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वेदांता के कॉपर स्टरलाइट प्लांट को फिर खोलने से पहले सुरक्षा के सख्त इंतजाम जरूरी: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने वेदांता की याचिका पर सुनवाई करते हुए लोगों के स्वास्थ्य और अन्य हितों की रक्षा की बात कही. कोर्ट ने कहा कि सभी लोग यहां नहीं आ सकते, लेकिन हम उनकी चिंताओं और चुनौतियों से बेखबर नहीं रह सकते.

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भारत का सर्वोच्च न्यायालय (फाइल फोटो)
भारत का सर्वोच्च न्यायालय (फाइल फोटो)

तमिलनाडु के तटीय शहर तूतीकोरिन में वेदांता के स्टरलाइट कॉपर प्लांट को फिर से खोलने की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें आम लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी व्यापक चिंताओं का अंदाजा है. कोर्ट ने कहा कि उसे यह भी देखना होगा कि फैक्ट्री खुलने का लोगों की सेहत पर क्या असर होगा.

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CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदी वाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने वेदांता की याचिका पर सुनवाई करते हुए लोगों के स्वास्थ्य और अन्य हितों की रक्षा की बात कही. कोर्ट ने कहा कि सभी लोग यहां नहीं आ सकते, लेकिन हम उनकी चिंताओं और चुनौतियों से बेखबर नहीं रह सकते.

वेदांता के वकील एवं सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने कोर्ट को बताया कि इस प्लांट को पर्यावरण मंजूरी 2007 में दी गई थी. किसी ने कभी उस मंजूरी को चुनौती नहीं दी. इस पर बेंच ने कहा कि हम यह निर्देश नहीं दे सकते कि आप आज ही परिचालन शुरू कर दें, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि एक विशेषज्ञ पैनल आपके सामने शर्तें रखे. जैसे कि एक निश्चित राशि जमा करके पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय सुनिश्चित कर सकते हैं. कोर्ट ने प्लांट शुरू करने से जुड़ी चिंताओं को संतुष्ट करने के बाद शुरुआत करने की बात कही.  

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'उच्च न्यायालय के निर्णय में गलती ढूंढना नहीं चाहते हैं'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो उच्च न्यायालय के निर्णय में गलती ढूंढना नहीं चाहते हैं. अगर वेदांता उत्पादन अधिकार के नवीकरण के लिए आवेदन करता है तो वे बंद होने से अलग हटकर आज उद्योग की स्थिति देख सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पूरी तरह से हाईकोर्ट को दोष नहीं दे सकते. सीजेआई ने कहा कि अगर हम इसे खुद पर लेते हुए तमिलनाडु हाईकोर्ट के आदेश को नकारते हैं और तीन साल बाद हमें पता चलता है कि प्लांट में खतरनाक रिसाव है तो नैतिक जिम्मेदारी की कल्पना करें?

कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद श्याम दीवान ने फिर कहा कि तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी टीएनपीसीबी, वन और पर्यावरण मंत्रालय, एनईईआरआई, वेदांता सहित अन्य विशेषज्ञों की समिति बनाने पर विचार किया जाए. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के किसी रिटायर्ड जज द्वारा समिति का नेतृत्व करने का भी सुझाव दिया जो एक महीने के भीतर इस मामले में एक रिपोर्ट फाइल कर सकती है.  

कई समिति को प्रदूषण के सबूत मिले हैं: सरकार

तमिलनाडु सरकार के वकील सीएस वैद्यनाथन ने दीवान की दलीलों का विरोध किया. वैद्यनाथन ने कहा कि एक के बाद एक कई समिति को प्रदूषण के सबूत मिले हैं. उन्होंने कहा कि इसी अदालत ने माना है कि आर्थिक हितों के लिए पर्यावरण संरक्षण हितों की कुर्बानी नहीं दी जाएगी. 

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आपको बता दें कि यह मामला 2018 का है. तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने स्थानीय लोगों के भारी विरोध के बाद स्टरलाइट प्लांट को बंद करने का आदेश दिया था. स्टरलाइट प्लांट पर  गंभीर प्रदूषण पैदा करने और इससे गंभीर बीमारियां फैलने की बात कही गई थी. बाद में तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के फैसले को अगस्त 2020 में मद्रास हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा. जिसके बाद कंपनी ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.

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