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किसानों के देशव्यापी आंदोलन को 12 विपक्षी दलों का समर्थन, सोनिया-उद्धव-ममता तक ने किया सपोर्ट

किसान संगठनों के दिए गए समर्थन पत्र में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन आदि नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं. इन नेताओं ने तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की है.

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किसानों के देशव्यापी आंदोलन को विपक्षी दलों का समर्थन (पीटीआई)
किसानों के देशव्यापी आंदोलन को विपक्षी दलों का समर्थन (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • किसानों के देशव्यापी आंदोलन को विपक्षी दलों का समर्थन
  • पांच मौजूदा मुख्यमंत्रियों ने भी दिया समर्थन
  • तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने 26 मई को देशव्यापी आंदोलन का ऐलान किया है. इसको लेकर तमाम विपक्षी दलों ने किसान मोर्चा को समर्थन दिया है. रविवार को 12 विपक्षी दलों ने एक संयुक्त पत्र जारी कर संयुक्त किसान मोर्चा को समर्थन दिया. समर्थन पत्र में हस्ताक्षर करने वालों में पांच मौजूदा मुख्यमंत्री शमिल हैं. 

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दरअसल, 40 किसान संगठनों के संघ SKM ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के छह महीने पूरे होने पर 26 मई को 'काला दिवस' मनाने का आह्वान किया है. इसे 12 विपक्षी दलों ने समर्थन दिया है. 

विपक्षी दलों के संयुक्त बयान में कहा गया है, "हम संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 26 मई को देशव्यापी विरोध दिवस मनाने के आह्वान का समर्थन करते हैं, जो कि शांतिपूर्ण किसान आंदोलन के छह महीने पूरे होने के अवसर पर बुलाया गया है. 

किसान संगठनों को दिए गए समर्थन के पत्र में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन आदि नेताओं ने हस्ताक्षर किए हैं.

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इन नेताओं ने तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की है. साथ ही कहा कि केंद्र को हमारे लाखों अन्नदाता के महामारी का शिकार होने से बचाने के लिए कृषि कानूनों को निरस्त करना चाहिए. कृषि कानूनों को तत्काल निरस्त करने के अलावा, विपक्षी नेताओं ने स्वामीनाथन आयोग के सुझाव, न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी की भी मांग की. यही नहीं विपक्ष ने सरकार से अपील की है कि वह किसानों से फिर से बातचीत शुरू करे. 

उधर, किसान संगठनों ने देश भर के लोगों से 26 मई को विरोध के रूप में अपने घरों, वाहनों और दुकानों पर काले झंडे लगाने की भी अपील की. मालूम हो कि संयुक्त किसान मोर्चा, कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए है. एमएसपी का कानूनी अधिकार, न्यूनतम समर्थन मूल्य आदि उनकी प्रमुख मांगें हैं. किसान नेताओं ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने तक आंदोलन से पीछे हटने से इनकार कर दिया है. 

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