कर्नाटक में एक विशेष अदालत ने बुधवार को राज्य के लोकायुक्त (राज्य-स्तरीय भ्रष्टाचार लोकपाल) को आदेश दिया है कि वे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मैसूरु अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) भूमि घोटाले मामले में जांच करें. अदालत ने लोकायुक्त को तीन महीनों के भीतर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है और सक्षम अधिकारियों को इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है.
कथित MUDA घोटाले में अभियोजन चलाए जाने के लिए राज्यपाल की मंजूरी को चुनौती देने के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. इस पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि संविधान में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि राज्यपाल अभियोजन के लिए प्रतिबंध दे सकते हैं.
यह भी पढ़ें: 3.16 एकड़ जमीन, 3 एक्टिविस्ट और हाईकोर्ट का फैसला... MUDA स्कैम में ऐसे फंस गए कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया
बिना जांच के कैसे दे सकते हैं अभियोजन की मंजूरी?
सिब्बल ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में स्पष्ट किया है कि अगर मुख्यमंत्री के खिलाफ कोई मामला आता है, तो राज्यपाल अभियोजन की मंजूरी देने के सक्षम होते हैं, लेकिन राज्यपाल किसी मजिस्ट्रेट की जांच के बिना कैसे तय कर सकते हैं कि आरोप सही हैं?"
कपिल सिब्बल ने आगे कहा, "राज्यपाल को जज बनने और यह तय करने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है कि अपराध हुआ है या नहीं. इसके लिए पहले जांच की जानी चाहिए और उसके बाद अभियोजन की मंजूरी दी जानी चाहिए."
यह भी पढ़ें: CM सिद्धारमैया के खिलाफ BJP ने खोला मोर्चा, इस्तीफे की मांग को लेकर जमकर प्रदर्शन
यह मामला कर्नाटक में बड़ी सियासी उथल-पुथल का कारण बन सकता है, जहां मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पहले से ही विपक्ष के निशाने पर हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि लोकायुक्त की जांच में क्या मामले सामने आते हैं और रिपोर्ट पेश होने के बाद राज्यपाल और अदालत की क्या कार्यवाही होती है.
कोर्ट ने क्या टिप्पणी की?
सिंगल बेंच के जज जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि यह स्वीकार करना मुश्किल है कि सिद्धारमैया पूरे MUDA भूमि सौदे के दौरान "पर्दे के पीछे" नहीं थे, जिसमें उनकी परिवार ने कथित रूप से लगभग 56 करोड़ रुपये का फायदा हुआ.
सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग
हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मच गया है. बीजेपी ने मांग की है कि सिद्धारमैया को तुरंत अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए. बीजेपी नेताओं ने इस मामले को एक बड़े घोटाले के रूप में दिखाने की कोशिश की है.
कांग्रेस ने बताया साजिश
वहीं, कांग्रेस ने इस पूरे प्रकरण को "षड्यंत्र" करार दिया है. कांग्रेस के प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया कि यह पूरी तरह से बीजेपी द्वारा रची गई साजिश है ताकि सिद्धारमैया की छवि को खराब किया जा सके. कांग्रेस ने कहा कि इस मामले की पूरी जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से होनी चाहिए.