दिल्ली में हर दूसरे दिन प्रदूषण की तादाद में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. यहां का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच चुका है. इसकी बड़ी वजह इस समय खेतों में जलने वाली पराली को माना जा रहा है. ताजा आकड़ों के मुताबिक, अब ये बात सच साबित होती नजर आ रही है. दरअसल, IMD द्वारा जारी डाटा के मुताबिक, पराली जलाने की तादाद में भारी बढ़ोतरी देखी गई है.
साल 2021 के अक्टूबर महीने के मुकाबले राजस्थान में 2022 के अक्टूबर में पराली जलाने की घटनाओं में 160% की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. वहीं पंजाब में पिछले साल के मुताबिक, 20% ज्यादा पराली जलाई गई है. आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली की घटनाओं में गिरावट देखने को मिली है. पिछले साल के मुकाबले अक्टूबर में हरियाणा 30% कम और उत्तर प्रदेश में 38% कम पराली जलाई गई. वहीं नवंबर के शुरुआती दिनों की बात की जाए तो पंजाब में 5 नवंबर तक 13,396 से ज्यादा पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं, जिसकी तादाद पूरे अक्टूबर में 16,004 थी. जिसके चलते प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी तक पहुंच गया है.
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा कि राजस्थान में 2022 के अक्टूबर में पराली जलाने की घटनाओं में 160% फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है. वहीं पंजाब में पिछले साल के मुताबिक, 20% ज्यादा पराली जलाई गई है. राजस्थान में अक्टूबर 2022 में 318 पराली की घटनाएं दर्ज की गई, जबकि पिछले साल अक्टूबर में ये 124 थीं. इसमें 160% की वृद्धि देखी गई है. पंजाब में अक्टूबर 2021 में 13,269 घटनाएं दर्ज हुई थीं, जो इसी महीने 2022 में 16,004 तक पहुंच गईं, इसमें 20% की वृद्धि दर्ज की गई.
जितेंद्र सिंह ने दिल्ली के प्रदूषण पर चिंता जताते हुए कहा कि इस साल अक्टूबर में 7 दिन "बेहद खराब" वायु गुणवत्ता सूचकांक वाले दर्ज किए गए जबकि अक्टूबर 2021 में ऐसा कोई मामला नहीं देखा गया था.
वहीं हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में गिरावट देखने को मिली. हरियाणा में अक्टूबर 2022 में पराली जलाने की 1995 घटनाएं दर्ज हुईं, जो 2021 में 2914 थीं. इसी तरह, अक्टूबर, 2021 में 1060 मामलों की तुलना में, यूपी ने इस अक्टूबर में मात्र 768 घटनाएं ही दर्ज हुईं.