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वक्फ संशोधन विधेयक पर JPC की बैठकों का दौर शुरू, हंगामेदार रही पहली मीटिंग

सामने आया है कि यह बैठक 6 घंटे तक चली. जेपीसी की बैठक के दौरान विपक्षी सांसदों और भाजपा के सांसदों के बीच तीखी बहस हुई. बैठक के दौरान, मंत्रालय के अल्पसंख्यक मामलों की प्रस्तुति को लेकर सदस्यों ने असंतोष जाहिर किया. एक सदस्य ने आरोप लगाया कि सचिव तैयारी के बिना आए थे.

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वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त समिति की गुरुवार को बैठक हुई। (फोटो: X/@LokSabhaSectt)
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त समिति की गुरुवार को बैठक हुई। (फोटो: X/@LokSabhaSectt)

संसद की संयुक्त समिति ने गुरुवार को वक्फ संशोधन विधेयक पर अपनी पहली बैठक आयोजित की, जिसमें विधेयक के पक्ष और विपक्ष में तीखी बहस देखने को मिली. इस 31-सदस्यीय समिति की बैठक संसद एनेक्सी में हुई, जहां सभी सदस्य अपने-अपने दृष्टिकोण और विचार पेश करते हुए विधेयक के समर्थन और विरोध में तर्क-वितर्क करते रहे.

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सामने आया है कि यह बैठक 6 घंटे तक चली. जेपीसी की बैठक के दौरान विपक्षी सांसदों और भाजपा के सांसदों के बीच तीखी बहस हुई. बैठक के दौरान, मंत्रालय के अल्पसंख्यक मामलों की प्रस्तुति को लेकर सदस्यों ने असंतोष जाहिर किया. एक सदस्य ने आरोप लगाया कि सचिव तैयारी के बिना आए थे और प्रस्तुति में विधेयक के इतिहास, वर्तमान स्थिति और इसकी आवश्यकता के बारे में उन्हें व्यापक जानकारी नहीं थी. अन्य सदस्यों ने भी इस बात की पुष्टि की कि सरकार की प्रस्तुति असंतोषजनक थी, जिससे बहस और तेज हो गई.

एआईएमआईएम के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने 14 पन्नों का पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने वक्फ संशोधन विधेयक (2024) पर वितरित पृष्ठभूमि नोट के खिलाफ तर्क किए. उन्होंने अपनी असहमति को अंतिम रिपोर्ट में शामिल करने की मांग की है. 

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विधेयक के खिलाफ मुख्य आपत्ति यह थी कि इसका बुनियादी स्वरूप समानता, धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक संस्थानों के गठन और रखरखाव के अधिकार के खिलाफ है. अन्य मुद्दों में राज्य के हस्तक्षेप की तीव्रता शामिल है, जो वक्फ बोर्ड की शक्तियों को कमजोर करता है. इसके अतिरिक्त, व्यापक परामर्श और पारदर्शिता की कमी की भी शिकायत की गई. कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों के मामलों में अत्यधिक अधिकार देने का मुद्दा भी उठाया गया, क्योंकि कलेक्टर प्रशासन के सबसे अधिक व्यस्त अधिकारियों में से एक है और वह वक्फ विवादों पर ध्यान देने के लिए समय नहीं निकाल सकता.

जेपीसी के 3 सदस्य निशिकांत दुबे, राधा मोहन दास अग्रवाल और सुरेश गोपीनाथ म्हात्रे (एनसीपी-एसपी) पहली जेपीसी बैठक में शामिल नहीं हुए. ओवैसी और सपा के मोहिबुल्लाह नदवी सहित 5 विपक्षी सदस्यों ने प्रस्तावित संशोधनों का लिखित विरोध किया. अगली बैठक 30 अगस्त को बैठक के दौरान विपक्ष ने मांग की कि हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के लिए समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए जाने चाहिए. साथ ही सुझावों, प्रतिक्रियाओं और चिंताओं को आमंत्रित करने के लिए ईमेल आईडी और फोन नंबर जारी किए जाने चाहिए. बता दें कि इस मामले पर जेपीसी की अगली बैठक 30 अगस्त को होगी.

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