scorecardresearch
 

इन चुनौतियों को पार करके मिली सफलता... चांद की सतह पर चंद्रयान की यूं हुई सॉफ्ट लैंडिंग

चंद्रयान 3 को चांद पर उतारने में तीन सबसे बड़ी परेशानियां थीं. वह यह थीं कि लैंडिंग के वक्त लैंडर की रफ्तार को नियंत्रित रखना था. पिछली बार अधिक रफ्तार की वजह से ही लैंडर क्रैश कर गया था. इसके अलावा लैंडर चंद्रयान-3 के लिए दूसरी चुनौती यह थी कि लैंडर उतरते समय सीधा रहे.

Advertisement
X
चंद्रयान 3 की सफलता पूर्वक हुई चांद की सतह पर लैंडिंग (Photo Isro).
चंद्रयान 3 की सफलता पूर्वक हुई चांद की सतह पर लैंडिंग (Photo Isro).

Chandrayaan 3 Successful landing: चंद्रयान 3 ने चांद की सतह पर जैसे ही सॉफ्ट लैंडिंग सफलतापूर्वक की वैसे ही पूरे देश में खुशी छा गई. इसरो के सेंटर में वैज्ञानिकोंं ने तालियां बजाई और एक-दूसरे को गले गलकर बधाई दी. वहीं, चंद्रयान 3 की लैंडिंग को देखने के लिए पीएम मोदी भी लाइव जुड़े हुए थे. देश की इस उपलब्धि पर आम जनता भी खुश हुई और लोगों ने डांस करके अपनी खुशी जाहिर की. 

Advertisement

मगर, चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग इतनी आसान नहीं थी. क्योंकि, इसके पहले वाला मिशन चंद्रयान 2 फेल हो गया था. उसे दौरान देश गमगीन हो गया था. महीनों की मेहनत एक पल में बर्बाद हो गई थी, लेकिन इस बार वैज्ञानिकों ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी. नतीजतन चंद्रयान 3 की सफलता पूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग हुई और भारत उन देशों के क्लब में शामिल हो गया, जिसमें सफलता पूर्वक लैंडिंग कराने में सफलता पाई है.

इन बाधाओं से पाई सफलता, कराई सफल लैंडिंग

चंद्रयान 3 को चांद पर उतारने में तीन सबसे बड़ी परेशानियां थीं. वह यह थीं कि लैंडिंग के वक्त लैंडर की रफ्तार को नियंत्रित रखना था. पिछली बार अधिक रफ्तार की वजह से ही लैंडर क्रैश कर गया था. इसके अलावा लैंडर चंद्रयान-3 के लिए दूसरी चुनौती यह थी कि लैंडर उतरते समय सीधा रहे. वहीं लैंडर के लिए तीसरी चुनौती यह थी कि लैंडिंग उसी जगह हो जिसे इसरो ने चुन रखा था. पिछली बार ऊबड़-खाबड़ जगह से टकराने की वजह से चंद्रयान-2 क्रैश कर गया था.

Advertisement

इस बार इन सारी बाधाओं पर इसरों के वैज्ञानिकों ने सफलता पाते हुए चंद्रयान 3 की सक्सेसफुल लैंडिंग कराई. चंद्रयान 3 का लैंडर विक्रम चांद की सतह पर लैंड हुआ और अब प्रज्ञान रोवर चांद की सतह से सैंपल जुटाएगा और अधिक जानकारी लेगा.

 

यह भी पढ़ें... India बना चांद का 'वर्ल्ड चैंपियन'... अमेरिका, जापान और चीन जो न कर सके, वह ISRO ने कर दिखाया
 

चांद पर पहुंचा चंद्रयान 3. (Photo ISRO).
चांद पर पहुंचा चंद्रयान 3. (Photo ISRO).

अब समझिए कैसे हुई चंद्रयान-3 की लैंडिंग? 

- विक्रम लैंडर 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद पर उतरने की यात्रा शुरू की. अगले स्टेज तक पहुंचने में उसे करीब 11.5 मिनट लगे. यानी 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई तक. 

- 7.4 km की ऊंचाई पर पहुंचने तक इसकी गति 358 मीटर प्रति सेकेंड थी. अगला पड़ाव 6.8 किलोमीटर था. 
- 6.8 km की ऊंचाई पर गति कम करके 336 मीटर प्रति सेकेंड हो गई. अगला लेवल 800 मीटर था. 
- 800 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर के सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग के लिए सही जगह खोजने लगे.  
- 150 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति 60 मीटर प्रति सेकेंड थी. यानी 800 से 150 मीटर की ऊंचाई के बीच. 
- 60 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 40 मीटर प्रति सेकेंड थी. यानी 150 से 60 मीटर की ऊंचाई के बीच. 
- 10 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 10 मीटर प्रति सेकेंड थी. 
- चंद्रमा की सतह पर उतरते समय यानी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड थी. 

Advertisement

विक्रम लैंडर पर चार पेलोड्स क्या काम करेंगे?

1. रंभा (RAMBHA)... यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा. 
2. चास्टे (ChaSTE)... यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा. 
3. इल्सा (ILSA)... यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा. 
4. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA) ... यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा. 

यह भी पढ़ें... Chandrayaan 3: लैंडिंग के बाद विक्रम ने भेजी पहली तस्वीर, ऐसा दिखता है चांद का दक्षिणी हिस्सा

चंद्रयान ने की चांद पर सफल लैंडिंग (Photo ISRO).
चंद्रयान ने की चांद पर सफल लैंडिंग (Photo ISRO).

प्रज्ञान रोवर पर दो पेलोड्स हैं, वो क्या करेंगे? 

1. लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (Laser Induced Breakdown Spectroscope - LIBS). यह चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा. साथ ही खनिजों की खोज करेगा. 
2. अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-Ray Spectrometer - APXS). यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा. जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा. इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी. 

क्या है वैज्ञानिकों के लिए फायदा...

कुल मिलाकर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर मिलकर चांद के वायुमंडल, सतह, रसायन, भूकंप, खनिज आदि की जांच करेंगे. इससे इसरो समेत दुनियाभर के वैज्ञानिकों को भविष्य की स्टडी के लिए जानकारी मिलेगी. रिसर्च करने में आसानी होगी. ये तो हो गई वैज्ञानिकों के लिए फायदे की बात. 

Advertisement

यह भी पढ़ें... 15 दिन रोशनी, 15 दिन अंधेरा... चंद्रयान-3 का लैंडर जहां उतरा, वो जगह कैसी है?

क्या होगा भारत को फायदा...

 दुनिया में अब तक चांद पर सिर्फ तीन देश सफलतापूर्वक उतर पाए हैं. अमेरिका, रूस (तब सोवियत संघ) और चीन. अगर भारत के चंद्रयान-3 को सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिलती है, तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. दक्षिणी ध्रुव के इलाके में लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा. 

ISRO को क्या फायदा होगा...

 इसरो दुनिया में अपने किफायती कॉमर्शियल लॉन्चिंग के लिए जाना जाता है. अब तक 34 देशों के 424 विदेशी सैटेलाइट्स को छोड़ चुका है. 104 सैटेलाइट एकसाथ छोड़ चुका है. वह भी एक ही रॉकेट से. चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी खोजा. चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर आज भी काम कर रहा है. उसी ने चंद्रयान-3 के लिए लैंडिंग साइट खोजी. मंगलयान का परचम तो पूरी दुनिया देख चुकी है. चंद्रयान-3 की सफलता इसरो का नाम दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेसियों में शामिल कर देगी. 

आम आदमी को होगा ये फायदा...

चंद्रयान और मंगलयान जैसे स्पेसक्राफ्ट्स में लगे पेलोड्स यानी यंत्रों का इस्तेमाल बाद में मौसम और संचार संबंधी सैटेलाइट्स में होता है. रक्षा संबंधी सैटेलाइट्स में होता है. नक्शा बनाने वाले सैटेलाइट्स में होता है. इन यंत्रों से देश में मौजूद लोगों की भलाई का काम होता है. संचार व्यवस्थाएं विकसित करने में मदद मिलती है. निगरानी आसान हो जाती है.

Advertisement

 

Advertisement
Advertisement