किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने 16 फरवरी के भारत बंद को सफल करार दिया है. किसान संगठन ने दावा किया कि यह औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल देशभर के किसानों, श्रमिकों और ग्रामीणों के सामूहिक गुस्से को दर्शाता है. SKM ने केंद्र सरकार और आंदोलनकारी किसानों के बीच चल रही बातचीत पर भी तंज कसा. संगठन ने कहा कि केंद्र सरकार शंभू बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों के पास 'गुप्त वार्ता' के लिए मंत्रियों को भेज रही है, साथ ही दावा किया कि एमएसपी पर जो समिति बनाई गई थी, उसके सदस्यों ने खुले तौर पर एमएसपी देने का विरोध किया है.
एसकेएम ने कहा कि किसानों के इस आंदोलन ने लोकसभा चुनावों के बीच आजीविका के मुद्दों को प्रभावी ढंग से राष्ट्रीय चर्चा में वापस ला दिया है. हड़ताल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा किसानों और आम लोगों के बीच एकजुटता को बढ़ावा देना, नीतियों में बदलाव की मांग करने के लिए उनकी ताकत का इस्तेमाल करना था.
एसकेएम ने केंद्र पर आरोप लगाया कि सरकार जनता का ध्यान सांप्रदायिक और धार्मिक विवादों की ओर भटका रही है. SKM लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को न्याय के कटघरे में खड़ा करने के अपने दृढ़ संकल्प पर कायम है. 18 फरवरी को SKM अपनी पंजाब इकाई की बैठक उसके बाद नई दिल्ली में राष्ट्रीय समन्वय समिति और आम सभा की बैठक के साथ आंदोलन दृढ़ता से आगे बढ़ने की योजना बना रहा है.
एसकेएस ने कहा कि विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संघों द्वारा बुलाए गए भारत बंद में बड़े पैमाने पर भागीदारी देखी गई. जिससे किसानों का गुस्सा विरोध में बदल गया. श्रमिकों, महिलाओं, युवाओं और छात्रों ने प्रदर्शन किया. एसकेएम अपनी मांग पर अड़ा हुआ है. उन्होंने किसानों और मजदूरों के संकट के प्रति केंद्र के रवैए पर निराशा जाहिर की. साथ ही सरकार पर प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दमनकारी कदम उठाते हुए कॉरपोरेट हितों पर ध्यान केंद्रित करने का आरोप लगाया. एसकेएम ने विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ लोगों को एकजुट करते हुए किसान अधिकारों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया.