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खास समुदायों के खिलाफ अपराधों का डेटा मेंटेन नहीं किया जाता, संसद में गृह मंत्रालय ने दी जानकारी

लोकसभा में ईसाइयों पर हुए हमलों के बारे में सवाल किया गया. गृह मंत्रालय ने लिखित में जवाब देते हुए कहा है कि खास समुदायों के खिलाफ अपराधों का डेटा अलग से मेंटेन नहीं किया जाता है.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • 'लोक व्यवस्था' और 'पुलिस' राज्य के विषय हैं
  • कानून और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी मुख्य तौर पर संबंधित राज्य सरकारों की

ईसाइयों के खिलाफ अपराध पर, संसद सदस्य विन्सेंट एच पाला ने लोकसभा में सवाल किया. सांसद ने पूछा था कि क्या राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक, धार्मिक अपराधों में 95% से अधिक की वृद्धि हुई है? इसपर गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लिखित में जवाब दिया. 

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जवाब में कहा गया है कि खास समुदायों के खिलाफ अपराधों के बारे में डेटा मेंटेन नहीं किया जाता है. उन्होंने कहा कि संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, 'लोक व्यवस्था' और 'पुलिस' राज्य के विषय हैं. कानून और व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी मुख्य तौर पर संबंधित राज्य सरकारों की होती है.

हालांकि, भारत सरकार देश में आंतरिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था की स्थिति की निगरानी करती है. साथ ही, समय-समय पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए एडवाइज़री जारी करती है. राज्यों के अनुरोध पर, सरकार राज्य सरकारों की मदद के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) को भी तैनात करती है. 

इसके अलावा, कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए, योजनाएं चलाती है. साथ ही, खुफिया जानकारी साझा करने के लिए संस्थागत तंत्र है, ताकि सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावी ढंग से चलाया जा सके.

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उन्होंने बताया कि एनसीआरबी का डेटा राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा उपलब्ध कराए गए अपराधों के डेटा से मिल खाता है. हालांकि, खास समुदायों के खिलाफ अपराधों का अलग से डेटा मेंटेन नहीं किया जाता है.

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