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तवांग झड़प के दो साल बाद भारत की तैयारियों में बड़ा बदलाव, अरुणाचल प्रदेश में बदली स्ट्रैटजी

भारतीय वायुसेना ने हाल ही में अपने ड्रोन को पूर्वी लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों में भेजा है. इस बदलाव से उन संवेदनशील इलाकों पर निगरानी और सख्त हुई है, जहां चीन घुसपैठ कर सकता है. भारत ने इस क्षेत्र में मजबूत सड़कें, उन्नत लैंडिंग ग्राउंड और रेलवे नेटवर्क बनाने का काम भी तेज कर दिया है.

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भारत और चीन की सेना ने डेमचोक और देपसांग में पहले दौर की पेट्रोलिंग पूरी की. (PTI Photo)
भारत और चीन की सेना ने डेमचोक और देपसांग में पहले दौर की पेट्रोलिंग पूरी की. (PTI Photo)

2022 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच तवांग में हुई झड़प के बाद, अरुणाचल प्रदेश में भारत की सैन्य और रणनीतिक तैयारियों में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं. झड़प का मुख्य केंद्र रहा यांग्त्से,अब भारत की नई रक्षा योजना का अहम हिस्सा बन गया है. यहां अब उन्नत हथियारों और सैन्य तैयारियों को बढ़ाया गया है.

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भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपनी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक नई रणनीति अपनाई है. इसमें S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती की गई है, जो हवाई खतरों को बहुत दूर से पहचानने और उनका मुकाबला करने में सक्षम है. यह सिस्टम न केवल भारत की सीमा के पास से आने वाले हवाई खतरों की निगरानी करता है, बल्कि अरुणाचल प्रदेश में भी हवाई सुरक्षा को सुनिश्चित करता है.

भारतीय वायुसेना ने हाल ही में अपने ड्रोन को पूर्वी लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों में भेजा है. इस बदलाव से उन संवेदनशील इलाकों पर निगरानी और सख्त हुई है, जहां चीन घुसपैठ कर सकता है. भारत ने इस क्षेत्र में मजबूत सड़कें, उन्नत लैंडिंग ग्राउंड और रेलवे नेटवर्क बनाने का काम भी तेज कर दिया है, ताकि सैनिकों की त्वरित तैनाती और सामान की सप्लाई में कोई परेशानी न हो. हल्के युद्धक हेलीकॉप्टर और ड्रोन के इस्तेमाल से निगरानी और हवाई हमलों की तैयारियों को और बेहतर किया गया है.

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हालांकि लद्दाख के कुछ हिस्सों में सैनिकों की वापसी हो चुकी है, लेकिन अरुणाचल प्रदेश अभी भी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बना हुआ है. चीन ने मैकमोहन रेखा को स्वीकार नहीं किया है, जिससे संघर्ष समाधान में मुश्किलें बनी हुई हैं.

भारत ने अपनी रणनीतिक तैयारियों को बनाए रखने के लिए अरुणाचल प्रदेश में कई सैन्य अभ्यास किए हैं:

Exercise पूर्वी प्रहार: पहाड़ी इलाकों में संयुक्त अभ्यास.
Exercise प्रलय (2022): ऊंचाई वाले क्षेत्रों में त्वरित जवाब देने की क्षमता पर ध्यान.
ऑपरेशन हिमराहत: कठिन मौसम में सैनिकों की सप्लाई और लचीलापन सुनिश्चित करना.
भारत की यह सैन्य तैयारियां और नए हथियारों की तैनाती यह दिखाती हैं कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह गंभीर है और चीन की आक्रामकता का सामना करने के लिए तैयार है.

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