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शिंदे गुट ही असली शिवसेना, विधायक भी 'योग्य'... पांच पॉइंट में समझें स्पीकर के फैसले की बड़ी बातें

करीब 18 महीने पहले शिंदे समेत 39 विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिसकी वजह से 57 साल पुरानी पार्टी शिवसेना में विभाजन हो गया था और महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी. इस घटना के बाद दोनों गुटों ने एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की थीं. 

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सीएम एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)
सीएम एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता मामले में फैसला सुनाया. इस दौरान उन्होंने कहा कि, शिंदे गुट ही असली शिवसेना है और उद्धव ठाकरे भी पार्टी नियमों के तहत ही पार्टी के नेता बने थे. स्पीकर इस फैसले ने मौजूदा सीएम शिंदे को एक बड़ी राहत दी है. वह कम से कम अगले एक साल तो इस फैसले से सुकून में रहेंगे, वह भी ऐसे समय में जबकि, इस एक साल में लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनाव होने हैं. 

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1999 का संविधान ही वास्तविक
स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि 2022 के विद्रोह के दौरान उद्धव ठाकरे के पास एकनाथ शिंदे को शिवसेना विधायक दल के नेता पद से हटाने की शक्ति नहीं थी, और निर्वाचन आयोग के फैसले के आधार पर उन्होंने पार्टी के 1999 के संविधान को "वास्तविक संविधान" माना क्योंकि यह चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में था. 1999 के संविधान के अनुसार, पार्टी प्रमुख के हाथों में सत्ता की शक्ति नहीं रही थी. 

ठाकरे गुट का दावा खारिज
दूसरी ओर, ठाकरे गुट ने दावा किया है कि 2018 में संविधान में संशोधन किया गया, जिससे सत्ता वापस पार्टी प्रमुख के हाथों में आ गई. चुनाव आयोग का दावा है कि, 2018 का दस्तावेज़ उसके सामने नहीं रखा गया था. अध्यक्ष ने कहा, "2022 में जब प्रतिद्वंद्वी गुट उभरे तो एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला गुट ही असली शिवसेना था. शिवसेना 'प्रमुख' के पास किसी भी नेता को पार्टी से हटाने की शक्ति नहीं है." यह आदेश न केवल शिंदे सरकार की स्थिरता सुनिश्चित करता है, जो भाजपा और अजित पवार के नेतृत्व वाले राकांपा से अलग हुए गुट के साथ गठबंधन में है, बल्कि नवंबर में होने वाले महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों से पहले शिवसेना नेता को डींगें हांकने का अधिकार भी देता है.

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फैसला सुनाने में हुई देरी
स्पीकर राहुल नार्वेकर ने बुधवार को जब ये फैसला सामने रखा तो इससे पहले दो बार फैसला सुनाने का टाइम बदला गया. पहले ये फैसला शाम 4 बजे आना था, फिर इसकी टाइमिंग बढ़ गई और साढ़े चार बजे अयोग्यता पर फैसला आने की बात कही गई, लेकिन काफी देर के इंतजार के बाद स्पीकर राहुल नार्वेकर ने ही शाम पांच बजे विधानसभा में एंट्री ली, फिर इसके बाद कहीं जाकर अयोग्यता के मामले का बहुप्रतीक्षित फैसला आना शुरू हुआ. स्पीकर ने विधानसभा में 1200 पन्ने का अहम फैसला सुनाया, जिसपर देशभर की निगाहें लगी हुई थीं. 

स्पीकर ने पढ़ा 1200 पन्नों का फैसला
स्पीकर ने अपना फैसला पढ़ना शुरू किया फिर एक-एक करके उन्होंने फैसले पर तर्क दिए और उनका आधार बताया. यह पूरा आदेश पांच भाग या ग्रुप में हैं . सबसे पहले ग्रुप में सुप्रीम कोर्ट में सुभाष देसाई वाले मामले का जिक्र है. कौन सा गुट असली या मूल है जिसका व्हिप मान्य होगा. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसका हवाला दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने जो सिद्धांत प्रतिपादित किए उसमें स्पीकर ने कोई टिप्पणी नहीं की. 

यह भी पढ़िएः शिवसेना पर फैसला: अब तो INDIA ब्लॉक में भी किनारे लगाए जा सकते हैं उद्धव ठाकरे

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विधानसभा में स्पीकर ने क्या कहा और उन्होंने क्या तर्क दिए, इन्हें पांच पॉइंट में समझते हैं.

1. स्पीकर का फैसला- शिंदे गुट ही असली शिवसेना
तर्क का आधार- चुनाव आयोग का रिकॉर्ड

स्पीकर ने फैसला सुनाते हुए पहली अहम टिप्पणी सामने रखी. उन्होंने साफ कहा कि, शिंदे गुट ही असली शिवसेना है. इस फैसले के तर्क के लिए उन्होंने चुनाव आयोग के रिकॉर्ड को आधार बनाया. स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना के दो गुटों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई आम सहमति नहीं है. लीडरशिप स्ट्रक्चर पर दोनों पार्टियों के विचार अलग-अलग हैं. एकमात्र पहलू बहुमत का है. उन्होंने कहा कि, मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा. उन्होंने कहा कि 2018 का संशोधित संविधान चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है. शिवसेना का 1999 का संविधान ही मान्य है. 

2. स्पीकर का फैसलाः  शिंदे को हटाने का फैसला गलत था
तर्क का आधार- संविधान में पक्ष प्रमुख का कोई पद नहीं


स्पीकर ने फैसले में दूसरी अहम बात कही कि, पार्टी के संविधान के मुताबिक सीएम शिंदे को उद्धव गुट हटा नहीं सकता था. संविधान में पक्ष प्रमुख का कोई पद नहीं है. इसके साथ ही, विधायक दल के नेता को हटाने का कोई प्रावधान संविधान में नहीं है. उन्होंने कहा कि शिंदे को हटाने का फैसला राष्ट्रीय कार्यकारिणी का होना चाहिए था. राष्ट्रीय कार्यकारिणी पर उद्धव गुट का रुख साफ नहीं है. इसी के साथ 25 जून 2022 के कार्यकारिणी के प्रस्तावों को स्पीकर ने अमान्य करार दिया है. 

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3. स्पीकर का फैसला- नियमानुसार ही शिंदे बने पार्टी के नेता 
तर्क का आधार- शिंदे के समर्थन में थे 37 विधायक  


फैसले की तीसरी अहम टिप्पणी रही, एकनाथ शिंदे का सीएम पद. स्पीकर ने फैसले में पढ़ा कि, एकनाथ शिंदे नियमानुसार ही पार्टी के नेता बने. इसके साथ ही उन्होंने विधायकों की अयोग्यता की याचिका खारिज कर दी. इस पर फैसला सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब पार्टी में बंटवारा हुआ था उस समय शिंदे के समर्थन में 37 विधायक थे. उन्होंने यह भी कहा कि एकनाथ शिंदे नियमानुसार पार्टी के नेता बने. 21 जून को ही एकनाथ शिंदे पार्टी के नेता बन गए थे. उन्होंने आगे जोड़ा कि, शिंदे गुट के विधायक अयोग्य नहीं हैं. उन्हें अयोग्य ठहराने का कोई वैलिड रीजन या आधार नहीं है. 

4. स्पीकर का फैसला- भरत गोगावले ही असली व्हिप
तर्क का आधार- चुनाव आयोग ने दी मान्यता 


अपने फैसले में स्पीकर ने भरत गोगावले की व्हिप के रूप में नियुक्ति को वैध बताया है. स्पीकर ने 1200 पन्नों के फैसले को पढ़ते हुए कहा कि सुनील प्रभु को जब चीफ व्हिप नियुक्त किया गया था, तब पार्टी का विभाजन हो चुका था. चूंकि चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना है, ऐसे में चीफ व्हिप के रूप में भरत गोगावले की नियुक्ति सही है. सुनील प्रभू को विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार नहीं था.

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5. स्पीकर का फैसलाः  शिवसेना का 1999 का संविधान ही सर्वोपरि
तर्क का आधार- 2018 का चुनाव रिकॉर्ड में ही नहीं


16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला सुनाते हुए विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना का 1999 का संविधान की सर्वोपरि है. हम शिवसेना के 2018 के संशोधित संविधान को मान्य करार नहीं दे सकते हैं. यह संसोधन चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है. उन्होंने इस दौरान शिवसेना के संगठन में चुनाव का मुद्दा भी सामने रखा. उन्होंने कहा कि साल 2018 में संगठन में चुनाव नहीं है. हमें 2018 के संगठन नेतृत्व को भी ध्यान में रखना होगा. उन्होंने कहा कि मेरे पास सीमित मुद्दा है और वह यह है कि असली शिवसेना कौन है. दोनों ही गुट अपने असली होने का दावा कर रहे हैं.

यह भी पढ़िएः 'हमें अयोग्य क्यों नहीं ठहराया?', स्पीकर के फैसले पर उद्धव ठाकरे ने उठाए सवाल

असली पार्टी का फैसला निर्वाचन आयोग कर चुका हैः स्पीकर
बता दें कि, करीब 18 महीने पहले शिंदे समेत 39 विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिसकी वजह से 57 साल पुरानी पार्टी शिवसेना में विभाजन हो गया था और महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी. इस घटना के बाद दोनों गुटों ने एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की थीं. 

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फैसले में सुप्रीम कोर्ट का जताया आभार
स्पीकर ने शिव सेना संविधान में नेतृत्व ढांचे की बात जोर देकर कही. उन्होंने कहा कि, असली पार्टी का फैसला निर्वाचन आयोग कर चुका है. 2018 का लीडरशिप स्ट्रक्चर ही विश्वस्त है. उसमें पक्ष प्रमुख यानी पार्टी अध्यक्ष की व्याख्या की गई है. हमने भी उसे ही मान्यता दी है. वही उच्चतम पद है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 19 सदस्य होंगे. 14 चुने जाएंगे पांच मनोनीत होते हैं. शिवसेना विधायकों की अयोग्यता मामले में फैसला सुनाते हुए राहुल नार्वेकर ने सुप्रीम कोर्ट का भी उल्लेख करते हुए आभार जताया. स्टाफ और वकीलों का भी आभार और धन्यवाद किया. 

व्हिप कौन है? क्या विधायक अयोग्य हुए?, स्पीकर बोले- नहीं
इस पूरे मामले में जो सबसे खास सवाल था कि, क्या 21 जून की एसएसएलपी बैठक से विधायकों की अनुपस्थिति अयोग्यता का कारण बनती है? इस पर स्पीकर ने कहा कि, इस आधार पर मेरा मानना ​​है कि शिंदे गुट को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि शिंदे गुट ही असली पार्टी थी और गुट के उभरने के बाद से ही सुनील प्रभु सचेतक नहीं रहे. 

राष्ट्रीय कार्यकारिणी का फैसला ही सर्वोच्चः स्पीकर
महेश जेठमलानी ने भी अपनी दलीलों में बताया कि शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का फैसला ही सर्वोच्च और सर्वमान्य होता है. 25 जून 2022 को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई थी. उसमें जो सात प्रस्ताव पास की गए उन पर फर्जीवाड़े से बदलाव करने का आरोप लगा. मेरे सामने भी वो लाए गए. उन पर पूरी राष्ट्रीय कार्यकारिणी यानी प्रतिनिधि सभा की बजाय सिर्फ सचिव विनायक राव के ही दस्तखत थे.

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भरत गोगावले वैध व्हिप
राहुल शिवाय, अरविंद के गवाह के रूप में दस्तखत हैं जो राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य ही नहीं हैं. इसलिए ये दस्तावेज शक के घेरे में हैं. इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता. स्पीकर ने उद्धव ठाकरे की दलीलें खारिज करते हुए कहा कि 25 जून 2022 को लिए गए कथित निर्णयों को मान्यता नहीं दे सकते हैं. भारत गोगावले ही असली व्हिप हैं. 21 जून 2023 को एकनाथ शिंदे ही पार्टी के वैध नेता और भरत गोगावले वैध व्हिप हैं. 

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संक्षेप में जानिए, स्पीकर के फैसले की 10 खास बातें

1- एकनाथ शिंदे शिवसेना ही असल शिवसेना है 

2- एकनाथ शिंदे गुट के विधायक पूरी तरह योग्य है 

3- साल 1999 का पार्टी संविधान ही आधिकारिक रूप से मान्य है 

4- 2018 में पार्टी संविधान में बदलाव की सूचना चुनाव आयोग को नहीं 

5- एकनाथ शिंदे को हटाने का अधिकार उद्धव ठाकरे के पास नहीं था 

6- शिवसेना प्रमुख के पास दल के नेता को हटाने का अधिकार नहीं 

7- विधायक दल के नेता के तौर पर एकनाथ शिंदे को हटाना गलत 

8- राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उद्धव ठाकरे गुट को मान्यता मिली रिकॉर्ड नहीं 

9- उद्धव ठाकरे गुट का दावा कार्यकारिणी बैठक 25 जून 2022 को हुई

10- एकनाथ ने बैठक के दस्तावेज को लेकर सवाल उठाए, फर्जी होने का आरोप लगाया 

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