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'1 अप्रैल 2005 के बाद से रॉयल्टी का पिछला बकाया वसूल सकेंगे राज्य', खनिजों की आय मामले पर SC का बड़ा आदेश

केंद्र सरकार की ओर से टैक्स लागू करने की मांग को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. यानी राज्यों पर कोई ब्याज या जुर्माना नहीं लगेगा. कोर्ट ने कहा कि केंद्र, खनन कपंनियों द्वारा खनिज संपन्न राज्यों को बकाये का भुगतान अगले 12 वर्ष में क्रमबद्ध तरीके से किया जा सकता है.

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खनिजों से आय मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला.
खनिजों से आय मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला.

खनिजों के खनन और उनसे होने वाली आय, टैक्स शुल्क और रॉयल्टी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बड़ा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को एक अप्रैल 2005 के बाद से केंद्र सरकार, खनन कंपनियों से खनिज संपन्न भूमि पर रॉयल्टी का पिछला बकाया वसूलने की अनुमति दे दी. कोर्ट के इस फैसले से केंद्र सरकार और माइनिंग कंपनियों को बड़ा झटका लगा है.

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केंद्र सरकार की ओर से टैक्स लागू करने की मांग को कोर्ट ने खारिज कर दिया है.  यानी राज्यों पर कोई ब्याज या जुर्माना नहीं लगेगा. कोर्ट ने कहा कि केंद्र, खनन कपंनियों द्वारा खनिज संपन्न राज्यों को बकाये का भुगतान अगले 12 वर्ष में क्रमबद्ध तरीके से किया जा सकता है. इसके साथ ही कोर्ट ने खनिज संपन्न राज्यों को रॉयल्टी के बकाये के भुगतान पर किसी तरह का जुर्माना न लगाने का निर्देश दिया.

इन राज्यों को होगा फायदा

इससे पहले 9 जजों की पीठ ने कहा था कि राज्यों को खनिजों के लिए मिलने वाली रॉयल्टी को टैक्स नहीं माना जा सकता और खनिज युक्त जमीन पर अलग से टैक्स लगाना राज्यों के अधिकार के दायरे में आता है. इस फैसले से खनिज व खदान संपन्न राज्य ओडिशा, झारखंड, बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान को फायदा होगा.

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यह भी पढ़ें: 'राज्य सरकार खनिजों पर लगा सकती है टैक्स', सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 8:1 बहुमत से सुनाया बड़ा फैसला

9 जजों की संविधान पीठ ने 8-1 के बहुमत से फैसला दिया है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस ओक, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जल भुइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने फैसला सुनाया. जस्टिस नागरत्ना ने इस फैसले के खिलाफ अपनी राय रखी.

कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई में कहा था कि खनिज अधिकारों पर कर लगाने की विधायी शक्ति राज्यों के पास है. इस फैसले ने 1989 के फैसले को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि केवल केंद्र के पास खनिजों और खनिज युक्त भूमि पर रॉयल्टी लगाने का अधिकार है.

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