केंद्र में तीसरी बार पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बन गई है. रविवार शाम को पीएम मोदी के साथ 71 सांसदों ने मंत्री पद की शपथ ली. कैबिनेट में कुल तीस मंत्रियों को शामिल किया गया है. इसके अलावा, मोदी सरकार 3.0 में पांच स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री बनाए गए हैं. वहीं 36 सांसदों को राज्य मंत्री बनाया गया है. इस कैबिनेट में 6 पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी जगह मिली है.
जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों को कैबिनेट में जगह मिली है उनमें शिवराज सिंह चौहान (मध्य प्रदेश), राजनाथ सिंह (उत्तर प्रदेश), मनोहर लाल खट्टर (हरियाणा), सर्बानंद सोनोवाल (असम), एच डी कुमारस्वामी (कर्नाटक) और जीतन राम मांझी (बिहार)शामिल हैं. इनमें से पांच पूर्व मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी से हैं, जबकि कुमारस्वामी जनता दल-सेक्युलर और मांझी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा का प्रतिनिधित्व करते हैं.
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राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्य कर चुके हैं.राजनाथ ने अपनी सियासी पारी साल 1974 में शुरू की और 1977 में वह पहली बार विधायक चुने गए. 1988 में एमएलसी बनने के बाद 1991 में यूपी के शिक्षा मंत्री बने. इस दौरान उन्होंने कई क्रांतिकारी फैसले लिए. इसके बाद साल 1994 में वह राज्यसभा सांसद चुने गए. इसके बाद 1999 में पहली बार उन्हें केंद्रीय परिवहन मंत्री बनाया गया. इस दौरान उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के ड्रीम प्रोजेक्ट नेशनल हाईवे डेवलेपमेंट प्रोग्राम (NHDP) की शुरुआत की. अक्टूबर, 2000 में वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चुने गए. इस दौरान वह बाराबंकी की हैदरगढ़ सीट से विधायक चुने गए.
शिवराज सिंह चौहान
साल 1990 में पहली बार बुधनी से चुनाव जीतकर विधायक बने शिवराज सिंह चौहान की गिनती बीजेपी के कद्दावर नेताओं में होती है. उन्होंने नब्बे के दशक में अखिल भारतीय केशरिया वाहिनी के संयोजक के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. 6 बार सांसद रहे रहे शिवराज सिंह चौहान चार बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. उन्होंने 2000 से 2003 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव के रूप में भी काम किया.
2005 में उनकी किस्मत चमक गई और बीजेपी की तरफ से उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए चुन लिया गया. इसके बाद साल 2006 में उन्होंने बुधनी विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ा, और अपनी पुरानी सीट पर 36,000 से अधिक मतों के अंतर से चुनाव जीत गए. वह साल 2005 से 2018 के बीच तीन बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. सबसे लंबे वक्त तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहने का रिकॉर्ड भी शिवराज सिंह के नाम पर है.
मनोहर लाल खट्टर
मनोहर लाल खट्टर की पहचान एक राजनेता के तौर पर कम और आरएसएस के प्रचारक के तौर पर ज्यादा रही है. वो 1977 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हुए थे और सिर्फ तीन सालों बाद ही संगठन के पूर्णकालिक प्रचारक बन गए.2000-2014 के दौरान, खट्टर हरियाणा में भाजपा के संगठन महासचिव पर थे. 2014 में हरियाणा के विधानसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी ने करनाल से बतौर उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारा था. प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार (कांग्रेस) दीपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा उन्हें बाहरी उम्मीदवार बताए जाने के बाद भी उन्होंने बड़े अंतर से जीत दर्ज की जिसके बाद खट्टर को राज्य में बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया और उन्हें पार्टी ने मुख्यमंत्री पद से नवाजा. खट्टर ने करीब 10 सालों तक मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की सेवा की.
सर्बानंद सोनोवाल
सर्बानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) असम से आते हैं. इस बार उन्होंने असम की डिब्रूगढ़ सीट से 279321 वोट से जीत हासिल कर ली. केंद्र सरकार में बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री और आयुष मंत्री रहे सोनोवाला असम से राज्य सभा के सदस्य भी हैं. सोनोवाल ने पहले 2012 से 2014 तक और फिर 2015 से 2016 तक भारतीय जनता पार्टी (BJP) के असम राज्य अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है उन्होंने 2014 से 2016 तक भारत सरकार के खेल और युवा मामलों के मंत्री के रूप में भी काम किया है. उन्हें 2016 के असम विधानसभा चुनाव के बाद असम के मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया था और वह असम के भारतीय जनता पार्टी के पहले मुख्यमंत्री बने थे.
एचडी कुमारस्वामी
एनडीए में सहयोगी दलों में शामिल जनता दल सेकुलर (जेडीएस) के सांसद एचडी कुमारस्वामी ने भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली है. इस बार उन्होंने मांड्या लोकसभा सीट से चुनाव जीता. कुमारस्वामी ने 284620 वोटों से चुनाव जीता. पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी 2006 से 2007 के बीच और 2018 से 2019 के बीच दो बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे हैं. वह लोगों के बीच कुमारन्ना के नाम से जाने जाते हैं.
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जीतनराम मांझी
बिहार से हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के मुखिया और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भी मोदी सरकार में पहली बार मंत्री बनाए गए हैं. 1980 में कांग्रेस के टिकट पर गया के फतेहपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर विधायक बने थे. इसके बाद मांझी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वो लगातार राजनीति में सक्रिय हैं. 44 साल के अपने पॉलिटिकल करियर में जीतन राम मांझी जनता दल (1990-1996), राष्ट्रीय जनता दल (1996-2005) और जेडीयू जैसे (2005-2015) दलों में रहे हैं.
जीतन राम मांझी उस वक्त राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आए थे जब साल 2014 में नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी लेते हुए सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी जगह जीतन राम मांझी को राज्य का नया मुख्यमंत्री बना दिया. हालांकि उस वक्त नीतीश कुमार के करीबी और भरोसेमंद रहे जीतन राम मांझी को 10 महीने बाद ही अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
पीएम मोदी की इस कैबिनेट में जहां अनुभव को शामिल किया गया है वहीं युवा सांसदों पर भी भरोसा जताया गया है. इसके अलावा, मोदी की कैबिनेट में सोशल इंजीनियरिंग का भी ख्याल रखा गया है.सारी कोशिश है कि सरकार को अच्छे से चलाया जाए.