिरफ्तार कर रहे हैं. क्योंकि राम मंदिर इनकी आंखों में खटक रहा है. इसके विरोध में BJP पूरे कर्नाटक में विरोध प्रदर्शन कर रही है