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Rajasthan News: मुगलों के समय से नागौर का मायरा प्रसिद्ध था. आज फिर नागौर का मायरा इतिहास के पन्नों पर स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है. नागौर के 6 भाइयों ने एक बार फिर मायरे को चर्चा का विषय बना दिया. दूध व्यापारियों ने अपनी सबसे छोटी बहन के यहां 8 करोड़ का मायरा भरा. बहन के द्वार पर भाई बैलगाड़ी लेकर पहुंचे तो लोग एक बार हंसने लग गए थे. लेकिन फिर पीछे आ रहा 1000 गाड़ियों के काफिला, देशी घी और चीनी से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली देख पूरा गांव चौंक गया.
दरअसल, नागौर जिले के ढिगसरा निवासी भागीरथ राम मेहरिया (भाजपा नेता), अर्जुनराम मेहरिया (पूर्व अध्यक्ष अखिल भारतीय वीर तेजा जन्मस्थली संस्थान खरनाल), प्रहलाद, मेहराम, उम्मेदाराम मेहरिया ने अपनी बहन भंवरी देवी के यहां मायरा भरा, जिसकी चर्चा जोरों पर है.
मायरा क्यों बना चर्चा का विषय?
ढिगसरा का मेहरिया परिवार जब रायधनु के गोदारा परिवार में मायरा लेकर पहुंचा तो सब लोग हैरान रह गए. ऐसा इसलिए क्योंकि वह नागौरी नस्ल के बैलों की जोड़ी लेकर पहुंचे थे.
लेकिन फिर बैलगाड़ी के पीछे 1000 गाड़ियों का काफिला और गाड़ियों के काफिले के आगे नया टैक्टर ट्रॉली था. करीब दो किलोमीटर लंबे काफिले में आगे चल रहे टैक्टर ट्रॉली को धान, चीनी और दूसरे अनाज से भरा गया था.
पूरे गांव को बांटे कंबल और चांदी के सिक्के
वहीं, बहन भंवरी के सिर पर चुनरी ओढ़ाकर भाइयों ने मायरे की शुरुआत की. मायरे में 100 बीघा जमीन, नेशनल हाईवे पर 1 बीघा का प्लॉट, नए टैक्टर-ट्रॉली, गुड़ का कट्टा, घी से भरा घड़ा, 1 किलो 125 ग्राम सोना, 14 किलो 250 ग्राम चांदी, 2 करोड़ 2 लाख 31 हजार 101 रुपए नगद के अलावा बहन के ससुराल यानी रायधनू गांव स्थित कुल 800 घरों के लिए 1-1 कंबल और चांदी का सिक्का उपहार स्वरूप बांटे.
बता दें कि अभी कुछ दिनों पहले ही नागौर की डेह तहसील के बुरड़ी गांव में भी 3 करोड़ रुपए का मायरा भरा गया था, लेकिन अब ढिगसरा गांव का मायरा सब रिकॉर्ड तोड़ चुका है. अब यह कहना सही होगा कि राजस्थान के नागौर जिले में मायरा अब ट्रेंडिंग में आने लगा है, क्योंकि पिछले एक साल में 10 से ज्यादा मायरे नागौर जिले में सोशल मीडिया पर छाए रहे थे.
क्या होता है मायरा?
मायरा (भात) भरने की परंपरा में मामा अपने भांजे-भांजी की शादी में कपड़े, पैसे समेत अन्य सामान लेकर जाते हैं. साथ ही बहन के ससुराल वालों के लिए भी अपनी अपनी स्थिति अनुसार उपहार ले जाते हैं. मगर राजस्थान के नागौर जिले में भाई अपनी बहनों के द्वार करोड़ों रुपए का मायरा भर आते हैं.