संसद के चालू बजट सत्र के दूसरे चरण के दूसरे हफ्ते के दूसरे दिन की कार्यवाही के दौरान कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और राजस्थान से राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी ने उच्च सदन में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून के तहत रोजगार के अधिकार का मुद्दा उठाया. शून्यकाल के दौरान सोनिया गांधी ने मनरेगा के तहत मजदूरी 400 रुपये करने और कार्य दिवस की संख्या बढ़ाने की मांग की. वहीं, लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने केरल के किसानों का मुद्दा उठाया.
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान सोनिया गांधी ने कहा कि मनरेगा योजना डॉक्टर मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने 2005 में शुरू की थी. इस योजना से ग्रामीण इलाकों में लाखों गरीबों को रोजगार मिला. उन्होंने मनरेगा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी की वर्तमान सरकार इसे सुनियोजित तरीके से कमजोर करने का प्रयास कर रही है. सोनिया गांधी ने कहा कि इस योजना के लिए बजट का आवंटन जस का तस 86 हजार करोड़ रुपये ही है जो जीडीपी के हिसाब से प्रतिशत में देखें तो 10 साल में सबसे कम है.
उन्होंने कहा कि महंगाई के लिहाज से देखें तो मनरेगा का बजट 4000 करोड़ कम हुआ है. एस्टीमेट देखें तो इसका 20 फीसदी बकाया भुगतान करने के लिए है. सोनिया गांधी ने कहा कि यह योजना आधार आधारित भुगतान सिस्टम और नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम से बाहर रखे जाने समेत कई चुनौतियों का सामना कर रही है. इसकी वजह से मजदूरी के भुगतान में विलंब हो रहा है. मजदूरी की दरें महंगाई के मुताबिक नहीं हैं. उन्होंने न्यूनतम मजदूरी बढ़ाकर 400 रुपये प्रति दिन करने, मजदूरी का समय से भुगतान सुनिश्चित करने, कार्य दिवस की संख्या सौ से बढ़ाकर 150 दिन प्रति वर्ष करने की मांग की.
प्रियंका गांधी ने उठाया केरल के किसानों का मुद्दा
वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान केरल के किसानों का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि वास्तविक विदर्भ पैकेज में केरल के भी तीन जिले- वायनाड, पलक्कड़ और कासरगोड शामिल हैं. इन जिलों में इस पैकेज की क्या प्रगति है और मसालों को लेकर सरकार की क्या योजना है. प्रियंका गांधी ने वायनाड में 2024 की त्रासदी का जिक्र करते हुए कहा कि कृषि मंत्री ने बहुत उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री को किसानों के प्रति कितनी हमदर्दी है. प्रधानमंत्री खुद भी वायनाड गए थे और वहां का दुख, वहां के किसानों की पीड़ा खुद देखा है. आग्रह करूंगी कि केरल के किसानों के प्रति भी कुछ हमदर्दी दिखाएं.
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प्रियंका गांधी के सवाल के जवाब में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसान किसान है, चाहे वह केरल का हो या कर्नाटक का हो. हम सब भारत मां के लाल हैं. भेदभाव का कोई सवाल नहीं है. उन्होंने कहा कि जब ऐसी आपदाएं आती हैं तब प्लानिंग कमीशन के अनुशंसा पर केंद्र सरकार एसडीआरएफ के तहत राशि आवंटित करती है. इसमें केंद्र का हिस्सा 75 और राज्य का 25 फीसदी होता है. शिवराज ने कहा कि जब ऐसी कोई प्राकृतिक आपदा आती है तब राज्य उस राशि का उपयोग कर सकता है.
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उन्होंने ये भी कहा कि अगर कोई बड़ी प्राकृतिक आपदा आती है तब केंद्र भी विशेष टीम भेजता है. पिछले दिनों जब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भारी वर्षा के कारण बाढ़ जैसी स्थिति बनी थी, तब केंद्रीय टीम गई थी और उसमें खुद मैं भी शामिल था. शिवराज ने कहा कि वहां हमने स्थिति का आकलन किया था और रिपोर्ट भी सबमिट की थी. उसके आधार पर और राशि राज्य सरकार को एनडीआरएफ के तहत दी जाती है. उन्होंने कहा कि केरल को भी एसडीआरएफ के तहत 138 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई है.