कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने मणिपुर हिंसा को लेकर एक वीडियो जारी किया है. इसके जरिए उन्होंने मणिपुर के लोगों से शांति की अपील की है. सोनिया गांधी ने कहा कि मणिपुर में लोगों के जीवन को तबाह करने वाली अभूतपूर्व हिंसा ने हमारे देश की अंतरात्मा पर गहरा घाव छोड़ा है. उन्होंने कहा कि मुझे यह देखकर गहरा दुख हुआ है कि लोगों को उस एकमात्र जगह से पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसे वे अपना घर कहते हैं.
सोनिया गांधी ने कहा कि हमने लगभग 50 दिनों से मणिपुर में एक बड़ी मानवीय त्रासदी देखी है. इस हिंसा ने राज्य के हजारों लोगों के जीवन को तहस-नहस कर दिया है और कई लोगों को उजाड़ दिया है. मैं उन सभी के प्रति संवेदना व्यक्त करती हूं, जिन्होंने अपने प्रियजनों को इस हिंसा में खोया है. शांतिपूर्ण तरीके से रहने वाले हमारे भाई-बहनों को एक-दूसरे के खिलाफ होते देखना हृदय विदारक है.
'नफरत भड़काने के लिए एक कदम ही काफी'
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष ने कहा कि मणिपुर का इतिहास सभी जातियों, धर्मों और पृष्ठभूमि के लोगों को गले लगाने की उनकी क्षमता और एक विविध समाज की असंख्य संभावनाओं का प्रमाण है. सोनिया ने कहा कि भाईचारे की भावना को पोषित करने के लिए जबरदस्त भरोसे और सद्भावना की जरूरत होती है. जबकि नफरत और विभाजन की आग को भड़काने के लिए एक गलत कदम ही काफी है.
'मैं आपका दर्द समझती हूं'
सोनिया ने कहा कि मैं मणिपुर के लोगों, विशेष रूप से अपनी बहादुर बहनों से अपील करती हूं कि वे इस खूबसूरत भूमि पर शांति और सद्भाव लाने का मार्ग प्रशस्त करें. एक मां के रूप में मैं आपके दर्द को समझती हूं और उम्मीद करती हूं कि आप सही रास्ता अपनाएंगी. मुझे उम्मीद है कि आने वाले हफ्तों या महीनों में हम विश्वास के पुनर्निर्माण की लंबी यात्रा पर निकल पड़ेंगे. मुझे मणिपुर के लोगों से अपार आशा और विश्वास है और मैं जानती हूं कि हम सब मिलकर इस परीक्षा से पार पा लेंगे.
मणिपुर में कब और कैसे शुरू हुई हिंसा?
तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई.- इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. 3 मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया. रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है.
हाईकोर्ट ने क्या आदेश दिया था?
पिछले महीने मणिपुर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने एक आदेश दिया था. इसमें राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था. इसके लिए हाईकोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते का समय दिया था. मणिपुर हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद नगा और कुकी जनजाति समुदाय भड़क गए. उन्होंने 3 मई को आदिवासी एकता मार्च निकाला.