तिरुपति लड्डू में पशु चर्बी की कथित मिलावट का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. आज इस मामले में एसआईटी गठित किए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. वहीं तिरुपति तिरुमला देवस्थानम आज इस बारे में आंध्र प्रदेश सरकार को रिपोर्ट सौंपने वाली है. अब इस मामले में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर का भी बयान आया है.
श्री श्री रविशंकर ने तिरुपति लड्डू विवाद पर कहा है कि 1857 के सिपाही विद्रोह के समय भी ऐसा हुआ था. इस घटना ने हिन्दुओं की भावनाओं को आहत किया है. ये कुछ ऐसा है कि जिसे माफ नहीं किया जा सकता है. श्री श्री रविशंकर ने कहा कि सिर्फ लड्डू ही नहीं बाकी खाने की भी जांच होनी चाहिए. श्रीश्री ने कहा मंदिर प्रबंधन में साधु संतों की एक कमेटी होनी चाहिए जो इस पर निगरानी रख सके.
1857 के सिपाही विद्रोह का किया जिक्र
"हमने इतिहास की किताबों में पढ़ा है कि 1857 में सिपाही विद्रोह कैसे हुआ था और अब हम देखते हैं कि इस लड्डू से हिंदुओं की भावनाएं कितनी आहत हुई हैं. यह ऐसी चीज है जिसे माफ नहीं किया जा सकता, यह दुर्भावनापूर्ण है और इस प्रक्रिया में शामिल लोगों के लालच की पराकाष्ठा है. इसलिए, उन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए. उनकी सारी संपत्ति जब्त कर ली जानी चाहिए और जो भी इस प्रक्रिया में दूर-दूर तक शामिल है, उसे जेल में डाल दिया जाना चाहिए...'
यह भी पढ़ें: तिरुपति लड्डू विवाद का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, याचिका दायर कर की गई SIT जांच की मांग
उन्होंने कहा, 'हमें सिर्फ लड्डू ही नहीं बल्कि हर खाद्य उत्पाद की जांच करने की जरूरत है. बाजार में उपलब्ध घी का क्या? क्या कोई जांच कर रहा है कि वे उसमें क्या डाल रहे हैं? जो लोग भोजन में मिलावट करते हैं और उस पर शाकाहारी होने का ठप्पा लगाते हैं और उसमें किसी भी तरह का मांसाहारी सामान डालते हैं, उन्हें बहुत कड़ी सजा मिलनी चाहिए...'
समिति बनाने की वकालत
श्री श्री रविशंकर ने कहा कि मंदिर प्रबंधन के लिए, हमें यह देखने की जरूरत है कि यह संतों की देखरेख में हो, स्वामी और आध्यात्मिक गुरु...हमें आध्यात्मिक नेताओं की एक समिति बनाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, ''सरकार की ओर से भी एक व्यक्ति होना चाहिए, लेकिन उसे एक छोटी भूमिका निभानी होगी. लेकिन प्रमुख निर्णय, पर्यवेक्षण और सब कुछ एसजीपीसी जैसे धार्मिक बोर्डों, मुस्लिम निकाय, ईसाई निकाय की तरह द्वारा किया जाना चाहिए."
यह भी पढ़ें: Tirupati Balaji Mandir: तिरुपति में कई साल पुरानी है प्रसाद बनाने की परंपरा, जानें इसके पीछे की मान्यता
वहीं आंध्र प्रदेश के तिरुमला मंदिर में प्रसाद को लेकर उठे विवाद पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने भी बड़ा बयान दिया है. अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा कि यह भक्तों के भावनाओं के साथ सबसे बड़ा खिलवाड़ हुआ है. इस मामले पर उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर जांच होना चाहिए.