ओडिशा में बालासोर जिले में 5 दिन पहले हुए भीषण ट्रेन हादसे की दिलदहला देने वालीं कहानियां सामने आने लगी हैं. ट्रिपल ट्रेन हादसे में बड़ी संख्या में पश्चिम बंगाल के रहने वाले लोग भी घायल हुए हैं. कई की जान गई है. हादसे में हावड़ा का रहने वाला एक युवक बाल-बाल बचा है. उसे कोलकाता के SSKM हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया है. यह युवक 2 जून को शालीमार स्टेशन से कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार होकर चेन्नई जा रहा था. वो वहां पानी के संयंत्र (water plant) में नौकरी जॉइन करनी थी.
जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार की शाम जब ट्रेन हादसा हुआ, तब विश्वजीत मलिक घटनास्थल पर बेसुध हालत में पड़ा था. स्थानीय लोग मदद करने के लिए पहुंचे तो विश्वजीत को वहां रेलवे ट्रैक के किनारे खुले मैदान में अन्य शवों के बीच पड़ा देखा. स्थानीय लोगों ने बताया कि जब शवों को भेजा जा रहा था. तब विश्वजीत के शरीर में उनके बाएं हाथ को हरकत करते देखा गया. आनन-फानन में उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया. समय रहते इलाज मिलने से विश्वजीत अब खतरे से बाहर है.
'फोन करने के बाद बेहोश हाे गया बेटा'
विश्वजीत (24 साल) के पिता हेलाराम मलिक कहते हैं कि हादसे के बाद उन्हें एक अज्ञात नंबर से फोन आया था. उसे हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने सबसे पहले रेस्क्यू किया और बचानागा के एक अस्पताल में भर्ती कराया. पिता बताते हैं कि हादसे की जानकारी उनके बेटे विश्वजीत ने ही दी थी. वो जब अस्पताल में एडमिट हो गया, तब फोन किया. उसके बाद बेहोश हो गया. बेटा यह नहीं बता सका कि किस शहर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
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'200 किमी दूर कार से पहुंचे, बेटे की तलाश की'
हीलाराम मलिक ने आजतक से बातचीत में कहा, जैसे ही बेटे ने मुझे जानकारी दी तो मैं तुरंत कार से सड़क मार्ग से बालासोर के लिए निकला. करीब 200 किमी का सफर कब तय कर लिया, पता ही नहीं चला. बेटे ने मुझे किसी के मोबाइल फोन से कॉल किया था. जब वह दुर्घटनास्थल पर पहुंचे और उस नंबर पर कॉल किया तो बंद आया. कुछ देर के लिए घबरा गया था.
हीलाराम मलिक कहते हैं कि बेटे की तलाश करना कठिन हो गया था. हालांकि, हिम्मत नहीं हारी और एक के बाद एक अस्पताल में पहुंचकर तलाश की. मशक्कत के बाद भी बेटे का पता नहीं चल सका. बाद में जब बेटे को होश आया तो उसने मुझे एक दूसरे नंबर से फोन किया और अस्पताल के बारे में जानकारी दी. मैं तुरंत अस्पताल पहुंचा और पाया कि मेरा बेटा वहां भर्ती है.
'भुवनेश्वर नहीं ले गए, कोलकाता ले आए'
स्थानीय अस्पताल के ऑन ड्यूटी डॉक्टरों ने पिता से कहा कि वे विश्वजीत को इलाज के लिए भुवनेश्वर रेफर करना चाहते हैं. हालांकि, हम अपने बेटे को वापस कोलकाता लाना चाहते थे. डॉक्टरों से चर्चा के बाद विश्वजीत के पिता ने बॉन्ड पर हस्ताक्षर किए और बेटे को अस्पताल से डिस्चार्ज करवाया. उसे वापस हावड़ा स्थित घर ले आए.
'अब खतरे से बाहर हैं विश्वजीत'
बाद में पिता ने बेटे को कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में एडमिट करवाया. अस्पताल सूत्रों का दावा है कि विश्वजीत मलिक अब खतरे से बाहर हैं और उन्हें एसएसकेएम अस्पताल के ट्रॉमा केयर यूनिट के ग्रीन जोन में भर्ती कराया गया है. सोमवार दोपहर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अस्पताल का दौरा किया और हादसे से बाल-बाल बचे लोगों का हाल-चाल जाना. अस्पताल का दौरा करने के बाद सीएम ने कहा, सभी मरीजों की हालत अब स्थिर है.
हेलाराम मलिक ने आजतक को बताया, मेरा बेटा अब बेहतर है. मैं उन सभी स्थानीय लोगों का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने मेरे बेटे को दुर्घटनास्थल से बचाया और स्थानीय अस्पताल ले गए.