समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है.
दरअसल विरोध प्रदर्शन मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम ने याचिका में मांग की थी कि उत्तर प्रदेश की निचली अदालत को आदेश दिया जाए कि वह उनके नाबालिग होने के दावे की पुष्टि होने तक उनके खिलाफ कोई फैसला न सुनाएं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर को मुरादाबाद के जिला न्यायाधीश को निर्देश दिया था कि वह किशोर न्याय अधिनियम के तहत मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान के नाबालिग होने के पहलू पर फैसला करें और निर्णय को आगे के विचार के लिए उसके पास भेजें.
इस आदेश का हवाला देते हुए अब्दुल्ला आजम खान की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा कि जब तक नाबालिग होने के दावे पर रिपोर्ट पेश नहीं हो जाती, तब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट को लंबित आपराधिक मामले में आगे नहीं बढ़ने के लिए कहा जाए.
सिब्बल ने आगे कहा कि अगर हाईकोर्ट अंतिम आदेश पारित नहीं करती है तो आसमान नहीं टूट जाएगा. कभी-कभी कानून न्याय के रास्ते में रोड़ा बन जाता है. यह इसी तरह का मामला है.
हालांकि अदालत राहत देने के पक्ष में नहीं थी. कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर कोई अंतरिम आदेश पारित करने का कोई ठोस कारण नहीं मिला. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मुरादाबाद जिला अदालत से नाबालिग होने के दावे का पता लगाने और उसे रिपोर्ट भेजने को कहा था.
क्या है पूरा मामला?
अब्दुल्ला और उनके पिता आजम खान के खिलाफ 2008 में स्टेट हाइवे पर धरने के लिए आईपीसी की धारा 341 (गलत तरीके से रोकना) और 353 (हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत केस दर्ज किया गया था. 31 दिसंबर 2007 को रामपुर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कैंप पर हमला हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने आजम खान के काफिले को जांच को लेकर रोक लिया था, जिससे आजम खान नाराज हो गए थे और राजमार्ग पर धरने पर बैठ गए और हंगामा किया. अब्दुल्ला के पिता आजम खान को 2019 के एक मामले में सांसद-विधायक अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य के रूप में पहले ही अयोग्य घोषित कर दिया गया था.