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संसद में स्पेशल सेशन के लिए विपक्ष क्या घेराबंदी कर रहा है?

संसद के स्पेशल सत्र से पहले काँग्रेस नेता सोनिया गांधी ने पीएम को चिट्ठी लिख कर क्या मांगें उठाईं, क्या है इस बार ASEAN समिट का एजेंडा, देश का नाम इंडिया से भारत बदलना कितना महंगा पड़ेगा, जेल में कैसी है महिला कैदियों की स्थिति, सुनिए ‘दिन भर’ में.

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DIN BHAR
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इस साल, 20 जुलाई से शुरु हुआ मॉनसून सत्र 11 अगस्त के दिन खत्म हुआ था. मॉनसून सेशन में केंद्र सरकार ने कुछ विधेयकों को पास करवाया और अंत में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई. ज्यों ही लगा कि बातचीत और बहस का ये सिलसिला अब संसद में खत्म हो गया है तभी Parliamentary Affairs मिनिस्टर प्रह्लाद जोशी ने आकर एक स्पेशल पार्लियामेंटरी सेशन की घोषणा की. ये सेशन 18 सितंबर से 22 सितंबर तक चलेगा. इसी सेशन के सिलसिले में कल काँग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे की अगुवाई में विपक्षी गठबंधन की एक बैठक हुई. विपक्ष बार – बार एक सवाल उठा रहा है कि संसद के विशेष सत्र का एजेंडा क्या होने वाला है. आज काँग्रेस नेता सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को एक लेटर लिखा. इस लेटर में उन्होंने प्रधानमंत्री के सामने नौ मांगें रखीं, ये मांगें क्या है और संसद के विशेष सत्र के लिए विपक्ष की क्या तैयारियां चल रही हैं, सुनिए ‘दिन भर’ में. 

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जहां एक तरफ हमारे देश में तैयारियां चल रही है G20 समिट की, वहीं कल इंडोनेशिया के जकार्ता में शुरु हुआ ASEAN समिट. ASEAN यानि Association of Southeast Asian Nations, एक ऐसा संगठन जिसकी स्थापना हुई थी 1967 में. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस समिट में शामिल होने के लिए भारत से रवाना होंगे. जकार्ता में चल रहा ये ASEAN देशों का बीसवां समिट है. अगर मेम्बर्स की बात करें, तो इस संगठन में कुल 10 देश Brunei, Burma, Cambodia, Indonesia, Laos, Malaysia, Philippines, Singapore, Thailand, and Vietnam, शामिल हैं. यहां भी चीनी राष्ट्रपति नहीं पहुंचेंगे, उनकी जगह प्रीमियर ली कियांग जाएंगे. यूएसए से वाइस प्रेसिडेंट कमला हैरिस पहुंचेंगी. इस बार की थीम होगी- ASEAN Matters: Epicentrum of Growth. तो और क्या मुद्दे होंगे जिन पर चर्चा होगी, सुनिए ‘दिन भर’ में.

इंडिया और भारत की बहस जो कभी संविधान सभा में हुई थी, वो एक इनविटेशन कार्ड की वजह से अब फिर तेज़ है. इस बहस के अपने राजनीतिक और संवैधानिक पहलू हैं लेकिन एक आर्थिक पहलू भी है. क्या होगा अगर ये तय हो जाए कि इस देश का नाम सिर्फ़ और सिर्फ़ भारत रख दिया जाए. बैंक, कोर्ट, योजनाएं, सरकारी दस्तावेज़ और न जाने कितनी अनगिनत जगह इंडिया को भारत लिखा जाएगा. इसके अपने ख़र्चे हैं और ये ख़र्च तब और बढ़ जाता है जब ये काम भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़ी आबादी वाले देश में किया जाएगा. ऐसे कामों के लिए मोटा-मोटा ख़र्चा निकालने के लिए डैरेन ओलिवर के मॉडल की मदद ली जाती है. 2018 में जब एक अफ्रीकी देश स्वाज़ीलैंड ने अपना नाम बदल कर द किंगडम ऑफ़ इस्वातिनी किया तब इस मॉडल के आधार पर बताया गया कि उसे 60 मिलियन डॉलर ख़र्चने पड़े थे. एस्वाटिनी में राजशाही है और वो एक छोटा सा देश है. भारत के लिए नाम बदलने के पूरा ख़र्चा कितना बैठेगा, डैरेन ओलिवर मॉडल के हिसाब से, सुनिए ‘दिन भर’ में.
जेल की सलाखों के पीछे कैदियों की ज़िंदगी कैसे बदहाल होती है इससे जुड़ी रिपोर्ट्स आपने देखी होंगी. लेकिन एक रिपोर्ट आई है जो बता रही है जेल में महिलाओं की ज़िंदगी कैसी है. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस अमिताव रॉय कमेटी की रिपोर्ट का हवाला दिया है और कहा कि जेल रिफॉर्म्स पर केंद्र और राज्य की सरकारों को जवाब देना चाहिए. वेसे ये रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल दिसंबर महीने में सौंपी गई थी. ये रिपोर्ट टटोलने पर पता चलता है कि जेल में भी महिलाएं पुरुष कैदियों की अपेक्षा ज़्यादा परेशानियों का सामना कर रही हैं. पूरे देश में केवल 40 प्रतिशत जेल ही महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध करवाते हैं. गोवा, दिल्ली और पांडिचेरी की जेलों के अलावा महिला कैदियों को अपने बच्चों या रिश्तेदारों से खुले कमरे में मिलने की सुविधा नहीं मिलती.75 प्रतिशत महिला कैदियों को रसोई या कॉमन फैसिलिटीज पुरुष कैदियों के साथ बांटनी पड़ती है. और इस सबके बाद अगर किसी महिला कैदी को जेल स्टाफ के खिलाफ किसी तरफ के एब्यूज या harrasment से जुड़ी कोई शिकायत करनी हो तो ये भी देश के सिर्फ 10 जेलों और 1 यूनियन टेरिटरी में संभव है.  इस रिपोर्ट में और क्या - क्या बातें कही गई हैं, सुनिए ‘दिन भर’ में.
 
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