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राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही केंद्र सरकार, इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोले केरल के वित्त मंत्री

State finances: The tight rope walk में केरल के वित्त मंत्री के.एन. बालगोपाल, भारत के पूर्व कैबिनेट सचिव-अर्थशास्त्री के.एम. चंद्रशेखर और  अर्थशास्त्री पिनाकी चक्रवर्ती ने देश के आर्थिक हालातों और राज्यों के वित्त मामले पर खुलकर अपनी बात रखी. आइए जानते हैं क्या बोले तीनों पैनेलिस्ट.

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K.N. Balagopal Minister for Finance, Kerala (India Today Conclave)
K.N. Balagopal Minister for Finance, Kerala (India Today Conclave)

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ के दूसरे दिन (शुक्रवार) के सत्र State finances: The tight rope walk में केरल के वित्त मंत्री के.एन. बालगोपाल, भारत के पूर्व कैबिनेट सचिव-अर्थशास्त्री के.एम. चंद्रशेखर और  अर्थशास्त्री पिनाकी चक्रवर्ती ने हिस्सा लिया. इस सत्र के दौरान तीनों पैनेलिस्ट ने केरल राज्य के वित्त, केंद्र सरकार द्वारा लाए गए जीएसटी बिल, फ्रीबी कल्चर समेत कई जरूरी मुद्दों पर अपनी राय सामने रखी. 

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राज्यों के प्रति सौतेला व्यवहार कर रही केंद्र सरकार!
केरल के आर्थिक हालात पर बात करते हुए के.एन. बालगोपाल ने कहा कि जीएसटी नियमों में बदलाव के बाद राज्य का राजस्व संग्रह केंद्र के पास जा रहा है. बालगोपाल ने कहा, "केंद्र सरकार जीएसटी को नियंत्रित करती है, वे उधार को नियंत्रित करते हैं और कई राज्यों के प्रति सौतेला व्यवहार कर रही है." आगे उन्होंने कहा कि पहले केंद्र सरकार उपकर और अधिभार (cess and surcharges) से 10 प्रतिशत कमाती थी, लेकिन अब यह 20 प्रतिशत (लगभग 5.5 लाख करोड़ रुपये) है, लेकिन केंद्र सरकार किसी भी राज्य को एक पैसा भी नहीं दे रही. 

श्रीलंका के आर्थिक संकट से भारत की तुलना नहीं करनी चाहिए
हाल ही में श्रीलंका में आर्थिक संकट के चलते हालात बिगड़ गए थे. इसके बाद से ही इस चीज पर चर्चा होने लगी कि भारत में भी राज्यों को वित्त मामलों को लेकर सतर्क होने की जरूरत है. कार्यक्रम में जब अर्थशास्त्री पिनाकी चक्रवर्ती से इस बारे में सवाल किया गया कि क्या राज्यों को सतर्क होने की जरूरती है तो उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की श्रीलंका में हुए संकट से तुलना करना बंद करना चाहिए. 

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उन्होंने कहा कि हमारे राज्य श्रीलंकी की तरह नहीं हो सकते क्योंकि हमारे राज्यों को देश के बाहर से ऋण लेने की अनुमति नहीं है. श्रीलंका में देश के बाहर से ऋण लेने के चलते आर्थिक संकट पैदा हुआ. भारत में ऐसा किसी राज्य के साथ नहीं हो सकता है. वहीं, केंद्र सराकार की बात करते हुए पिनाकी चक्रवर्ती ने कहा कि भारत का 99 प्रतिशत राजकोषीय घाटा घरेलू स्रोतों से पूरा होता है. यह भारत के लोग हैं जो भारत सरकार के वित्तीय घाटे को पूरा करते हैं. इसलिए भारत की आर्थिक स्थिति की तुलना श्रीलंका या पाकिस्तान से नहीं करनी चाहिए. 

'रेवड़ी कल्चर' पर क्या बोले अर्थशास्त्री पिनाकी चक्रवर्ती

राज्य कैसे बढ़ा सकते हैं अपना राजस्व? 
राजस्व बढ़ाने के तरीकों के बारे में बोलते हुए, पूर्व कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर ने कहा कि उसके लिए बहुत कम जगह बची है. उन्होंने कहा कि आपको जीएसटी मिल गया है, आप जीएसटी को बेहतर ढंग से लागू कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए आपकी सूचना प्रणाली अच्छी होनी चाहिए और हर किसी को इसका हिस्सा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्र को सोचना होगा कि क्या हमें इतनी केंद्र प्रायोजित योजनाओं की आवश्यकता है? क्या केंद्र सरकार  कुछ शर्तों के तहत राज्यों को धन नहीं दे सकती? इसके बाद केंद्र कोई ऐसी बॉडी रख सकती है जो कराधान संरचना पर नजर रखने के साथ इस चीज को देखेगी कि आप देश के विकास के लिए कैसे पैसे खर्च कर रहे हैं. 

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