अकोला के एक वेटरनरी अस्पताल में अति विषैले जख्मी कोबरा सांप की सफल सर्जरी कर जान बचाई गई. जबड़े में चोट आने की वजह से कोबरा को एक राहगीर उठाकर अस्पताल ले गया था.
घटना रविवार 5 जनवरी 2025 की है. अकोला के पवन इंगोले को शहर समीप कुंभारी गांव के समीप एक गंभीर रूप से घायल कोबरा सांप दिखाई दिया. जिसके जबड़े को किसी वजह से गंभीर चोट आई थी और वह मरणासन्न अवस्था पड़ा था.
उन्होंने तुरंत वन विभाग से संपर्क किया और सांप की जान बचाने की गुहार लगाई. वन विभाग ने यह जानकारी सर्पमित्र और मानद वन्यजीव रक्षक बाल काळणे को दी, जिन्होंने तुरंत कोबरा को बचाने का जिम्मा संभाला.
बाल काळणे ने घायल कोबरा को सावधानीपूर्वक सुरक्षित पकड़कर अकोला के डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ (पीकेवी) के वेटरिनरी अस्पताल में डॉक्टरों से मदद मांगी. डॉक्टरों ने इस आपात स्थिति में अपने कर्तव्य को प्राथमिकता दी और सांप के इलाज के लिए तैयार हो गए.
डॉक्टर और उनकी टीम ने लगभग डेढ़ घंटे तक लगातार मेहनत कर कोबरा के जख्मी जबड़े पर सफल ऑपरेशन किया. बाल काळणे ने विषैले सांप को अत्यधिक सतर्कता और अनुभव के साथ संभाला, जिससे ऑपरेशन सुचारू रूप से संपन्न हुआ. डॉक्टरों ने उनके संयम और आत्मविश्वास की बेहद प्रशंसा की.
इलाज के दौरान डॉक्टरों की टीम में महिला और पुरुष चिकित्सकों समेत कुल छह सदस्य शामिल थे. इस प्रक्रिया में रेस्क्यू टीम के प्रभारी संघपाल तायडे, चालक यशपाल इंगोले और तुषार आवारे ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
पीकेवी के डॉक्टर आशुतोष और उनकी टीम ने पूरी संवेदनशीलता और सतर्कता के साथ सांप का उपचार किया, जिसके परिणामस्वरूप जख्मी कोबरा को नया जीवन मिल सका. इलाज के कुछ घंटों बाद कोबरा को उसके अधिवास में छोड़ दिया गया.
यह घटना यह दर्शाती है कि इंसान और वन्यजीवों के बीच का रिश्ता संवेदनशीलता और समर्पण के माध्यम से कितना गहरा और सार्थक हो सकता है.